उस्ताद बांट रहे नीम

मंटोला-ढोलीखार निवासी शू कारोबारी हारुन को, जो यार दोस्तों के बीच उस्ताद के नाम से मशहूर हं विक्टोरिया पार्क में नेचुरल एंटीबॉयोटिक खिलाने के लिए भी फेमस हैं। हारुन बीस साल से नीम की पत्तियों का सेवन कर खुद को स्वस्थ रखे हुए हैं। 12-13 सालों से रेग्युलर मॉर्निंग वॉक करने मोतीलाल नेहरू गार्डन पहुंच रहे हैं। वॉकिंग टाइम में ही दूसरे जोगर्स को नीम की पत्ती का सेवन कराते हैं। यदि वह खुद किसी को नीम देना भूल जाते हैं तो जोगर अपने आप उनसे पत्ती मांग लेते हं। बब्बू ने भी यही किया था। हारुन पुरानी यादों को ताजा कर कहते हैं कि वॉकिंग के शुरुआती दिनों में छीपीटोला निवासी हाजी नूरी ने उनको नीम खाते देखा तो खुद के लिए नीम की पत्तियां मांग ली थीं। उस दिन से हाजी नूरी साथ कि मॉर्निंग वॉकर्स को भी नीम की पत्तियां खिलाने को बेताब रहते हैं।

पेड़ों से है प्यार

हारुन उस्ताद बताते है कि अगर हम पेड़ लगाएंगे नहीं तो हम उसका फायदा कैसे ले पाएंगे। उनका अब तक  नीम के लगभग सौ पौधों से नाता जुड़ चुका है। एक दर्जन पेड़ तो उन्होंने खुद ही लगाए है, बाकी अपने दोस्तों को मोटिवेट करके अलग-अलग स्थानों पर नीम लगवा चुके है। हारुन और उनके दोस्त बताते है कि सूखे पौधे देखना उन्हें कतई अच्छा नहीं लगता। लिहाजा, उन्हें जहां भी मौका मिलता है पौधों में पानी लगाने में भी आगे रहते है।

बेटों के लिए आइडियल

कारोबार का ज्यादातर काम हारुन के दोनों बेटे करते है। इसलिए हारुन अपने इस इंट्रेस्ट में पूरा-पूरा टाइम देते है। उनकी फ्रेंड लिस्ट भी काफी लम्बी होती चली जा रही है। हालांकि पौधे लगाने की बात हो या फिर मॉर्निंग वॉक में मोतीलाल गार्डन में वॉकर्स को नीम की पत्तियां बांटने का काम, बेटे रेहान और राजिक अपने पिता को आइडियल मानते है।

फायदे बहुत है नीम के

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ। हेमंत शर्मा बताते है कि नीम की पत्तियां औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इनका सेवन ब्लड को प्यूरीफाई करने के साथ ही साथ कोलस्ट्रॉल और डायबटीज को कंट्रोल रखता है। यह एंटीबायटिक, एंटी वायरल, एंटी बैक्टिरियल है। सुबह-सुबह वॉकिंग करते हुए पत्तियों को यूज करने से पेट के कीड़ों के साथ तमाम बीमारियों से बचाव होता है।