- वित्तमंत्री के बजट से आम पब्लिक पर कोई असर नहीं

आगरा। देश के वित्त मंत्री अरूण जेटली ने एनडीए सरकार का पहला बजट पेश करते हुए बेशक हर वर्ग की नब्ज को पकड़ा, लेकिन आम पब्लिक पर इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला। पहले ही महंगाई की डोज पिलाकर अब सामानों को सस्ता कर देना कोई राहत की बात नहीं है। 'आई नेक्स्ट' ने हर वर्ग को टटोला तो अलग फैक्ट सामने आए।

हमारे पास बचाने को कुछ नहीं

खंदारी एरिया के एटीएम से विड्राल करने पहुंचे प्राइवेट कंपनी की सेल डिवीजन से जुड़े राहुल का कहना है करीब 15000 परमंथ पगार मिलती है। हमारे लिए बजट कुछ खास मायने नहीं रखता है। क्योंकि हमारी जो इनकम है, उसके हिसाब से हमारी जेब में जितने पैसे आते हैं। उसमें घर का बजट जैसे-तैसे ही मैनेज हो पाता है। प्राइवेट जॉब करने वाले टीआर सिंह का भी कमोवेश यही हाल है। राहुल के साथ टीआर भी अपने खर्चे के लिए खाते से विड्राल के लिए एटीएम पहुंचे हुए थे। 14000 परमंथ सेलरी हाथ में आती है। इतने में माह के अंत तक खर्च के बाद सेविंग कुछ भी नहीं हो पाती है।

दवा में हो जाता है काफी खर्च

जिस टाइम सदन में बजट पेश किया जा रहा था, रतन अपनी मदर के लिए चर्च रोड स्थित एक केमिस्ट पर दवा लेने के लिए पहुंचे हुए थे। रतन की मदर का चर्च रोड एरिया स्थित डॉ। अनिल कुमार के यहां थायराइड आदि का इलाज चल रहा है। रतन का कहना है था कि दवाइयां पब्लिक के लिए बेसिक ही नहीं बल्कि इमरजेंसी नीड भी है। कायदे से गवर्नमेंट को दवाओं को काफी सस्ता करना चाहिए। जिससे हर व्यक्ति अपना और अपने परिजनों का इलाज करा सके।

मरना तो किसान को है

खेती-किसानी से जुड़े रामनिवास का कहना है कि मरना तो खेती किसानी का है। अगर हम लोग पचास हजार का लोन भी ले लें तो उसे चुका नहीं पाते हैं। बैंक की ब्याज सिर पर चलती रहती है। बजट से बेखबर रामनिवास के साथी जगदीश बताते हैं कि किसान की तो फसल बिके तब कहीं जाकर अगली फसल की तैयार की जाती है। इसी में से किसान अपने बाल-बच्चों को पालने की व्यवस्था कर पाता है।