अगरा (ब्यूरो)। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव पूरी दुनियां झेल रही है, आगरा भी इससे अछूता नहीं है। एयर पॉल्यूशन से ताजनगरी इन दिनों बुरी तरह जूझ रही है। आगरा में एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए प्रयास तो काफी पहले से हो रहे हैैं। इसके लिए हरियाली बढ़ाने के लिए पौधारोपण भी हुआ, लेकिन जिम्मेदार इन पौधों को पेड़ बननेे तक देखभाल नहीं कर पाए। वन विभाग के अनुसार उल्टा शहर की हरियाली लगातार कम होती जा रही है।

नहीं होती देखभाल
ताजनगरी का प्रदूषण कम करने के लिए वन विभाग हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करके लाखों पौधे लगाता है। इन पौधों के लिए बड़ी-बड़ी प्लानिंग के साथ कागजों पर नक्शे तैयार होते हैैं। अभियान के तहत सरकारी विभाग पौधे लगाकर भूल जाते हैैं। बीते आठ वर्ष में पौधारोपण की स्थिति को देखें तो पौधे ट्री-गार्ड से बाहर तक नहीं निकले हैं और जंगलों में हरे पेड़ों की खूब कटाई हो रही है। यही कारण है कि आगरा में हरियाली बढऩे के बजाय और कम हो गई है।

यमुना किनारे लगे पौधों ने तोड़ दिया दम
प्रदूषण को रोकने के लिए वन विभाग की ओर से ताज नेचर वॉक में पौधारोपण किया गया था। ये ट्री-गार्ड में ही दबकर रह गए हैैं। यही हाल यमुना किनारे पर लगे पौधों का हुआ। इन्हें भी बेसहारा पशु खा गए। इसके अलावा अगस्त, 2019 में पौधारोपण अभियान में लगे पौधे दम तोड़ चुके हैैं। इसमें वन विभाग के अलावा 25 विभागों ने अपना-अपना लक्ष्य पूरी किया था, लेकिन इसमें भी खानापूर्ति ही हुई।

अब केवल रह गई पट्टिïकाएं
वन विभाग की ओर से 15 अगस्त, 2013 में बाबरपुर के पास जंगल में पौधारोपण कराया गया था। इसमें तत्कालीन मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर, तत्कालीन राज्य मंत्री अंजुला महौर, तत्कालीन जिला अधिकारी जुहेर बिन सगीर,तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पवन कुमार, तत्कालीन आवास विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अजय चौहान, तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शलभ माथुर, तत्कालीन प्रभागीय निदेशक एनके जानू ने पौधे लगाए थे और सभी अधिकारियों के नाम की पट्टिका भी लगी थीं। अब यहां पर पौधे तो सूख कर खत्म हो गए हैैं और पट्टिकाएं भी गायब करने के इरादे से उखाड़ दी गई हैैं।

बढऩे की जगह घट गई हरियाली
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आगरा का हरित क्षेत्र 9.38 वर्ग किलोमीटर घट गया है। वर्ष 2017 की रिपोर्ट में हरित क्षेत्र 272 वर्ग किलोमीटर था, जो ïवर्ष में 2019 में घटकर 262.62 वर्ग किलोमीटर रह गया। खुले जंगल 9.06 वर्ग किलोमीटर और मध्यम घनत्व वाले जंगल में 0.32 वर्ग किलोमीटर की कमी पाई गई। इस कारण झाडिय़ों का क्षेत्रफल 11.14 किलोमीटर बढ़ा है।

1.25 लाख पेड़ काटे गए
एक दशक में आगरा में वन क्षेत्र 6.85 फीसदी से घटकर 6.69 फीसदी रह गया है, जबकि ताजमहल के कारण यह कम से कम 33 फीसदी होना चाहिए। वन विभाग ने तीन साल में 86 लाख पौधे लगाने का दावा किया है लेकिन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे, इनर रिंग रोड, माल रोड, नेशनल हाईवे, रेलवे, बिजली परियोजनाओं के लिए एक दशक में दनादन पेड़ काटे गए हैं। 1.25 लाख पेड़ों पर विभिन्न योजनाओं और प्रोजेक्ट में आरी चलाई जा चुकी है।

बीते कई साल में हुआ पौधारोपण
वर्ष- 2017-18
-177 हेक्टेयर जमीन में 11.79 लाख पौधे लगाए गए।
वर्ष- 2018-19
-243 हेक्टेयर जमीन में 20.67 लाख पौधे लगाए गए।
वर्ष-2019-20
-766 हेक्टेयर जमीन में 8.61 लाख पौधे वन विभाग ने लगाए।
जनपद में हरियाली की स्थिति

साल हरित क्षेत्र किमी
2011 6.85 परसेंट 276
2013 6.78 परसेंट 273
2015 6.75 परसेंट 273
2017 6.73 परसेंट 272
2019 6.69 परसेंट 262.6

'शहर में हरियाली की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है। शहर में 33 प्रतिशत हरियाली होनी चाहिए, लेकिन यह तीन प्रतिशत से भी कम रह गई है.'
-डॉ। देवाशीष भट्टïाचार्य, पर्यावरण कार्यकर्ता