- हुजूर, कोई तो ट्रैफिक देखे

- जहां चाहिए वहां लगे नहीं, जहां लगे वे भी बंद

- बूथ बने रद्दी सामानों के काउंटर

आगरा। चौक-चौराहों पर सिग्नल नहीं, हैं तो वे भी बंद। ट्रैफिक पुलिस भी सड़क किनारे आराम फरमाती है। बूथों से पुलिस गायब है और यहां जानवरों का कब्जा है। इन सभी कारणों से जाम लगता है। हुजूर इस ट्रैफिक को कोई तो देखे। हमें कराहते ट्रैफिक जाम से निजात चाहिए, जो हमारा हक है। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था के संसाधनों और ट्रैफिक पुलिस कर्मियों पर आई नेक्स्ट ने पड़ताल की, तो सामने आया कि जनता के हक ट्रैफिक पुलिस के गलत निर्णयों की भेंट चढ़ चुके हैं।

संसाधनों का बेहतर उपयोग जरूरी

ट्रैफिक पुलिस प्रशासन सिग्नलों को बेहतर बनाने के साथ कई अन्य हाईटेक तरीकों को तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन वे अपने ही संसाधनों का पूरी क्षमता से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। बड़े चौक-चौराहों पर सिग्नलों को उल्टा लगा दिया है। दुर्घटना बहुल चौक-चौराहों पर अब तक सिग्नल लगाए नहीं गए हैं। यहां तैनात ट्रैफिक कर्मी सड़क किनारे ही खड़े रहते हैं। इन मौजूदा संसाधनों का बेहतर उपयोग और ट्रैफिक पुलिसकर्मी की सजगता से ही काफी हद तक ट्रैफिक को कंट्रोल किया जा सकता है।

सिकंदरा चौक का उल्टा सिग्नल

शहर का सबसे व्यस्त्तम चौक में एक सिकंदरा चौक पर सिग्नल लगे तो हैं, लेकिन ये उल्टी दिशा पर लगे हुए हैं। मथुरा से शहर प्रवेश का सिग्नल झुका हुआ है। ट्रैफिक पुलिस की इस अंधेरगर्दी से सिग्नल का उपयोग तक नहीं हो पा रहा है।

गुरु के ताल गुरुद्वारा

गुरु के ताल गुरुद्वारा सड़क पर रोड क्रास करने के लिए चौक बनाया गया है। लेकिन यहां से धीमे गुजरने के लिए यलो ब्लिंकर तक नहीं लगाया गया है। यहां पुलिस कर्मी की ड्यूटी रहती है, लेकिन ये सड़क किनारे ही आराम फरमाते रहते हैं।