नाकामयाबी ने तोड़ा एक्टर बनने का सपना

आज बॉलीवुड के महान पार्श्व गायक मुकेश की उन्तालिसवीं पुण्यतिथि है आज हम आपको बताते हैं उनकी एक अनोखी ख्वाहिश के बारे में। जब मुकेश अपनी सर्वेयर की जॉब छोड़ कर अपने रिश्तेदार फेमस वेटेनर एक्टर मोतीलाल के साथ मुंबई आए थे तो उनकी ख्वाहिश थी कि वे यहां आकर अभिनेता के तौर पर खुद को स्थापित करें। 1941 में उन्हें फिल्म र्निदोष के लिए बतौर गायक अभिनेता ये मौका मिल भी गया। लेकिन ये फिल्म टिकट खिड़की पर कोई जादू नहीं दिखा सकी और मुंह के बल गिर गयी। उसके बाद दो और फिल्में मुकेश को मिलीं सुख दुख और आदाब अर्ज दोनों का और भी बुरा हाल हुआ नतीजा ये हुआ कि मुकेश का मन एक्टिंग से हट कर गाने में ज्यादा लगने लगा और उन्हें कामयाबी भी मिली। फेमस गायक के एक सहगल से प्रभावित होने के कारण उन्हीं के अंदाज में गाने मुकेश के अंदाज से खुश होकर सहगल ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी भी कह दिया।

दूसरी कोशिश भी रही नाकाम

गायकी में थोड़ी सफलता मिलने से उत्साहित मुकेश ने एक बार फिर अपनी पुरानी ख्वाहिश को पूरा करने की सोची और दोबरा अभिनय के मैदान में उतरने की तैयारी कर ली। अब 1953 मे उनकी फिल्म 'माशूका' और 1956 मे फिल्म 'अनुराग'  बतौर अभिनेता रिलीज हुई, पर एक्टिंग मुकेश को रास नहीं आयी और ये दोनों फिल्में उन्हें एक्टर के तौर पर स्थापित कराने में नाकामयाब हो गयी। इन दोनों फिल्मों की नाकामी के बाद मुकेश ने पूरी तरह से फिल्मों में अभिनय से तौबा कर ली औश्र गायकी पर ही ध्यान लगाया औश्र एक के बाद एक कई बेहतरीन और हिट गाने प्रस्तुत किए।

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