- सात दिन में प्रमाण पत्र जारी करने का है शासनादेश, 20 दिन बाद भी अता-पता नहीं

- छह राजस्व गांवों के बीच एक खोले जाने का था प्रावधान, 297 केंद्र ही कर रहे काम

आगरा। शासन की ई-डिस्ट्रिक परियोजना के अंतर्गत लोगों को सुविधा दिलाने के लिए शुरू हुए जन सेवा केंद्र उनके लिए सबसे बड़ी असुविधा बन गए हैं। जिले में 390 जनसेवा केन्द्रों में से केवल 297 ही संचालित हो रहे हैं। उन केन्द्रों पर भी लोगों से उगाही की जा रही है। अधिकारियों की उदासीनता के चलते शासन की ई- डिस्ट्रिक परियोजना को पलीता लग रहा है।

सात दिन में जारी होना चाहिए प्रमाण पत्र

शासनादेश के अनुसार फ‌र्स्ट इन-फ‌र्स्ट आउट के आधार पर आवेदन का निस्तारण होना चाहिए। जांच कर सात दिन में प्रमाण पत्र जन सेवा केंद्र से जारी करना होता है। इसमें आवेदक का आवेदन जन सेवा केन्द्र से एसडीएम व तहसीलदार को भेज दिए जाते हैं। इसके बाद लेखपाल को जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट भेजनी होती है। इसके बाद तहसीलदार व एसडीएम स्तर से प्रमाण पत्र प्रमाणित कर जन सेवा केन्द्र को भेज दिया जाता है, लेकिन मौजूदा समय में ऐसा नहीं किया जा रहा है।

'तहसील स्तर पर हो रही उगाही'

एक जन सेवा केन्द्र के संचालक ने बताया कि प्रमाण पत्र जारी करने में तहसील स्तर पर मनमानी की जा रही है। पैसे लेकर काम किया जा रहा है। उनके द्वारा आवेदक कु। मधु बघेल पुत्री कैलाशी का आवेदन 20 दिन पहले किया था। इसकी आवेदन संख्या 16150030083888 थी। अभी तक जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं हो सका है। आवेदन संख्या 16150020066987 से देवेन्द्र सिंह पुत्र महेन्द्र सिंह नाम से जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। वहीं लाखन सिंह की आवेदन संख्या 16150030084216 थी। 20 दिन के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं मिल सका।

390 में से 297 से संचालित

ई-डिस्ट्रिक परियोजना के अनुसार छह राजस्व गांवों के बीच एक जन सेवा केन्द्र खोले जाने का प्रावधान किया गया। मौजूदा समय में 695 जन सेवा केन्द्रों में 390 ही स्थापित हो पाए। मौजूदा समय में 297 जन सेवा केन्द्र ही संचालित हो रहे हैं।