मुझे डिवोर्स चाहिए

सीनियर एडवोकेट अरविन्द गुप्ता के अनुसार इम्पोटेंसी को आधार बनाकर विवाहिताओं में डिवोर्स मांगने के केसेज का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। जहां पांच-सात साल पहले इस आधार पर नहीं के बराबर ही डिवोर्स की डिमांड की जाती थी। दो-एक साल में एकाध मामला ही इस तरह का सामने आता था। लेकिन, अब सोसाइटी में मेजर चेंज आ चुका है। इसी का नतीजा है कि डिवोर्स पाने की इच्छुक विवाहिताएं पति पर इस तरह के आरोप लगाने से भी पीछे नहीं हट रही है।  

बढ़ रहे ऐसे आरोप

फैमिली मैटर्स के एक्सपर्ट अरविन्द गुप्ता एडवोकेट के मुताबिक, मौजूदा टाइम में फैमिली कोर्ट में लगभग 600 हजार केसेज पेंडिंग है। इनमें से लगभग 40 परसेंट केसेज में विवाहिताओं ने अपने हसबैैंड पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए है। डिवोर्स की अर्जी दायर करने वाली 7 परसेंट विवाहिताओं ने अपने हसबैड पर इम्पोटेंसी तक के आरोप लगाने में झिझक महसूस नहीं की।

पति के अगेंस्ट दे रहीं दलीलें

हुजूर, ये तो मर्द ही नहीं है। आप ही बताइए मैैं इसके कैसे रह सकती हूं। अभी मेरी एज ही क्या है। एक साल पहले ही मेरी मैरिज हुई है। क्या मै एक नामर्द के साथ रहकर अपनी लाइफ चौपट कर दूं। कुछ इसी अंदाज में विवाहिताएं पति के अंगेंस्ट दलील देने में पीछे नहीं हट रही है।

चुप रहते है पीछा छुड़ाने वाले

फैमिली केसेज के एक्सपर्ट राघवेंद्र सिंह बताते है कि लाइफ पार्टनर के साथ कटुता के बाद ही फैमिली मैटर्स कोर्ट की चौखट तक पहुंचते है। इसमें भी नामर्दी जैसे शर्मिंदगी वाले आरोप को लोग सोसाइटी में चर्चा का विषय नहीं बनाना चाहते है। नतीजा, ज्यादातर क्लाइंट्स अपोज नहीं करते है। अगर केस को फेस करने वाला पति कोर्ट में एप्लीकेशन मूव कर रिक्वेस्ट करे तो कोर्ट उसको मेडिकल चेकअप के लिए भेजकर उसके मर्द होने या न होने से संबंधित रिपोर्ट को तलब कर सकता है। यूरोलॉजिस्ट डॉ। अरुण तिवारी के अनुसार, इम्पोर्टेंसी का मतलब है कि मेल के सेक्स पार्ट में इरिकेक्शन नहीं होना। ऐसी सिचुएशन प्राय: कम लोगों को ही होती है। आमतौर पर कमजोर सेक्स विल की कंप्लेन लेकर ही पेशेंट आते है। जोकि इम्पोटेंसी कतई नहीं कही जा सकती है।

डॉ। केसी गुरनानी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक-

मैरिज होते ही फस्र्ट नाइट को लेकर अक्सर ही लड़कों में घबराहट होती है। इसे परफोर्मेंस इन्जाइटी कहते है। इसकी वजह से लड़के ठीक से संपर्क स्थापित नहीं कर पाते है। समझदार और व्यवहारिक लड़कियां तो समझदारी से काम लेती है लेकिन बहुत सी फस्र्ट नाइट के बाद सहेलियों की बातों में आकर पति को इम्पोटेंट मान बैठती है। इससे बचने के लिए लड़कों को दो-तीन दिनों तक वाइफ के साथ संपर्क से बचना चाहिए।

अरविन्द गुप्ता, एडवोकेट-

इम्पोटेंसी के आरोप लगाते हुए डिवोर्स मांगने वाली विवाहित महिलाओं की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। पांच-सात साल पहले यह संख्या नहीं के बराबर हुआ करती थी। साल-दो साल में बमुश्किल एकाध केस ही ऐसा आता था।

डॉ। अरुण तिवारी, यूरोलॉजिस्ट-

आमतौर पर विवाहिताएं पीछा छुड़ाने के लिए इस तरह के घटिया आरोप लगा देती है। जबकि लोगों में कमजोर सेक्स पॉवर की शिकायत होती है। कंप्लीट इम्पोटेंसी का मतलब है कि मेल के सेक्स पार्ट में बिल्कुल भी इरिक्शन नहीं हो।