आगरा। नगर निगम का एक और गोलमाल सामने आया है। यमुना पार इलाकों में नगर निगम के कचरे का बॉक्स उठाने वाले वाहनों से डीजल निकलवाकर बेचने का खेल चल रहा है। चौंकाने वाली बात ये है कि डीजल को अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों में प्रयोग के लिए बेचा जा रहा है। मामला अफसरों के संज्ञान में है, फिर भी कार्रवाई कुछ नहीं हो रही। मंगलवार को कुछ तस्वीरें आई नेक्स्ट के हाथ लगीं, जिससे इस मामले का खुलासा हुआ है।

शाहदरा चुंगी पर बिक रहा डीजल

नगर निगम के कर्मचारी वर्कशॉप से गाड़ी निकालकर उनमें निर्धारित पेट्रोल पंपों से हजारों लीटर डीजल भरवाते हैं। शहर के अंदरूनी इलाकों से कचरा बॉक्स इन गाडि़यों के जरिए उठाए जाते हैं। ये गाड़ी बॉक्स का कचरा दूसरे स्थान पर फेंककर शाहदरा चुंगी पर एक दुकान पर रूकते हैं। यहां से गाड़ी का चालक दुकानदार की मदद से पाइप के जरिए डीजल एक कैन में निकालता है। कैन का डीजल एक ड्रम में इकट्ठा किया जाता है। निगम के सूत्रों का कहना है कि तीन वाहन अलग-अलग दो स्थानों पर खाली होते हैं, जिनमें से बीस-बीस लीटर डीजल निकाला जाता है।

अन्य दुकानों पर पहुंचता है ईधन

नगर निगम का ये ईधन दुकान से व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर जाता है। सूत्रों का कहना है कि पायल कारीगर और अन्य छोटे कल-कारखानों में ये डीजल यूज किया जाता है। यह मामला नया नहीं है, सूत्रों का कहना है कि इस कार्य को निगम के एक बड़े अधिकारी का संरक्षण है, जिसकी मिलीभगत से कर्मचारी इस कार्य को अंजाम देते हैं। यही इसका मुख्य कारण है कि विभाग के कर्मचारी बिना किसी रोक टोक के सरेराह डीजल चोरी को अंजाम देते हैं। इस तरह विभाग को रोजाना हजारों रुपये का चूना लगाया जा रहा है।

जीपीएस सिस्टम फेल

निगम के वाहनों की निगरानी रखने के लिखने के लिए एक वर्ष पूर्व जीपीएस सिस्टम फीड किया था। कुछ महीने तक तो सब ठीक चलता रहा, लेकिन विभाग पर हावी चोरी करने में लिप्त कॉकस ने इस सिस्टम को फेल कर दिया। इसके पीछे मंशा वाहनों से डीजल निकालने की बतायी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति से अधिकारी अच्छी तरह परिचित हैं।