स्वतंत्रता संग्राम में:
पंजाब राज्य के सियालकोट में जन्में बॉलीवुड अभिनेता का नाम पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। एके हंगल ने सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 1930-47 के बीच स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने देश को आजाद कराने में विशेष भूमिका निभाई। जिसके लिए इन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।
तीसरी कसम से डेब्यू:
अपने अभिनय के दम पर एक गहरी छाप छोड़ने वाले एके हंगल ने 1966 में हिंदी सिनेमा की दुनिया में पूरी तरह से कदम रखा। इस समय इनकी उम्र 50 से अधिक थी। इसके पहले वह नाटक सस्थाओं से जुड़े थे। इस उम्र में फिल्म 'तीसरी कसम' से डेब्यू करने की वजह से ही उनके बारे में कहा जाता है कि एक एक्टर जो बूढ़ा ही पैदा हुआ।
पिता-अंकल का रोल:
इस फिल्म के बाद तो जैसे फिल्मों की लाइन लग गई। इसके बाद इन्होंने शागिर्द, शोले, शौकीन, आईना, अवतार, अर्जुन, आंधी, तपस्या, कोरा कागज, बावर्ची, छुपा रुस्तम, नमक हराम, गुड्डी, नरम-गरम जैसी करीब 200 से अधिक फिल्मों में इन्होंने काम किया। इन फिल्मों में इन्होंने पिता या अंकल की भूमिका निभाई।
मुफलिसी का जीवन:
इतने बड़े कालाकार होने के बाद एके हंगल को मुफलिसी का जीवन जीना पड़ा। पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय पर आश्रित थ्ो। ऐसे में 2011 में अचानक से उनके आजीविका के लिए संघर्ष करने की स्थिति सबके सामने आई। जिसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बड़े चेहरे उनकी मदद को आगे आए थे।
कई बड़े पुरस्कार मिले:
एके हंगल को कई बड़े पुरस्कार भी मिले थ्ो। हंगल साहब को 2006 में भारत सरकार ने पद्मभूषण से भी नवाजा गया था। वह लम्बे समय से बुढ़ापे की बीमारियों से पीड़ित रहे। 13 अगस्त 2012 को अचानक से गिरने से उन्हें काफी चोट आई थी। इसके बाद काफी उपचार हुआ लेकिन 26 अगस्त 2012 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।Bollywood News inextlive from Bollywood News Desk
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