टाइम - 1.30 बजे

प्वाइंट - आगरा कैंट रेलवे स्टेशन

 रात के डेढ़ बजे हैं, आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर ठिठुरती ठंड में भी चहल-पहल है। लोग कम हैं, इक्का-दुक्का लोग स्टेशन के बाहर खड़े दिखाई दे रहे हैं। स्टेशन के बाहर कुछ ऑटो वाले देर रात ट्रेन से उतरने वाले पैसेंजर्स के इंतजार में अलाव जलाकर बैठे हैं। अलाव की आंच मंदी न पड़े इसलिए बीच-बीच में अलाव को ऑटो वाले बारी-बारी से फूंक भी रहे हैं। पान-बीड़ी की एक-दो दुकानें भी खुली हुई हैं। एक ऑटो वाले से जब हमने पूछा कि वह रात को कब तक ऑटो चलाता है तो उसका जवाब था कि साहब दिन में तो शहर जाम रहता है। इसलिए रात को ही ऑटो चलाता हूं। दूसरे, रात को सवारी से थोड़ा ज्यादा पैसा भी मिल जाता है। तभी ऑटो वाले अलाव के पास से खड़े होकर स्टेशन के गेट की तरफ लपके, शायद कोई ट्रेन पहुंची थी। ओमप्रकाश भी लपका रेलवे स्टेशन के पोर्टिको की ओर। कई लोगों के पीछे लपका। उनमें से कुछ ने उसके मिन्नत भरे लहजे को अपने रूआब भरे अंदाज से ठोकर मार दी। कुछ ने कहा कि घर से कार लेने आई है। ओमप्रकाश के साथ में से कुछ को पैसेंजर मिल गए। लेकिन, करीब 15 मिनट पैसेंजर्स के पीछे-पीछे भागने के बाद उसे अहसास हो गया कि इस सर्द रात में जागना बेकार ही जाएगा। तभी उसे खबर मिली कि फॉग की वजह से फंसी कोई ट्रेन प्लेटफार्म पर पहुंचने वाली है। जिस फॉग को लेकर वह हर रात कोसता आया था, वह उसे ही अपनी किस्मत मानकर फिर लकडिय़ों के आंच के पास बैठकर बीड़ी फूंकने लगा।

सर्द हवा हमें क्या डराएंगी?

टाइम - 2.00 बजे

प्वाइंट - ताजमहल का वेस्ट गेट

रात करीब दो बजे हमारी गाड़ी ताजमहल रोड के वेस्ट गेट की तरफ बढ़ती है। हाई सिक्योरिटी इलाका, सामने पुलिस बैरियर लगे हैं। ओवरकोट पहने एक पुलिसकर्मी ने पुलिसिया रौब में कहा कि यहां आना मना है कौन है वहां। दूसरे पुलिसकर्मी ने हाथ में इनसास लेकर हमारी तरफ पोजीशन ले ली। अलाव ताप रहे सात-आठ पुलिसकर्मी एक दम से एलर्ट हो गए। तभी हम में से एक नीचे उतरा और कहा कि पत्रकार हैं, भाई। रात को नाइट रिपोर्टिंग पर निकले हैं। सभी कार से उतरकर पुलिसकर्मियों के पास पहुंच गए। सभी पुलिसकर्मी खड़े हो गए। इंट्रोडक्शन देने के बाद भी पुलिसकर्मी एलर्ट थे। उनका इंचार्ज हमारी तरफ मुखातिब हुआ। आवाज का लहजा पुलिसिया था, लेकिन फिर भी आवाज में नरमाहट थी। वह बोला साहब हाई सिक्योरिटी जोन है। यहां रात को कोई नहीं आ सकता। यदि आप लोग जवाब नहीं देते तो हमें मजबूरी में एक्शन लेना पड़ता। इसमें आपकी जान भी जा सकती थी। करीब पांच मिनट तक पुलिसकर्मियों से बातचीत करने और उनका ड्यूटी शेड्यूल पता करने के बाद हम वहां से रुखसत हुए।

Report by- Aditya bhardwaj, Piyush sharma, Arun kumar srivastav, photographs by Amit shivhare