दो दोस्त जो बने बिजनेस पार्टनर्स

कानपुर। फ्लिपकार्ट को 2007 में शुरु किया आईआईटी, दिल्ली के स्टूडेंट्स रहे सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने। इन दोनों ने एक कमरे से अपने काम की शुरुआत की थी। कंपनी के इनीशियल स्टेजेस पर इन्होंने कंपनी को फ्लिपकार्ट ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम से रेजिस्टर किया था और उस वक्त ये कंपनी सिर्फ बुक्स सेल किया करती थी। सचिन बंसल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि इस काम को शुरू करने के दौरान लोग उन्हें उनका पागलपन कहते थे। सचिन और बिन्नी बंसल दोनों फ्रेंड्स हैं और उस वक्त दोनों वल्र्ड की सबसे पॉपुलर ई-कॉमर्स वेबसाइट एमाजॉन में काम कर रहे थे। लेकिन दोनों को ही अपनी जॉब बहुत बोरिंग लग रही थी और वहीं से फ्लिपकार्ट जैसे 'स्टार्टअप' को स्टार्ट करने की प्लानिंग शुरू हुई।

यूं एग्जिस्ट हुआ फ्लिपकार्ट

सचिन और बिन्नी ने ऑनलाइन बुक रिटेलर के तौर पर अपने बिजनेस की शुरुआत की। इसमें उन्होंने 6500 डॉलर का पर्सनल इनवेस्टमेंट भी किया। वेबसाइट लॉन्च करने के दस दिनों के बाद उन्हें लीविंग माइक्रोसॉफ्ट टु चेंज द वल्र्ड नाम की बुक का ऑर्डर मिला। इसके बाद उन्होंने अपने स्टार्टअप को कंपनी के तौर पर इनकॉरपोरेट किया। अब उनके सामने अपने काम को एक्सपैंड करने का चैलेंज था। वेंडर्स के साथ टाई-अप करने में बहुत प्रॉŽलम्स हुईं क्योंकि इनका कोई भी ऑफलाइन स्टोर नहीं था। इसके बाद दोनों ने ही बैंगलोर के मेजर बुकस्टोर्स पर फ्लिपकार्ट के बुकमाक्र्स बांटने शुरू कर दिए। इसके अलावा इनके पास ऑनलाइन पेमेंट गेटवे भी नहीं था। पर दोनों ही फाउंडर्स ने हर चैलेंज को स्मार्टली फेस किया। इसके बाद फ्लिपकार्ट चल पड़ा और अब यह बुक्स से लेकर हर तरह के प्रोडक्ट्स प्रोवाइड करता है।

ई-कॉमर्स का नहीं था प्लान

दोनों ही टेक्निकल पर्सन थे और कुछ ऐसा बिल्ड करना चाहते थे जहां उन्हें मार्केटिंग और सेल्स के साथ डील न करना पड़े। और फिर उन्होंने ई-कॉमर्स के लिए एक कंपेयरेटर सर्च इंजन बनाने के बारे में सोचा। तभी उन्होंने रियलाइज किया वहां कंपेयर करने के लिए ज्यादा ई-कॉमर्स वेबसाइट्स ही नहीं थीं। बस तभी दोनों ने ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म ओपेन करने के बारे मे सोचा। इसके बाद दोनों ने एमाजॉन में अपनी जॉब को छोड़कर अपने आइडिया को शेप देना शुरू कर दिया।

मिला फाइनेंशियल सपोर्ट

एक्सेल इंडिया, टाइगर ग्लेाबल, एलएलसी, एक्सेल पार्टनर्स, मॉरगन स्टैनले इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट और सिंगापोर सॉवरेन-वेल्थ फंड जीआईसी जैसी कंपनीज से फ्लिपकार्ट ने मिलियंस में नहीं बल्कि एक बिलियन का इनवेस्टमेंट क्रिएट करने में सक्सेसफुल रहे।

आइडिया से ज्यादा, सर्विसेज थीं यूनीक

एक वक्त पर जहां सचिन और बिन्नी किसी कंपनी में काम करते थे, आज उनकी खुद की कंपनी है जिसमें 15000 से भी ज्यादा लोग काम करते हैं। इंडिया के ऑनलाइन मार्केट में यह ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म किसी रेवोल्यूशन से कम नहीं क्योंकि इसने कंट्री में एक छोटे से स्टार्टअप से शुरुआत की जिसका टर्नओवर आज बिलियंस में है।

FAQs

अगर कोई एंटिटी पहले से ही स्टार्टअप इंडिया के पोर्टल पर रेजिस्टर्ड हो तो उसे रिकग्निशन सर्टिफिकेट कितने टाइमफ्रेम में मिल जाएगा?

- महेंद्र शर्मा

इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगता। इस तरह के केसेज में रेजिस्ट्रेशन का प्रोसेज रियल टाइम फ्रेम में होता है। जैसे ही आप अपना एप्लिकेशन फॉर्म पोर्टल पर सक्सेसफुली सब्मिट करेंगे, वैसे, ही आपको रिकग्निशन का सर्टिफिकेट मिल जाएगा।  

क्या मैं स्टार्टअप इंडिया के पोर्टल पर या इसके मोबाइल एप पर जाकर अपनी फर्म को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पार्टनरशिप फर्म या लिमिटेड लाइबिलिटी फर्म के तौर पर रेजिस्टर कर सकता हूं?

- विनोद प्रजापति

इस केस में आपके पास ये दो ऑप्शंस होते हैं।

ऑप्शन 1- एक एंटिटी खुद को एमसीए या रेजिस्ट्रार ऑफ फम्र्स के थ्रू रेजिस्टर कर सकती है। यहां पर पहले से मेंशंड प्रोसेज को फॉलो करें। स्टार्टअप इंडिया पोर्टल या मोबाइल एप में रेजिस्टर करके बेनेफिट्स उठाएं।

ऑप्शन 2- एक एंटिटी खुद को सीमलेस प्रोसेज के थ्रू स्टार्टअप इंडिया के पोर्टल पर रेजिस्टर कर सकती है। यह फेसिलिटी स्टार्टअप इंडिया पोर्टल और मोबाइल एप लॉन्च के सेकेंड फेज में मिलेगी।

हमने अपनी प्री और पोस्ट सेल्स सर्विसेज को दूसरों से फास्ट और स्ट्रॉन्ग बनाया और इसी के जरिए अपने कॉम्पिटीटर्स को पीछे छोड़ा।

- सचिन बंसल

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