-आगरा में फूड सैम्पल हो रहे हैं फेल, फूड एंड ड्रग अथॉरिटी द्वारा चलाई जा रही है ड्राइव

-भेजे गए सैम्पल की जांच आना है अभी बाकी, देशी घी, मिठाई ही नहीं नमक तक के सैम्पल हुए हैं फेल

आगरा। सिर्फ नूडल्स ही नहीं और भी पैक्ड फूड प्रोडक्ट्स आपकी सेहत के खतरनाक हैं। लेकिन, ऐसे फूड प्रोडक्ट्स की जांच करने में खाद्य विभाग खास रुचि नहीं दिखाता। यह हम नहीं बल्कि इसका खुलासा खाद्य विभाग द्वारा पिछले दिनों की गई कार्रवाई में होता है। विभाग द्वारा की गई कार्रवाई पर नजर डालें तो साफ नजर आता है कि पैक्ड फूड की जगह विभाग सिर्फ मिठाइयों की दुकानों तक ही ज्यादा सीमित रहा, जबकि विभाग द्वारा जांच के दौरान कुछ अन्य पैक्ड फूड के सैंपल भी पाए गए थे।

अब तक क्यों सो रहा था विभाग

मैगी में खतरनाक तत्व लेड आदि के पाए जाने के बाद हर तरफ फूड सेफ्टी के नॉ‌र्म्स को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू हो गई है। प्रदेश ही नहीं बल्कि कमोबेश देश के हर हिस्से में मैगी की जांच-परख चल रही है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर इतने व्यापक पैमाने पर इससे पहले पैक्ड फूड की जांच करने की जरूरत क्यों नहीं महसूस की गई? इससे पहले लोगों की जान की परवाह को लेकर गंभीरता बरतना जरूरी नहीं था? हम आपको बताते हैं कि एफडीए की टीम ने बीते वित्तीय वर्ष से लेकर अब तक क्या-क्या किया? आगरा के बाजार से खाने-पीने की चीजों के जो नमूने लिए आखिर उनका रिजल्ट क्या रहा? कितने प्रोडक्ट्स को हेल्थ के लिए नुकसान दायक पाया गया। पढि़ए आई नेक्स्ट की इस खास पड़ताल में,

320 में से 120 फेल

एफडीए टीम द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 294 नमूने लिए गए। इस साल 31 मार्च से अब तक 26 और भी सैम्पल जांच के लिए लखनऊ स्थित लैब में भिजवाए गए हैं। इन सैम्पल में से अबतक लगभग 120 सैम्पल फेल हो गए। इन नमूनों में से करीब एक दर्जन नमूनों को हेल्थ के लिए हानिकारक भी घोषित किया गया, जो नुकसानदायक पाए गए उनमें मिल्क से बनी बर्फी आदि मिठाइयां रहीं। एक नमूने में मसाले को भी इसी श्रेणी में पाया। दो मीट और मीट प्रॉडक्ट्स आदि को भी इसी श्रेणी में माना गया।

1-रहनकला स्थित एक परचून की दुकान से बीती जनवरी महीने में पैक्ड नमक का सैम्पल लिया था। पवन सॉल्ट व‌र्क्स राजस्थान की प्रिंटिंग वाले इस सॉल्ट का नमूना लैब भेजा गया। नमन की पैकिंग पर लिखा था आयोडाइज सॉल्ट लेकिन, जांच में इसमें जीरो आयोडीन पाया गया। जिसकी वजह से इसे असुरक्षित श्रेणी में रखा गया। जबकि इसमें कम से कम 15 पीपीएम आयोडीन होना चाहिए।

2-टेढ़ी बगिया एरिया की एक दुकान से देशी घी का सैम्पल टीम ने लिया था। लैब से इसकी जांच आ गई है। जनवरी में लिए गए इस नमूने में घी के अंदर .9 मिनिमम रिचर्ड वैल्यु (आरएम) पाया गया। जबकि मानक के अनुसार इसकी मात्रा 26 होनी चाहिए। इसकी वजह से इसे भी हेल्थ के लिए ठीक नहीं पाया गया।

3-जनवरी में ही हनुमान नगर से एफडीए टीम ने बर्फी का नमूना लिया था। इस नमूने की जांच लखनऊ स्थित लैब से कराई गई। इसके ऊपर लगा चांदी का बर्क नकली लगाया गया था। चांदी नहीं होकर यह बर्क एल्युमीनियम का निकला। एल्युमीनियम का बर्क हेल्थ के लिए नुकसान करता है।

फूड प्रोडक्ट्स के कुछ नमूने जो जांच में फेल हुए

फूड छापे सैम्पलिंग फेल

मावा 27 27 14

पनीर 16 16 8

घी 11 11 2

मिल्क स्वीट्स 26 26 10

मसाले 22 22 4

पैक्ड वाटर 6 6 5

(फाइनेंशियल ईयर 2014-15 के आंकड़े)

टीम मिले तो काम बढ़े

एफडीए अधिकारी राम नरेश यादव बताते हैं कि टीम में फूड इंस्पेक्टर्स के दो दर्जन पद सृजित हैं। जबकि आगरा की जिम्मेदारी महज आधा दर्जन इंस्पेक्टर्स के ही कंधों पर है। एफडीए को डेढ़ दर्जन इंस्पेक्टर्स कब मिलेंगे, यह भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है। एफडीए की यह स्थिति अगस्त 2011 से हुई है। इससे पहले 22 इंस्पेक्टर्स टीम में कार्यरत थे। लेकिन, नगर निगम की ओर से तैनात फूड इंस्पेक्टर्स से यह पावर खत्म कर उन्हें इस कार्य हटा लिया गया। बाद टीम में काम के लिए महज छह इंस्पेक्टर्स ही बचे। इस वजह से एफडीए का काम काफी प्रभावित हो रहा है।