मनरेगा की जांच को किसी भी ब्लॉक ने अभी तक नहीं दिए प्रमाणित अभिलेख

फीरोजाबाद। जिले के ब्लॉकों और मनरेगा से जुड़े विभागों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी सीबीआइ जांच शुरू होने से पहले ही पस्त हो गए हैं। बार बार मांगने पर तीन साल में मनरेगा से कराए कार्यों की सूची तो दे दी, लेकिन उन कार्यों को प्रमाणित करने के लिए अभिलेख उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। इससे जिले में भी गड़बड़ी की आशंका गहराती जा रही है।

मनरेगा कार्यों की पूरे प्रदेश में सीबीआइ जांच चल रही है। वर्ष 2007 से 2010 के बीच कराए गए कार्यों पर सीबीआइ की निगाह है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2008-09 तथा वर्ष 2009-10 में जिले में करीब 50 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। सीबीआइ जांच शुरू होन पर प्रदेश सरकार से यह ब्योरा मांगा गया है कि जिले में इस अवधि में मनरेगा से कितना पैसा खर्च हुआ और उससे क्या क्या काम कराए गएद। जिसे उपलब्ध कराने में खंड विकास अधिकारी और लाइन विभाग के अधिकारी काफी पिछड़ गए। जैसे तैसे कार्यों और उस पर व्यय धनराशि का ब्यौरा तो दे दिया, लेकिन बात जब उन कार्यों से संबंधित अभिलेखों की आई तो पैरों के नीचे से जमीन खिसकती नजर आ रही है। शासन के निर्देश पर पीडी डीआरडीए द्वारा सभी ब्लॉकों और लाइन विभागों से सभी अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां दो दो सैट में मांगी गई थीं। जो कि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। इससे ये बात साफ होती है कि ब्लॉक और विभागों में इन अभिलेखों को या तो तैयार ही नहीं किया गया या फिर अब ये गायब हो गए हैं। इन विभागों के लिए अभी तक राहत ये है कि मनरेगा ने पहले चरण में उन्हीं जिलों में जांच शुरू की है जहां 40-40 लाख रुपये की लागत से कार्य कराए गए हैं। फीरोजाबाद में ऐसा कोई काम नहीं हुआ, इसलिस सीबीआइ ने अभी सीधे तौर पर जिले में दस्तक नहीं दी है।

पर ऐसा हमेशा नहीं होगा। सूत्रों का कहना है कि जैसे ही 40 लाख तक के कार्यों की जांच पूरी होगी। सीबीआइ उससे कम लागत के कार्यों की जांच पड़ताल शुरू कर देगी। उस जांच के दायरे में फीरोजाबाद भी आ जाएगा। ऐसा हुआ तो अभिलेखों के अभाव में सीबीआइ का शिकंजा कसते देर नहीं लगेगी। सूत्रों को कहना है कि अभी तक किसी भी ब्लॉक, पीडब्ल्यूडी एवं सिचाई के पांच में से किसी खंड के अभिलेख जमा नहीं हुए हैं।

अधिकारी की सुनिए

मुझे यहां कार्य भार संभाले हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं। यदि सीबीआइ ने अभिलेख मांगे हैं, तो विभागों से एकत्र कर उपलब्ध कराए जाएंगे। जो नहीं देगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। रमेश चंद्र, उपायुक्त मनरेगा