आगरा। तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के विरुद्ध अनियमितता के विरुद्ध जांच किए जाने के निर्देश राजस्व परिषद ने दिए थे। इसके बाद कमिश्नर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी का गठन भी हो गया था, लेकिन जांच अभी तक शुरू ही नहीं हो सकी है। ऐसे में एक और नया केस कृषि भूमि से आवासीय और आवासीय से कृषि भूमि में परिवर्तित कर राजस्व की हानि की गई। इसमें भी तत्कालीन दो एसडीएम राजस्व परिषद के निशाने पर आ गए हैं।

होनी थी रिकवरी

तत्कालीन अपर जिलाधिकारी रामआसरे और उदयीराम के विरुद्ध नियम विरुद्ध केस किए जाने आदि प्रकरणों की जांच हुई थी। इसमें इन्हें दोषी पाया गया था। इसके साथ ही उस दौरान इनसे रिकवरी किए जाने के भी निर्देश दिए थे। करीब तीन माह पूर्व तीन सदस्यी कमेटी का गठन किया गया था। उस कमेटी को साथ बैठकर जांच करनी थी। लेकिन कमेटी के सदस्य साथ बैठ ही नहीं पा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह कमेटी भी इस प्रकरण को टालने में लगी है। समय सीमा निकल जाने के बाद भी कमेटी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। कमेटी की कार्यशैली सवालों के घेरे में है।

अब आया नया मामला

सदर और खेरागढ़ तहसील में 13 ऐसे प्रकरण सामने आए, जो कि भूमि का नेचर ही बदल दिया गया। इसमें तत्कालीन एसडीएम ने बगैर जांच पड़ताल के लिए भूमि का नेचर बदल दिया। इससे क्रेताओं को स्टाम्प चोरी करने का मौका मिला। इस प्रकरण की जांच पड़ताल हो चुकी है। अब क्रेताओं से स्टाम्प चोरी के प्रकरण में रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है, इसके साथ ही वसूली भी की जाएगी। तत्कालीन एसडीएम को नोटिस भेजे जा रहे हैं। देखना ये है कि अधिकारियों के विरुद्ध ठीक वैसा ही होगा, जैसे करोड़ों की राजस्व को हानि पहुंचा चुके तत्कालीन अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) रामआसरे और उदयीराम के प्रकरण में हुआ है।