- सर्दी के बाद नहीं खुले ताले

- ठेकेदारों के कर्मियों ने किया कब्जा

आगरा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सर्द रातों में मुसाफिरों को आराम की नींद देने के लिए जगह-जगह शेल्टर हाउस (रैन बसेरा) तो बना दिए गए हैं, लेकिन नगर निगम की अफसरशाही के चलते ये जरूरतमंदों के काम नहीं आ रहे हैं। इसका करण शहर के अधिकांश शेल्टर हाउस में तालाबंदी है।

नहीं हो पा रहे संचालिते

शहर में मुसाफिरों के रुकने के लिए अलग-अलग स्थानों पर 13 शेल्टर हाउस बनाए गए हैं। इनमें बेड से लेकर खाना बनाने के साथ मनोरंजन के साधन सभी उपलब्ध कराए गए हैं। ये खासतौर पर सर्द रातों में मुसाफिरों को सुकून देने के लिए तैयार कराए गए हैं। लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की उदासीनता के चलते शहर के अधिकांश शेल्टर हाउस अब तक संचालित नहीं किए जा रहे हैं। मुसाफिर जैसे-तैसे शेल्टर हाउस में पहुंच भी रहा है, तो वहां ताला बंद देखकर मायूस लौट रहा है। इससे बेपरवाह नगर निगम प्रशासन ने शेल्टर हाउस को अब तक शुरुआत करने की भी कोशिश नहीं की है। हालांकि नगर आयुक्त ने शेल्टर हाउस को सभी संसाधनों के साथ मुसाफिरों के लिए खोलने की बात कही है।

खंदारी में ठेकेदार का कब्जा

शेल्टर हाउस में मुसाफिरों को जगह नहीं मिल रही है। वहीं नगर निगम के ठेकेदारों के लिए आरामगाह बन चुके हैं। खंदारी में एक शेल्टर हाउस है। इसमें पूरे दिन ताला लटका रहता है। रात में गेट के अंदर से ताला बंद कर लिया जाता है। बताया गया कि यहां नगर निगम के ठेकेदार के मजदूर का परिवार निवास करता है।

गधापाड़ा में कर्मियों का कब्जा

इतना ही नहीं गधापाड़ा के शेल्टर हाउस में सिर्फ एक कमरा ही विश्राम के लिए बेहतर है। इसमें नगर निगम के कर्मचारियों का कब्जा है। वे पिछले दो साल से यहां निवासरत हैं। बाकी सभी जर्जर हो चुके हैं और सभी के गद्दे-रजाई तक खराब हो चुके हैं। ऐसे में मुसाफिर रुके कहां।

फुटपाथ में बीताते हैं रात

राजामंडी के फुटपाथ पर मुसाफिर रात काटते हैं। ये शेल्टर हाउस तक पहुंचे, लेकिन तालाबंद देखकर वापस लौट गए।