- बीएससी की छात्रा का सिम स्वैप कर किया अकाउंट खाली

आगरा। आम लोगों को मिली सौगात 4जी को साइबिर शातिरों ने ठगी का जरिया बना लिया है। बैंक अकाउंट बंद होने की फर्जी सूचना देकर शातिर ने सेम नंबर से दूसरी सिम जारी करा ली। 4जी नेटवर्क वाली यह सिम जारी होते ही बैंक कस्टमर के पास उपलब्ध मोबाइल नंबर ने काम करना बंद कर दिया। एक्सपर्ट की मानें तो इस पूरी प्रक्रिया को सिम स्वैप कहा जाता है। बैंक एकाउंट से ऑनलाइन ट्रंाजेक्शन के दौरान जरूरी ओटीपी अब शातिर के मोबाइल पर आसानी से उपलब्ध था। जब तक वह कुछ समझ पाती, उसका एकाउंट खाली हो चुका था।

अकाउंट बंद होने की दी सूचना

थाना न्यू आगरा कौशलपुर निवासी अनु कुमारी पुत्री बालकराम आगरा कॉलेज में बीएससी सेकेंड ईयर की छात्रा है। अनु के मुताबिक 29 दिसंबर को उसके पास एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को बैंक मैनेजर बताया। फोन पर कहा कि अकाउंट और एटीएम बंद होने वाला है। इस पर छात्रा ने बोला कि कल वह बैंक से सम्पर्क करेगी। शातिर ने कहा कि इतनी बड़ी बात नहीं है। दो मिनट का काम है। आधार कार्ड और डेबिट कार्ड नंबर बताते ही अकाउंट चालू हो जाएगा।

एटीएम कार्ड की दी जानकारी

छात्रा ने आधार नंबर, डेबिट कार्ड नंबर व सीवीवी (कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यु) नंबर बता दिया। इसके बाद शातिर ने छात्रा को एक नंबर मोबाइल पर मैसेज किया। इसे नंबर को अन्य एक नंबर पर मैसेज करने के लिए कहा। कहा कि कल जाकर बैंक में चैक कर लें। अकाउंट चालू हो गया है। इसके बाद छात्रा का सिम बंद हो गया। उसकी समझ में नहीं आया कि ऐसा क्यों हुआ।

कर दिया अकाउंट खाली

अगले दिन छात्रा बैंक पहुंची और खाते की जानकारी की तो पता चला कि उसके अकाउंट से 53497 रुपये निकल गए हैं। छात्रा ने थाना न्यू आगरा में शिकायत की। साइबर सेल का कहना है कि इस तरह का मामला अभी नहीं आया है। मामला आने पर पूरी छानबीन की जाएगी।

शातिर ने 4जी अपडेशन का उठाया फायदा

इस पूरे घटनाक्रम में शातिर ने 4जी अपडेशन का फायदा उठाया। एक्सपर्ट के अनुसार एक नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की ओर से टूजी व थ्रीजी सिम को 4जी में अपडेशन कराने का बेहद आसान तरीका मुहैया कराया गया है। इसे सिम स्वैप भी कहते हैं। इसके तहत कस्टमर उसी कंपनी की 4जी सिम कहीं से भी खरीद सकता है। उसके बाद उस सिम पर लिखे नंबर को सर्विस प्रोवाइडर के नंबर पर मैसेज करना होता है। ऐसा करते ही पुराना नंबर बंद हो जाता है। नई 4जी सिम एक्टीवेट हो जाती है। शातिर ने छात्रा से ठगी में यही तरीका अपनाया। बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारी ले ली। बाद में छात्रा से सिम नंबर को सर्विस प्रोवाइडर के नेटवर्क पर सेंड करा दिया। इससे छात्रा का मोबाइल नंबर बंद हो गया। शातिर के पास मौजूद 4जी सिम एक्टीवेट हो गई। छात्रा का मोबाइल अकाउंट में रजिस्टर्ड था। इसके बाद बैंक ट्रांजेक्शन के लिए जरूरी ओटीपी शातिर के पास मौजूद नंबर पर आने लगा।