सीवर की अव्यवस्था से पब्लिक परेशान, यमुना में छोड़ा जा रहा नाले का पानी

- जलकल और वबाग कंपनी दोनों की प्लानिंग फेल

आगरा : सिटी में जगह-जगह सड़कों पर सीवर का पानी बह रहा है। इतना ही नहीं, एनजीटी की रोक के बाद भी गंदे नाले का पानी और सीवर को यमुना में गिराया जा रहा है। बीते कई वर्षों से यह समस्या सॉल्व नहीं हो पा रही है। जलकल से वबाग कंपनी को जिम्मेदारी दी गई लेकिन समाधान फिर भी नहीं निकला। फ्राइडे को शहर में आई नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट (नीरी) की टीम के सामने भी यह अव्यवस्था उजागर हुई। टीम के सदस्यों ने इस पर सख्ती दिखाते हुए तत्काल समाधान निकाले जाने की बात कही। आइए जानते हैं समस्या की जड़ को टटोलती यह रिपोर्ट।

60 फीसदी आबादी के लिए सीवर लाइन नहीं

शहर में 60 फीसद आबादी के लिए अभी तक सीवर लाइन नहीं है। सीवर की गंदगी गली-मुहल्लों और सड़क पर बह रही है। उ.प्र। जल निगम के तहत यमुना प्रदूषण नियंत्रण इकाई के जानकारों की मानें तो 100 वार्ड के शहर में तकरीबन 1400 किमी। सीवरेज लाइन की दरकार है। मौजूदा समय में केवल 910 किमी। की सीवरेज लाइन है।

सीवर लाइन बिछाने का काम धीमा

शहर में अमृत योजना के तहत सीवरेज लाइन बिछाने का काम कछुआ चाल से चल रहा है। शहर में 251 किमी। सीवर लाइन डाले जाने का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है। इसके लिए 394.78 करोड़ का प्रपोजल तैयार किया गया था। इसमें 47827 सीवर के कनेक्शन भी होने थे। इस योजना में 33.33 प्रतिशत केंद्र सरकार, 26.67 प्रतिशत राज्य सरकार और 30 प्रतिशत स्थानीय स्तर पर खर्च किया जाना था। इसमें कुछ स्थानों के लिए तो अभी केवल कागजों में सर्वे का काम ही पूरा हो सका है। इसमें पहले चरण में 29.3576 करोड़ से 28079 कनेक्शन और दूसरे चरण में 15.9797 करोड़ से 11780 कनेक्शन पूरा होने का दावा अफसर कर रहे हैं। वहीं, तीसरे चरण में 26.7954 करोड़ से 13051 कनेक्शन किए जाने का काम चल रहा है। चौथे चरण में 15.4140 करोड़ से 7627 चेम्बर कनेक्टिंग का काम शुरू नहीं हो सका है। हालांकि जलनिगम के अफसरों का दावा है कि काम चल रहा है।

महीनों से चल रहा भगवान टॉकीज पर काम

भगवान टॉकीज में महीनों से सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हो सका है। 9.71 करोड़ की लागत से भगवान टॉकीज से अबुल उल्लाह की दरगाह तक 1472 मी। की सीवर लाइन बिछाई जाने का काम चल रहा है। जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज ने सीवर लाइन बिछाने का प्रपोजल तैयार किया है। नवंबर 2018 में इस प्रस्ताव को अप्रूव कर दिया गया। मार्च 2019 में काम पूरा किया जाना था, जो अभी तक जारी है।

शहर में मौजूदा समय में 286 एमएलडी वेस्ट वाटर उत्पन्न हो रहा है। इसमें कुछ तो सीवेज सड़कों पर फैला पड़ा है, जो एसटीपी पर पहुंच रहा है। उसका ठीक से शोधन नहीं हो पा रहा है। इनकी 220.75 एमएलडी शोधन क्षमता है। ये मौजूदा समय में 143.50 एमएलडी वेस्ट वाटर का शोधन कर पा रहे हैं।

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आठ जोन में है सीवेज प्रबंधन

नॉर्दर्न जोन, वेस्ट जोन, साउथ जोन, साउथ जोन थर्ड, साउथ जोन सेकेंड, ईस्ट जोन, ताजगंज जोन, सेंट्रल जोन

सीवेज प्रबंधन की स्थिति

शहर में कुल बड़े 441 नाले हैं, जिसमें 29 नाले पहले से ही टेप्ड हैं। 27 नालों पर जालियां लगी हुई हैं। एक करोड़ की लागत से 63 नालों पर जालियां लगाने का काम गत महीनों में किए जाने का दावा किया था, जो 31 मई 2019 तक पूरा करना था, हालांकि अभी जालियां लगाने का काम पूरा नहीं है। वहीं अफसरों का दावा है कि नाले टेप्ड कर दिए गए हैं।

मॉनीटरिंग भी फेल

कहने को शहर में 9 एसटीपी है, लेकिन बिचपुरी एसटीपी का उपयोग नहीं हो पा रहा है। मौजूदा समय में आठ एसटीपी कार्य कर रही हैं। ये 143.50 एमएलडी वाटर का ही शोधन कर पा रही हैं। आठ एसटीपी की वेस्ट वाटर शोधन की क्षमता 220.75 एमएलडी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये हैं, कि शहर में हर रोज 286 एमएलडी वेस्ट वाटर उत्पन्न हो रहा है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अपनी क्षमता के अनुरुप काम नहीं कर पा रहे हैं। इसका बड़ा कारण सीवेज एसटीपी और पंपिंग स्टेशनों की मॉनीटरिंग न हो पाना बताया जा रहा है।

नमामि गंगे अभियान कैसे होगा सार्थक

यही स्थिति रही तो नमामि गंगे अभियान कैसे सार्थक हो पाएगा। इस स्त्राव के ट्रीटमेंट के लिए 1476.99 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था। अब अलग से वन सिटी वन ऑपरेटर का 857.26 करोड़ का प्लान तैयार किया गया है।

एसटीपी का नाम कैपेसिटी (एमएलडी में) करंट ऑपरेटिंग (एमएलडी में)

धांधूपुरा 78.00 70.00

पीलाखार 10.00 9.50

नगला भूरी 2.25 3.50

जगनपुर 14.00 12.00

देवरी रोड 12.00 7.00

बिचपुरी 40.00 18.00

धांधूपुरा 24.00 18.00

बिचपुरी एडीए 36.00 3.00

कालिंदी विहार 4.50 2.50

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कुल 220.75 एमएलडी 143.50

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शहर में ये काम संभालेगी वबाग

शहर में सीवेज प्रबंधन की कमान वबाग ने संभाल ली है। अब कंपनी शहर में सीवर सफाई, सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों के संचालन व नई सीवर लाइन डालने की व्यस्था, एसटीपी व इससे संबंधित मेन पंपिंग स्टेशन, इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन, सीवरेज पंपिंग स्टेशन, नाला-टैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सीवरेज नेटवर्क के संचालन की पूरी जिम्मेदारी संभाल रही है।

रखरखाव पर इतना खर्च

शहर के सीवेज मैनेजमेंट के रखरखाव पर वबाग कंपनी द्वारा 42 करोड़ 80 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसका भुगतान राज्य सरकार की ओर से किया जाएगा। नगर निगम का कंपनी के साथ जो करार हुआ है, वो 10 वर्ष के लिए किया गया है।