ऐसे तो नहीं मिलेगा क्लेम

कई सरकारी और गैर सरकारी बीमा कंपनियां उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा का शिकार हुए लोगों का बीमा क्लेम देने को तैयार हैं। इन कंपनियों में एलआईसी और एचडीएफसी शामिल हैं। लेकिन इसके लिए इन कंपनियों ने एक शर्त रखी है। कंपनियों ने यह मांग की है कि मरने वाले लोगों की पुष्टि वहां की सरकार द्वारा जारी होने वाली लिस्ट में होनी चाहिए। तभी वह क्लेम देंगी। ऐसा न होने पर किसी भी तरह का क्लेम कंपनियां देने को तैयार नहीं हैं।

हजारों लोग हैं लापता

बता दें कि उत्तराखंड के केदारनाथ, गंगोत्री और बद्रीनाथ में हुए प्राकृतिक दैवीय आपदा से गांव के गांव तबाह हो गए हैं। हजारों व्हीकल्स पानी के बहाव में बहकर लापता हो गएं। नदी किनारे बने सैकड़ों होटल के होटल पानी में समा गए। 70 हजार लोग बुरी तरह से फं से हैं, जिसमें से आर्मी ने बीस हजार लोगों को अब तक बचा लिया गया है, लेकिन अभी 40 हजार लोग बुरी तरह से फंसे हुए हैं। हजारों लोग लापता चल रहे हैं।

शिनाख्त नहीं तो क्लेम नहीं

बीमा कंपनियों का कहना है कि शासन की लिस्ट में नाम होगा तभी उनके परिजनों को इंश्योरेंस का रुपया दिया जाएगा। लेकिन उत्तराखंड में लोगों के सामने सैकड़ों वाहनों के साथ उनके अंदर बैठे लोग गहरी खाई और नदियों में समा गए हैं। उनकों वहां से निकला तो दूर, सरकार उनके पास पहुंच भी नहीं सकती। जब उन लोगों को पता ही नहीं लगाया जा सकता तो उनकी पहचान को कैसे स्टैब्लिश किया जाएगा।

सैकड़ों लोग हैं लापता

आगरा से 800 महिला, पुरुष और बच्चे केदारनाथ की यात्रा के लिए गए हुए थे। जिसमें से करीब 100 लोग वापस आ गए हैं। लेकिन अभी भी वहां पर सैकड़ों लोगों लापता चल रहे हैं। उनके परिजन उनकी लोकेशन के लिए लगातार पुलिस और कलक्ट्रेट में चक्कर काट रहे हैं। शाहगंज के मनोज अपने पिता बाबा नेमीनाथ को तलाश करने के लिए खुद ही के दारनाथ को संडे मॉर्निग को निकले हैं।

मिला था क्लेम

बाह के पिनाहट निवासी हरिओम शर्मा उनकी पत्नी और बेटी शीतल की केदारनाथ की तबाही में मौत हो गई। परिवार के लोग उनकी बॉडी भी हासिल नहीं कर पाए हैं। एलआईसी के सीनियर ऑफिसर ने बताया कि 2001 में गुजरात के भुज अंजार, अहमदाबाद और सूरत में आई आपदा में 25 हजार लोगों की मौत और लाखों लोग प्रभावित हो गए थे। उन सभी लोगों को शासन की लिस्ट के अनुसार बीमा क्लेम दिया गया था।

'उत्तराखंड मे दैवीय आपदा में जो लोग भी फंसे हुए और उनके साथ इंसीडेंट हो जाता है तो बीमा कंपनी उसे पूरा क्लेम देगी। उसके लिए उत्तराखंड सरकार की लिस्ट में मरने वालों का नाम होना चाहिए। इसके अलावा विशेष फॉरमल्टीज नहीं चाहिए। इससे पहले 2001 में गुजरात में हुए आपदा में भी लोगों बीमा क्लेम दिया गया था.'

-जगदीश सिंह तौमर-एलआईसी डेवलपमेंट ऑफिसर

Report by: matauddin.khan@inext.co.in