हैदराबाद पुलिस का कहना है कि उसेंडी ने अपनी पत्नी के साथ आंध्र प्रदेश पुलिस की विशेष शाखा के सामने आत्मसमर्पण किया.

वेंकटा कृष्णा प्रसाद उर्फ़ गुड्सा उसेंडी हाल ही में संगठन की दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी की प्रवक्ता बनाए गए थे और उनका मुख्य कार्यक्षेत्र छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र का सीमावर्ती इलाक़ा रहा है.

छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता ने बीबीसी से गुड्सा उसेंडी के आत्मसमर्पण की बात की पुष्टि की और बताया कि वे बीमार चल रहे थे.

उनका कहना है, "हमें पहले से पता चला था कि वह बीमार चल रहे हैं. एक बार तो वह हमारे हाथ लगते-लगते रह गए. वह इलाज के लिए ओडिशा जाने वाले थे, यह हमें पता चला. हमने उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया था. इसलिए उनके पास आत्मसमर्पण के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था.''

वेंकटा कृष्णा प्रसाद आंध्र प्रदेश के वारंगल ज़िले के काडीवेल्डी के रहने वाले हैं, जो अस्सी के दशक से ही पीपल्स वार ग्रुप में शामिल हो गए थे. छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की दरभा घाटी में कांग्रेसियों के क़ाफ़िले पर हुए हमले के कुछ महीने बाद पिछले गुड्सा उसेंडी के पद पर रहे कट्टा रामचंद्र रेड्डी को हटा दिया गया था और उनकी जगह वेंकटा कृष्णा प्रसाद को प्रवक्ता बनाया गया था.

'फैंटम' की तरह गुड्सा उसेंडी

शीर्ष माओवादी नेता उसेंडी का आत्मसमर्पणकहा जाता है कि गुड्सा उसेंडी कभी मर नहीं सकता क्योंकि वह सिर्फ़ एक नाम है, जिसके पीछे संगठन के कई चेहरे हैं.

मुकेश गुप्ता का कहना है कि जो भी भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी की दंडकारण्य विशेष ज़ोनल कमेटी का प्रवक्ता बनाया जाता है, उसे गुड्सा उसेंडी के नाम से ही पुकारा जाता है. समय-समय पर संगठन के अलग-अलग वरिष्ठ कमांडरों को दंडकारण्य के इलाक़े में गुड्सा उसेंडी के नाम से पुकारा जाता रहा है.

गुड्सा उसेंडी नाम के पीछे की कहानी साल 2000 के जून महीने की है, जब बस्तर में अबूझमाड़ इलाक़े के पोटेनार में सुरक्षा बलों ने नक्सली छापामारों के एक दल को घेर लिया था. इसमें एक 17 साल का मडिया जनजाति का छापामार भी था, जिसका नाम गुड्सा उसेंडी था. गुड्सा उसेंडी सुरक्षा बलों का कई घंटे तक मुक़ाबला करता रहा और आखिरकार मुठभेड़ में मारा गया.

पुलिस कहती है कि उसेंडी की मौत के बाद माओवादियों ने उसका नाम ज़िंदा रखने का फ़ैसला किया और इसी वजह से नाम तो वही रहा, मगर इस नाम के पीछे संगठन के कमांडर बदलते रहे.

इससे पहले गुड्सा उसेंडी रहे कट्टा रामचंद्र रेड्डी की पत्नी शांति प्रिया को छत्तीसगढ़ पुलिस ने भिलाई इलाक़े से गिरफ़्तार किया था, जो फिलहाल जेल में है. सुकमा कलेक्टर एलेक्स पाल मेनन का जब माओवादियों ने अपहरण किया था, तो अपनी शर्तों में उन्होंने रेड्डी की पत्नी की रिहाई की मांग सरकार के सामने रखी थी.

मुकेश गुप्ता का कहना है फिलहाल रेड्डी भी अबूझमाड़ के इलाक़े में ही मौजूद है.

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ज़ब्त दस्तावेज़ बताते हैं कि अबूझमाड़ के कुछ इलाक़ों में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव गणपति गणपति को भी गुड्सा के नाम से पुकारा जाता है.

International News inextlive from World News Desk