- स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

- करीब 50 हजार रैबीज की वैक्सीन मरीजों को लगाई गई

आगरा। शहर में बंदरों का आतंक किस कदर व्याप्त है, इसकी पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ कर रहे हैं। वर्ष 2015 में 38000 हजार लोगों को बंदरों ने और 2015 लोगों को श्वानों ने काटा है, जिनके लिए करीब 50 हजार रैबीज की वैक्सीन का प्रयोग किया गया है। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग ने जिला प्रशासन को भेजी है।

सार्वजनिक क्षेत्रों पर है बंदरों का कब्जा

जिला अस्पताल, एसएन मेडिकल कॉलेज, कलेक्ट्रेट हो या फिर कमिश्नरी, सभी जगह बंदरों का कब्जा है। आए दिन यहां कोई न कोई व्यक्ति बंदरों के प्रकोप का शिकार होता है। हाथ में सामान इन क्षेत्रों से ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

नसबंदी का किया प्रयास

शहर में लगातार बढ़ रही बंदरों की संख्या को लेकर हुए जिला प्रशासन ने गंभीरता दिखाई। तत्कालीन कमिश्नर प्रदीप भटनागर ने बंदरों की नसबंदी के लिए दो बार प्रयास किए। पांच-पांच सौ बंदरों की नसबंदी कराई गई। बावजूद इसके बंदरों की बढ़ती संख्या में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है।

रखे गए थे पिंजरे

एसएन मेडिकल कॉलेज में बंदरों को पकड़े जाने के लिए पिंजरे रखे गए थे। हालांकि इन पिजरों का बंदरों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। न के बराबर ही इन पिंजरों के माध्यम से बंदरों को पकड़ा जा सका। इसका परिणाम ये रहा कि बंदर लोगों के ऊपर हावी रहे। मौका लगते ही काट लेते थे।

लाइन लगाकर मिलते हैं इंजेक्शन

जिला अस्पताल में श्वान व बंदर काटने के वैक्सीन लाइन लगाकर दी जाती हैं। वहीं देहात क्षेत्रों की सीएससी और पीएससी पर अक्सर वैक्सीन न होने की बात कही जाती है। जब लोग देहात क्षेत्र से जिला अस्पताल पर पहुंचते हैं, तो उन्हें सीएससी और पीएससी पर जाने के लिए कहा जाता है।