आगरा(ब्यूरो)। पीडि़ता कांता देवी निवासी आगरा ने पुलिस कमिश्नर डॉ। प्रीतिन्दर सिंह से सिम फर्जीवाड़े के संबंध में शिकायत की थी। जिसमें बताया कि वो मलपुरा क्षेत्र में ई-श्रमकार्ड बनवाने के लिए गई थी, जिसमें वहां मौजूद जितेन्द्र कुमार व अन्य साथियों के द्वारा बायोमेट्रिक लगवा लिया, कुछ दिन बाद जानकारी हुई कि उसके नाम पर फर्जी सिम जारी कर दी गई है। इसकी जांच पुलिस कमिश्नर ने जिला साइबर सेल को दी।

मथुरा और राजस्थान मेें सिम मिली एक्टिव
पकड़े गए तीनों आरोपियों ने बताया कि वे जन सेवा केन्द्र पर आने वाले लोगों से उनके आधार कार्ड और बॉयोमेट्रिक के जरिए फर्जी सिम जारी कराते थे ये सिम दो या उससे अधिक रुपए में मेव गैंग को भरतपुर, मथुरा बेचते थे, सिम की जरुरत पढऩे पर आरोपी प्लान के तहत भोले-भाले लोगों की आईडी के जरिए सिम गैंग को मुहैया कराते थे। इसके जरिए से गैंग साइबर ठगी को अंजाम देता था। गैंग को ये शातिर फर्जी सिम 2000 से तीन हजार रुपए में मुहैया कराते थे।

मेवाती इस तरह करते हैं फ्रॉड
फर्जी आईडी से सिम जारी कराने के बाद मेवात गैंग फ्रॉड की वरादात को अंजाम देता था। वे अपने क्षेत्र से कॉल कर फोन कॉल के जरिए लोगों से धोखाधड़ी करते थे। वहीं जांच के दौरान फर्जी सिम की जानकारी की गई तो पाया कि उक्त फर्जी सिम मेवात क्षेत्र में संचालित हैं, वर्तमान में उनकी लोकेशन मथुरा, भरतपुर और राजस्थान के इलाकों में है। इन सिम के जरिए वे फौजी बनकर ओएलएक्स व अन्य साइट के जरिए से यूपीआई और क्यूआर का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की जा रही है। साइबर क्राइम सेल द्वारा उपरोक्त रजिस्ट्रेशन मुकदमे में प्राप्त मोबाइल नंबर, बैंक खातों के आधार पर तकनीकी जांच कर जानकारी प्राप्त की गई, उनके नाम व पतों को तस्दीक किया गया तो वह क्षेत्र से फर्जी सिम बेच रहे हैं, इसको थाना मलपुरा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया ।

देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़
फर्जी सिम का इस्तेमाल हनी ट्रैप के साथ, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हो सकता है। ऐसे मेें पुलिस आरोपियों के पास से 75 फर्जी आईडी से जारी एक्टिव सिम बरामद की है। शातिर इन सिम का इस्तेमाल इंटरनेशल कॉल्स कर करते थे, ठगी के जरिए बड़ी रकम मिलने के बाद उस सिम को बंद करते थे। इसके बाद दूसरी सिम का इस्तेमाल किया जाता था। ऐसे ही आरोपी गैंग जन सेवा केन्द्र पर आने वाले लोगों से आधार कार्ड लेकर बॉयोमेट्रिक के जरिए आईडी लेकर सिम जारी कराते थे।

फर्जी आईडी से जारी सिम का आपस में बांटते थे रकम
पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्त पीयूष निवासी इरादतनगर पीओएस, अजीत वीआई का डिस्ट्रीब्यूटर व जितेन्द्र जीओ का एजेन्ट है, हम सब मिलकर लोगों के ई-श्रम कार्ड व अन्य योजनाओं के नाम पर गांव के लोगों से धोखे से अंगूठा निशानी व फोटो लेकर सिम इश्यू कर देते हैं जिनको आशीष पूर्व सीएससी यूनियन बैंक आगरा के द्वारा पूर्व में एक्टिवेट कराए सिम को 2000 से तीन हजार रूपए में बेच देते हैं, जिनको आशीष मेवात व अन्य क्षेत्रों में बेचकर रुपया लेता है, इसको हम सब आपस में बांट लेते हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपी
-अजीत कुमार पुत्र छत्तर सिंह, निवासी गांव- सूर्जपुरा, थाना इरादतनगर
-जितेन्द्र कुमार पुत्र शिवदत्त निवासी गांव- कबूलपुर थाना मलपुरा
-पीयूष कुमार पुत्र सुभाष कुमार, कस्बा व थाना इरादतनगर
शातिर आरोपियों से बरामदगी
-मोबाइल फोन
04
-फ्रि न्गरप्रिन्ट स्केनर
01
-आधार
01
-फर्जी सिम एक्टिवेटिड
75

इन धाराओं में किया दर्ज मुकदमा
-पुलिस ने पकड़े गए तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468 आईपीसी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया है।


कैसे फर्जी सिम कार्ड करे पहचान
सबसे पहले वेबसाइट पर जाना होगा और वहां अपना मोबाइल नंबर भरना होगा, उसके बाद आपको एक ओटीपी आएगा।
ओटीपी समिट करने के बाद एक लिस्ट दिखेगी, जहां से आपको पता चल जाएगा कि आखिर आपके आधार पर कितने नंबर रजिस्टर्ड हैं। उसके बाद आप जो नंबर आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उसको ब्लॉक कर दीजिए। कंज्यूमर को एक ट्रैकिंग आईडी दी जाएगी, जिससे पता लगाया जा सकेगा कि आधार आधार पर अवैध नंबर इश्यू कराने वाले के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया है?

फर्जी सिम की वजह से होने वाली समस्या
अगर आपके आधार कार्ड पर फर्जी मोबाइल सिम कार्ड दर्ज हैं, तो आपको भारी नुकसान पड़ सकता है, क्योंकि आपके नाम पर रजिस्टर्ड फर्जी सिम से कोई भी गलत काम होने पर आपको दोषी माना जाएगा। साथ ही ऐसे मामलों में आपको जेल तक जाना पड़ सकता है।

शातिरों को गिरफ्तार करने वाली टीम
तेजवीर सिंह थाना प्रभारी निरीक्षक थाना मलपुरा, सुल्तान सिंह प्रभारी निरीक्षक साइबर सेल, उनि सुबोध मान, साइबर सेल अमित कुमार, विजय तोमर, सनी कुमार, मनोज कुमार, अविनाश कुमार साइबर सेल.