- पार्षद ने पूछा फिर अधिकतम घाटे पर क्यों नहीं देते टेंडर?

- अगर पहले गुणवत्ता थी कमजोर, तो आयुक्त ने कितनी की जांच

आगरा। पार्षद का एक सवाल नगर आयुक्त को इतना नागवार गुजरा की उन्होंने अपने माइक को बंदकर दिया। इस एतराज से पूरा सदन सन्न रह गया। लेकिन कुछ देर में ही सदन अपने तौर-तरीके से दोबारा चलने लगी।

निगम का होगा फायदा

पार्षद राजपाल यादव के प्रस्ताव क्रमांक-5 पर चर्चा हुई। पार्षद ने कहा कि पूर्व में 35 प्रतिशत कम तक टेंडर होते थे। अब कुछ महीनों से 15 प्रतिशत से कम टेंडर होने पर निरस्त कर दिया जाता है। जबकि जितना कम से कम टेंडर जाएगा, उतना नगर निगम को फायदा होगा। इस कारण से 15 प्रतिशत कम वाली शर्त को हटाकर अधिक से अधिक कम वाले टेंडर देने को मंजूरी दी जाए। इस पर आयुक्त इंद्र विक्रम सिंह ने 15 प्रतिशत तक सीमित करने पर शासन का हवाला दिया। इस आदेश की कॉपी दिखाने का भी आश्वासन दिया। इस आदेश के जारी होने का कारण गुणवत्ता में फर्क होना भी बताया गया। इस पर पार्षद राजपाल ने आयुक्त से पूछ ही लिया कि पिछले पूर्व आयुक्त डीके सिंह ने कई ठेकेदारों के कई करोड़ों रुपए के भुगतान रोक दिए थे। आप ढाई-तीन सालों से पदस्थ हैं। कितने कामों की जांच की गुणवत्ता जानी। इस पर आयुक्त भड़क गए। उन्होंने माइक बंद करके जवाब देने से मना कर दिया और किसी दूसरे से जवाब लेने की बात कह डाली। इस पर कुछ पार्षदों ने सदन की अवहेलना बताते हुए विरोध दर्ज किया। इस पर सभापति (महापौर) से हस्तक्षेप करने को कहा लेकिन मामले को शांत करा दिया गया।