- सर्किट हाउस समेत अफसरों के आवास के सामने स्ट्रीट लाइटें हैं हाई मास्ट

- जबकि शहर के तमाम गली-मोहल्लों में उजाले तक को तरस रही है पब्लिक

आगरा। शहर में सड़कों को भी आदमी के कद के अनुसार रोशन किया जा रहा है। आम जनता को हर सुविधा की तरह रोशनी के नाम पर सिर्फ दिया तले अंधेरा ही दिखाया जा रहा है, वहीं वीआईपी लोगों को दूधिया रोशनी से नहलाया जा रहा है। ये दोहरा रवैया स्ट्रीट लाइटों की रोशनी फैलाने पर बरता गया है। इस बंटवारे से आम जनता परेशान है, वहीं वीआईपी आवास क्षेत्र में हर सुविधा की तरह स्ट्रीट लाइट में भी वीआईपी ट्रीटमेंट ही मिल रहा है।

दोहरा रवैया है जिम्मेदार अफसरों का

शहर की सड़कों को रोशन करने के लिए एडीए और नगर निगम ने अपने-अपने क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटें लगाई हैं। इसमें सड़कों का वर्गीकरण (छोटी-बड़ी) करके लाइटों को कम से अधिक वॉट तक लगाया गया है। इसमें जनता को सुविधाओं के नाम पर सिर्फ मरहम लगाने का काम किया गया है। इनकी लाइटें कम वॉट की लगाई गई हैं, वहीं अधिकांश लाइटें हमेशा बुझी रहती हैं। जबकि वीआईपी आवास के आसपास की सड़कें दूधिया रोशनी से जगमग होती हैं। इसके लिए 400 वॉट तक सीएफएल, एलईडी व बल्ब रोशनी फैलाते हैं। इतना ही नहीं ये लाइटें खराब होते ही तत्काल बदल भी जाती हैं। जबकि शहर के अधिकांश मोहल्ले और गलियां अंधेरे में डूबे रहते हैं। कुछ लाइटें जलती भी हैं, तो रोशनी सड़कों तक नहीं पहुंचती। प्रशासन का ये दोहरा रवैया जनता को परेशान करने वाला है।

600 लाइटों से जगमग एरिया

सर्किट हाउस सहित वीआईपी आवासों की सड़कों पर 600 प्वाइंट में स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। इनमें 400 वॉट की रोशनी सड़कों को रोशन करती रही हैं। यहां से फॉग में भी निकलने का रास्ता दिखाई देता है।

40 वॉट, वो भी बंद

गली मोहल्लों में 40 से 70 वॉट तक की स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। उसमें अधिकांश बंद हैं। लोगों की शिकायत के बाद भी लाइटें सुधारी नहीं गई। इसका कारण बताया गया कि शासन का आदेश है कि नई लाइटें नहीं लगानी है, जबकि वीआईपी एरिया में बंद लाइटें तत्काल बदल जाती हैं।

मुख्य सड़कों पर भी 250 वाट की रोशनी

रात में रोशनी की सबसे ज्यादा जरूरत मुख्य सड़कों पर महसूस होती है। इन सड़कों पर भी महज 250 वॉट की ही लाइटें लगाई गई हैं।