-नौकरशाह के भ्रष्टाचार से हो रहा आम जनता का शोषण

-युवओं को अपने कंधे पर लेनी होगी आगे की जिम्मेदारी

आगरा। 'पंद्रह अगस्त का दिन कहता- आजादी अभी अधूरी है, सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ नहीं पूरी है। जिनकी लाशों पर पग धरकर आजादी भारत में आई, वे अब तक हैं खानाबदोश गम की काली बदली छाई'। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी गई चंद पंक्तियां वर्तमान परिस्थितियों में चरितार्थ साबित हो रही हैं। आज के हालातों को देखकर गुलामी की बेडि़यों से आजादी दिलाने वाले योद्धा खफा नजर आते हैं। आई नेक्स्ट ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जब आज के हालातों की नब्ज स्वतंत्रता सेनानियों के शब्दों में टटोलनी चाहिए तो उनके मुख से उद्वेलित स्वर फूटे। उनका कहना था कि यदि ये दौर देखना था तो इससे बेहतर तो गुलामी थी। अपनी खुलकर आवाज तो उठा सकते थे, पर आज अपनी आवाज बुलंद करने पर लोकतंत्र के प्रहरी ही नजरबंद कर देते हैं।

जब निकल पड़ता था जन सैलाब

स्वतंत्रता सेनानी चिम्मनलाल जैन के अनुसार आजादी के 70 वर्ष बाद आज भी क्रांति की आवश्यकता है। आज की लड़ाई भ्रष्टाचार और सिस्टम के साथ है। इसके लिए युवाओं को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। वे कहते हैं एक समय हुआ करता था, जब अन्याय और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक आवाज में लाखों लोग घरों से आंदोलन करने निकल पड़ते थे। अपनी आवाज बुलंद करते थे। लेकिन, मौजूदा समय में लोग नौकरशाही से भयभीत हैं।

कोई नहीं आता मदद को आगे

चिम्मनलाल जैन कहते हैं कि आज यदि एक व्यक्ति भ्रष्टाचार से लड़ रहा है, तो कोई भी उनकी मदद को नहीं आता। लोग सिस्टम के खिलाफ अपनी आवाज को दबाकर जी रहे हैं। आज के समय में आम जनता परेशान है। नौकरशाह द्वारा उनका शोषण किया जा रहा है। लेकिन कोई भी इसके खिलाफ आवाज उठाने को तैयार नहीं है। शराब की दुकानें बेखौफ चल रही हैं, इससे कई परिवार तबाह हो गए। और कई इस बर्बादी के कगार पर हैं। मंत्री और विधायक खुद को जनता का हितैषी बताते हैं, लेकिन मूकदर्शक बने देखते रहते हैं।

युवाओं को लड़नी है आज की लड़ाई

स्वतंत्रता सेनानी रानी सरोज गौरिहार ने आजादी की पुरानी यादों को शेयर करते हुए कहा कि एक समय था, जब भारत को आजादी दिलाने के लिए सम्पूर्ण देश एकजुट हो गया था। आज की लड़ाई युवाओं को लड़नी होगी। भ्रष्टाचार, अन्याय व सिस्टम के खिलाफ। तभी देश का विकास संभव है। भारत लगातार प्रगति की ओर अग्रसर है। युवाओं को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। युवा एकजुट होकर वर्तमान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो निश्चित रूप से भारत विश्व की पहली शक्ति बन सकता है। देश के विकास के लिए युवाओं को शिक्षित होना भी बहुत आवश्यक हैं।