- कुछ दिन की सख्ती के बाद पुलिस हो जाती है शांत

- सार दल साल बढ़ रहे महिलाओं से अपराधों के मामले

आगरा। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए महिला संबंधी कानून को और कड़ा किया गया। महिला आयोग भी बना। हेल्पलाइन बनाई गई, कॉलेजों के गेट पर पुलिस पिकैट बनाई गई, बाजारों में महिला कांस्टेबिल तैनात की गई, लेकिन इसके बाद भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध का ग्राफ घटने का नाम नहीं ले रहा है। साल दर साल महिला छेड़छाड़ के मामलों में इजाफा हुआ है। नए साल में जनवरी महीना भी छेड़छाड़ से खाली नहीं रहा।

पुलिस के इंतजाम भी नहीं आते काम

महिला संबंधी अपराध को रोकने के लिए लोकल स्तर पर भी पुलिस ने प्लानिंग की थी। स्कूल, कॉलेज, कन्या महाविद्यालयों के पास पुलिस पिकैट तैनात किया गया। पुलिसकर्मियों की ड्यूटी स्कूल खुलने व बंद होने के समय लगाई गई। कुछ एक मामलों में पुलिस ने कॉलेजों के बाहर से मनचलों को पकड़ा भी था। लेकिन कुछ दिन बाद ही ये कवायद हवा हो गई।

ताजगंज में घर में दबोचा, न्यू आगरा में पकड़ा हाथ

12 जनवरी को ताजगंज में एक युवती को पड़ोस के तीन दबंग युवकों ने घर में दबोच लिया। परिजनों के आने पर वह भाग निकले। पुलिस ने मामले में छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया। 15 जनवरी को न्यू आगरा में महिला के दूसरे पति के दोस्त ने पति से मिलाने के बहाने छेड़छाड़ कर दी। शिकायत पर पुलिस ने मकदमा दर्ज किया।

अपना शगल समझने लगे हैं युवा

मनो चिकित्सक डॉ। केसी गुरनारी की मानें तो जिस तरह से युवा वर्ग वेस्टर्न सोसाइटी से प्रभावित है, उससे भी बहुत प्रभाव पड़ा है। इसमें लोग अच्छा सीखने के स्थान पर बुराई सीख जाते हैं। वही उनके आचरण में शामिल हो जाती है। टीवी का प्रभाव भी कम नहीं है। खुले तौर पर दिखाए जाने वाले चलचित्र भी मानसिकता पर गंभीर प्रभाव डाल रहे हैं। मेरे पास कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें माता-पिता बच्चों की मोबाइल में लगे रहने की आदत से परेशान है। ऐसे लोगों की उम्र 14 से 33 साल तक की है। बच्चे मोबाइल में नेटवर्किंग के माध्यम से आपत्तिजनक वेबसाइट अधिक देख रहे हैं। इससे उनकी पढ़ाई और दिनचर्या प्रभावित हो रही है। उनके स्वभाव में काफी अंतर आ रहा है। उनमें अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण की गलत धारणा बन जाती है। वह सोचते हैं कि कोई उनका विरोध नहीं करेगा। यह धारणा भी ऐसे मामलों को बढ़ाने में कारण है।