आगरा। एसएन मेडिकल कॉलेज की ईएनटी(नाक, कान, गला) विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ। रितु गुप्ता ने बताया कि पहले हियरिंग लॉस की समस्या 40 की उम्र के बाद ही सामने आती थी। लेकिन अब यह समस्या युवाओं और बच्चों में भी सामने आने लगी है। अब ओपीडी में कम उम्र के बच्चे भी आकर ऐसी शिकायत कर रहे हैैं। उन्होंने बताया कि कान दर्द की शिकायत लेकर किशोर और युवा ओपीडी में आ रहे हैैं। जब उनकी जांच की जाती है तो कई लोगों में हियरिंग लॉस की समस्या देखने को मिली है। शोर और युवाओं की ईयरफोन लगाकर ऑनलाइन पढ़ाई, मोबाइल पर फनी वीडियो और मूवीज देखने की लत से उनके कान की नसें कमजोर होने का खतरा है।

नाजुक होते हैैं कान
डॉ। गुप्ता ने बताया कि कान के भाग बेहद नाजुक होते हैं। कान के अंदरुनी भाग में कोक्लीय के जरिए ही आवाज ध्वनि तरंगों में बदलकर दिमाग तक पहुंचती है, जिससे सुनाई देता है। हमारे कान के सुनने की क्षमता 80 डेसिबल है। जबकि इयरफोन से 90 से 100 डेसिबल से ज्यादा आवाज कानों तक पहुंचती है। लगातार 80 डेसिबल से ज्यादा आवाज सुनने से कान की नसें कमजोर होने की आशंका है। साथ ही वाइब्रेशन से कान के पर्दे पर धमक से नुकसान होने की भी संभावना बनी रहती है।

शेयर न करें ईयरफोन
डॉ। रितु गुप्ता ने बताया कि किशोर और युवाओं के कान में इंफेक्शन की वजह इयरफोन या हेडफोन की शेयरिंग करना है। शेयरिंग के ईयरफोन की साफ सफाई न होने से कान में बैक्टीरिया या फंगस पहुंच जाते हैं, जिससे ही कान में दर्द और कई अन्य बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए साफ सुथरे ईयरफोन का खुद इस्तेमाल करें और हो सके तो ईयरफोन सैनिटाइज करके इस्तेमाल करें।

कम करें ईयरफोन का इस्तेमाल
डॉ। रितु गुप्ता ने बताया कि अधिक समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने से बचें। यदि जरूरी हो तो हमें 45 मिनट से 60 मिनट तक ही कम आवाज में ईयरफोन का इस्तेमाल करना चाहिए। साउंड पॉल्यूशन वाली जगह पर भी ज्यादा देर तक न बैठें। डीजे इत्यादि पर भी ज्यादा समय न बिताएं। यदि डीजे या क्लब में आने के बाद कान में कोई दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। बच्चों को ऑनलाइन क्लास की जगह पर ऑफलाइन क्लास के लिए प्रमोट करें। यदि ऑनलाइन क्लास लेनी पड़ रही है तो स्पीकर ऑन करके क्लास लें। ज्यादा देर फोन पर बात करनी है तो स्पीकर पर करें।

यूं होती है हियरिंग लॉस
डॉ। रितु गुप्ता ने कहा कि कान बेहद नाजुक होता है। कान में तीन भाग होते हैं। यह भाग बाह्य, मध्य और अंदर हैं। अक्सर करके बाह्य और मध्य कान के भाग में दिक्कत होती है। जब कान में चोट लग जाए। कान का पर्दा खराब हो जाए या कान में वैक्स हो तो सुनना भी कम हो जाता है। इनर ईयर में कम सुनने की वजह उम्र के हिसाब से कान की नसें कमजोर होना। यह एक उम्र के बाद ही होता है। हियरिंग लॉस के तमाम कारण है। बाह्य कान में चोट लग जाए या कान में वैक्स हो या कान लंबे समय तक बहता हो। इसे कंडेक्टिव कहते हैं।


अब बच्चों में भी हियरिंग लॉस की समस्या देखने को मिल रही है। शुरुआत में परेशानी का पता चल जाए तो इसका उपचार किया जा सकता है। लंबे समय तक यह समस्या रहने से उपचार करना मुश्किल हो जाता है।
-डॉ। रितु गुप्ता, विभागाध्यक्ष, ईएनटी, एसएनएमसी

इसका रखें ध्यान
-ईयरफोन यूज करने से परहेज करें
-ऑनलाइन क्लास की जगह ऑफलाइन क्लास को प्राथमिकता दें
-ज्यादा देर फोन पर बात करते हैैं तो स्पीकर ऑन करके बात करें


यह बरतें सावधानी
-कान में पानी नहीं जाने दें।
-कान में पेन या सींक न डालें।
-बड्स से कान साफ न करें।
-ईयर फोन का इस्तेमाल न करें।

यह न करें नजरअंदाज
-कान में दर्द होना।
-कान में खुजली होना।
-कान में वैक्स होना।
-फंगल इंफेक्शन होना।
-कम सुनाई देना।

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किसमें कितना जोर
शांति से बातचीत- 30-50 डेसिबल
तेज बातचीत - 60 डेसिबल
मोटर साइकिल की आवाज- 90 डेसिबल
ट्रक की आवाज- 120 डेसिबल
हवाई जहाज की आवाज- 140 डेसिबल
धमाके की आवाज- 164 डेसिबल