ये है पूरा मामला

यह मामला है डीबीआरएयू के खंदारी कैंपस स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट का। इंस्टीट्यूट में छात्र विशाल सिंह बीए वोकेशनल फस्र्ट सेमेस्टर में एडमिशन के लिए पहुंचा। उसकी अटेंडेंस शॉर्ट होने पर डायरेक्टर ने उसे एडमिशन देने से मना कर दिया। इस पर छात्र ने टायफाइड होने का मेडिकल प्रमाण पत्र दिखाते हुए प्रवेश देने की बात कही। लेकिन डायरेक्टर ने पूरे सेमेस्टर में अटेंडेंस न होने पर फिर भी एडमिशन नहीं दिया। ऐसे ही बीए वोकेशनल थर्ड सेमेस्टर के स्टूडेंट भूरी सिंह का प्रवेश भी अटेंडेंस शॉर्ट होने की चलते डायरेक्टर ने निरस्त कर दिया। डायरेक्टर ने छात्र भूरी सिंह के पिता को इंस्टीटयूट भी बुलाया था। जिस पर उन्होंने बेटे की गलती मानते हुए सही से पढ़ाई करने की हिदायत दी थी। लेकिन जब छात्र परेशान हो गया और डायरेक्टर पर दबाव न बना सका तो उसने छात्र नेताओं से मिलकर सेटिंग की और दबाव बनाने का प्रयास किया।

अधिकारियों से डलवाया था दबाव

डायरेक्टर के पास दाल गलती न देख छात्रों ने नेताओं ने जाकर बात की। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को साथ ले जाकर छात्र ने डायरेक्टर पर दबाव बनाने की कोशिश की। इस पर

डायरेक्टर ने कह दिया कि अधिकारियों ने लिखवाकर लाओ। छात्र नेताओं ने अपनी सत्ता की हनक के बल पर अधिकारी को दबाव में लेने का प्रयास किया। इसके बाद भी डायरेक्टर ने छात्रों को एग्जाम में बैठने से मना कर दिया।

ताला डलवाकर दिखाई दबंगई

जब कहीं से कुछ नहीं हुआ तो छात्र नेता दबंगई पर उतर आए। सैटरडे को इंस्टीट्यूट में सेमेस्टर एग्जाम शुरु होने थे। तभी एग्जाम शुरु होने से पहले सपा छात्रसभा के जिलाध्यक्ष आलोक यादव समेत कई छात्र नेता इंस्टीट्यूट पहुंच गए और इंस्टीट्यूट में ताला डाल दिया। जिससे एग्जाम कैंसिल हो गया। इस दौरान छात्रों ने डायरेक्टर पर कई तरह के आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक एडमिशन नहीं होगा, तब तक एग्जाम नहीं होगा।

नहीं झुके डायरेक्टर

इधर, इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर लवकुश मिश्रा भी अपनी बात पर अड़े रहे। उन्होंने गलत तरीके से प्रवेश के लिए मना कर दिया। उनका कहना था कि एक तो छात्रों की अटेंडेंट शॉर्ट है दूसरी बात ये कि अपने फॉर्म भरने के लिए लास्ट डेट के बाद आए थे। इसलिए इनका एडमिशन नहीं हो सकता। ऐसा हुआ तो अन्य छात्रों का भविष्य खराब होगा। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने छात्रों से बात की और उन्हें आश्वासन देकर शांत करा दिया।

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

मामले की जानकारी होने पर कोई भी अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा। जबकि पुलिस ने जाकर एक अधिकारी से बात की। सोर्सेज का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी का मामला होने की वजह से हर अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। जबकि डायरेक्टर अकेला लड़ाई लड़ रहा है।

स्टूडेंट्स को हुई परेशानी

दो छात्रों की वजह से दर्जनों स्टूडेंट्स को परेशानी झेलनी पड़ी। एग्जाम की तैयारी करके आए स्टूडेंट्स को खाली हाथ लौटना पड़ा। उनका कहना था कि इस तरह से अपनी बात को कहना गलत है। दो छात्रों पीछे दर्जनों छात्रों का भविष्य खतरे में है। छात्रों का कहना था कि जैसे तैसे तो एग्जाम शुरु हो रहे थे, उसमें इस तरह से हंगामा करके एग्जाम कैंसिल नहीं कराना चाहिए था।

राहुल, स्टूडेंट

इस तरह से एग्जाम कैंसिल कराना गलत है। दो स्टूडेंट्स की वजह से हमारा नुकसान हो रहा है।

समर, स्टूडेंट

दो छात्रों की वजह से हमारा एग्जाम कैंसिल हुआ है। वैसे तो एग्जाम देरी से हो रहे हैं। उसमें कैंसिल करवाना, हंगामा करना, ये सब गलत है।

लवकुश मिश्रा, डायरेक्टर, आईटीएचएम

छात्रों की अटेंडेंस शॉर्ट है। मैनें प्रवेश देने से मना कर दिया है। दोनों छात्र अर्हताएं पूरी नहीं करते। इस तरह हंगामा करके ताला डलवाना और एग्जाम कैंसिल कराना, अनुशासनहीनता है।

आलोक यादव, जिलाध्यक्ष, सपा छात्रसभा

डायरेक्टर ने छात्रों का प्रवेश लेने से मना कर दिया है। हमने डायरेक्टर से बात की थी। जब उन्होंने प्रवेश लेने से मना कर दिया, तो आज ताला डाला दिया है। प्रवेश न होने पर भूख हड़ताल की जाएगी.

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