- नियामक आयोग की ओर से दर वृद्धि को लेकर तैयारियां तेज की गईं

- उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने दर्ज कराया विरोध

लखनऊ (ब्यूरो)।  जानकारी के अनुसार, नियामक आयोग की ओर से बिजली दर वृद्धि को लेकर तैयारियां तेज कर दी गई हैं। दर वृद्धि की भनक लगते ही उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने विरोध करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष इस बात से जरूर संतुष्ट हैं कि रेग्युलेटरी सरचार्ज समाप्त होने से उपभोक्ताओं पर भार कुछ कम पड़ेगा। दर वृद्धि की सही तस्वीर एक से सात सितंबर के बीच स्पष्ट हो जाएगी।

जुलाई में तैयारियां शुरू
बिजली दर बढ़ोत्तरी की रूपरेखा जुलाई में ही तैयार कर ली गई थी। बिजली कंपनियों के घाटे को शो करते हुए पॉवर कॉरपोरेशन की ओर से दर बढ़ोत्तरी किए जाने की जरूरत बताई गई थी और इस संबंध में नियामक आयोग में प्रस्ताव भी दिया गया था।

उपभोक्ता परिषद का विरोध
बिजली दर बढ़ोत्तरी को लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विरोध करना शुरू कर दिया था। उन्होंने ऊर्जा मंत्री से लेकर नियामक आयोग में दर बढ़ोत्तरी न किए जाने को लेकर प्रस्ताव भी दिया था। खास बात यह थी कि उन्होंने यह भी बताया था कि दर बढ़ोत्तरी की जरूरत क्यों नहीं है। इसके बाद अलग-अलग शहरों में हुई बिजली दर सुनवाई में भी उपभोक्ताओं ने जमकर दर बढ़ोत्तरी को लेकर विरोध जताया था।

109 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी
बिजली कंपनियों ने घरेलू शहरी बिजली उपभोक्ताओं और ग्रामीण अनमीटर्ड की दरों में 25 प्रतिशत, शहरी घरेलू बीपीएल की दरों में 109 प्रतिशत, किसानों की दरों में लगभग 13 प्रतिशत की वृद्धि करने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है। साफ शब्दों में इसे समझें तो नये टैरिफ में घरेलु बिजली 6.20 पैसे से बढ़कर 7.50 प्रति यूनिट और कॉमर्शियल बिजली 6.20 पैसे से बढ़कर 8.85 पैसे हो जाएगी।

रेग्युलेटरी सरचार्ज से राहत
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष की मानें तो बिजली दर बढ़ोत्तरी के बीच रेग्युलेटरी सरचार्ज भी समाप्त होगा। जिससे उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला भार खासा कम हो जाएगा। उनकी माने तो उपभोक्ताओं पर पांच से छह प्रतिशत तक भार पड़ेगा।
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