- कचरा ढोने वाली गाडि़यों में नहीं लगवाया जीपीएस

- अफसर की उदासीनता से निगम के खजाने पर असर

आगरा। कुछ सफाई गाडि़यों में जैसे ही जीपीएस ऑन हुआ कि डीजल का मीटर डाउन हो गया। इस गणित से नगर निगम के डीजल खर्च में कमी आई है। इसमें और इजाफा किया जा सकता है, लेकिन अधिकारी की उदासीनता की वजह से सभी गाडि़यों में अब तक जीपीएस नहीं लगाया जा सका है और हर दिन हजारों लीटर डीजल का चूना लग रहा है।

कम गाडि़यों की सेंशन ली

शहर में कूड़ा उठाने के लिए 142 गाडि़यां हैं। गाडि़यों की अपडेट जानकारी रखने के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशिनिंग सिस्टम) लगाना था। इस पर नगर निगम प्रशासन ने 100 गाडि़यों पर ही जीपीएस लगाने का सेंशन लिया। जिस कंपनी को टेंडर दिया गया था। उसने 5 अतिरिक्त यानी 105 गाडि़यों पर जीपीएस लगा दिया। इससे नगर निगम को हर दिन हजारों लीटर डीजल की बचत होने लगी। इसे देखते हुए सभी गाडि़यों पर जीपीएस लगाने की योजना बनाई गई।

मिले थे बेहतर रिजल्ट

सूत्रों का कहना है कि वर्कशॉप इंचार्ज ने अन्य गाडि़यों पर सिस्टम लगाने के लिए सेंशन की फाइल तक नहीं चलाई। इससे आधे-अधूरे में ही जीपीएस लगाने का काम अटक गया। जबकि इस सिस्टम से न सिर्फ डीजल की बचत होती है, बल्कि साफ-सफाई के भी बेहतर रिजल्ट सामने आए हैं। इसके बाद भी अधिकारी की उदासीनता से हर दिन नगर निगम के कोष को हजारों की चोट लग रही है।

ये हैं नुकसान

शहर से कचरा उठाने के लिए लगभग 142 गाडि़यां हैं। इसमें सिर्फ 105 में ही जीपीएस लगाया जा सका है। इससे ड्राइवरों में भी विरोध बढ़ता जा रहा है। जिन गाडि़यों में जीपीएस लगाया गया। उनकी हर वक्त की लोकेशन और गाड़ी चलने के घंटे की जानकारी हो जाती है। उसी के अनुसार डीजल भी दिया जाता है। जबकि बिना जीपीएस गाडि़यों में अब भी मनमुताबिक चल रही हैं।