प्रयागराज ब्यूरो । : हाथ में मोबाइल फोन है तो थोड़ी देर रखकर इस पूरी खबर को पढि़ए। पढऩे के साथ इसे समझने की कोशिश भी करिए। क्योंकि यह सिर्फ आप का पैसा ही नहीं जिंदगी भी बचाएगी। वर्ना डीपफेक तकनीक से शातिर आप को बर्बाद व बदनाम करके ही दम लेंगे। इस लिए जागरूकता ही बचाव का एक सही व सरल माध्यम है। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद साइबर थाना व सेल के सरकारी एक्सपर्ट कहते हैं। डीपफेक से फ्राड न सिर्फ आवाज बल्कि तस्वीरें भी किसी भी मूवी में मौजूद शख्स के चेहरे पर सेट करके वायरल कर सकते हैं। संभव है कि यह आप डीपफेक का प्रयोग कर आप की आवाज में जानने वालों से पैसे की डिमांड करने के साथ अशोभनीय वीडियो तैयार कर ब्लैकमेलिंग शुरू करें। डीपफेक एआइ यानी आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस के जरिए तैयार किया जाता है।

अलर्ट हुए पुलिस व साइबर एक्सपर्ट
साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि डीप फेक के केस फिलहाल प्रयागराज शहर में नहीं है। मगर, गैर प्रदेशों में बढ़ती डीपफेक की घटनाओं को देखते यहां पुलिस अलर्ट हो चुकी है। साइबर थाने की पुलिस लोगों को डीपफेक से बचने के लिए जागरूक करने में जुट गई है। इससे रिलेटेड जानकारियां व बचाव थानों को भी भेजे गए हैं। ताकि वे अपने इलाके के लोगों को जागरूक कर सकें। साइबर एक्सपर्ट डीपफेक एक बेहद हाईटेक ब्लैकमेलिंग व फ्राड का तरीका है। इसका प्रयोग करके शातिर बात करने वाले शख्स की आवाज कॉपी कर सकते हैं। फिर अपनी आवाज को कॉपी की गई दूसरे की आवाज में कनवर्ट करके किसी को भी झांसा दे सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, इस बेहद खतरनाक डीपफेक विधि से फ्राड मोबाइल पर बात करने वाले शख्स के चेहरे का क्लोन दूसरे के शरीर पर आसानी से सेट कर सकते हैं। इससे पूरा शरीर तो दूसरे का होगा मगर, चेहरा उस शख्स का होगा जिसका शातिर सेट करेंगे। यह स्थिति बड़ी आसानी से पकड़ में नहीं आती और लोग ठगी के साथ बदनामी के शिकार हो सकते हैं।

खुद को ठगी व बदनामी से बचाएं ऐसे

डीपफेक से आवाज कॉपी करके शातिर बहाना बनाकर रुपयों की मांग कर सकते हैं। इसलिए जब कोई पैसे की डिमांड फोन करे तो किसी दूसरे से क्रास चेक जरूर कर लें।
यदि कोई फोन पर यह कहे कि वे दरवाजे पर खड़ा है डोर ओपन करिए तो तब सतर्क रहें, यह आवाज भी डीपफेक विधि से झांसा हो सकता है।
पहले यह कंफर्म कर लीजिए कि बात करने वाले शख्स घर का सदस्य ही या नहीं, अन्यथा घर में लूट व डकैती जैसी अन्य बड़ी घटना हो सकती है।
यदि कोई वीडियो बगैर आप के अपलोड किए सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है तो बताए गए तरीकों से पहचानने की कोशिश करें कि कहीं डीफफेक के शिकार तो नहीं हो गए।
वीडियो अशोभनीय है तो और आपत्ति के लायक है तो फौरन उस बाबत लोकल थाना पुलिस के साथ साइबर सेल या साइबर थाने को सूचना दें साथ ही 1930 पर खबर दें।
साथ ही अपने मोबाइल पर सिस्टम में पैटर्न जैसे जितने भी सिक्योरिटी से रिलेटेड लॉक संभव हो लगा कर करें। ताकि आप की प्रोफाइल से कोई डिटेल या तस्वीर नहीं निकाल सके।


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डीप फेक की ऐसे करिए पहचान
डीप फेक को असामान्य व अननेचुरल एक्टिविटी पर गौर करके पहचाना जा सकता है। इसे पहचाने के कुछ नियम व तरीके हैं।
आंखों की अननेचुरल एक्टिविटी, आंखों की प्राकृतिक गति को दोहराना आसान नहीं होता। क्योंकि आंखें उस व्यक्ति का अनुसरण व प्रतिक्रिया करती हैं जिससे वे बात कर रहे होते हैं।
डीप फेक वीडियो में पलक झपकने
की कमी से भी पहचान सकते हैं। डीपफेक के लिए नियमित पलकों को झपकाने की क्रिया को नेचुरली कॉपी करना मुश्किल है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि डीपफेक में चेहरे की छवि को कॉपी किया जाता है, जिसमें चेहरों को बस एक छवि से दूसरी छवि के ऊपर सेट किया जाता है। इसके कारण आम तौर पर चेहरे के असामान्य या अप्राकृतिक भाव सामने आ जाते हैं।
कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का शरीर प्राकृतिक आकार का नहीं दिखाई देता तो समझ सकते हैं कि यह नकली है। डीपफेक तकनीक मुख्य रूप से पूरे शरीर के बजाय चेहरों पर ध्यान केंद्रित करता। इससे शरीर का लुक अननेचुरल हो जाता है।
डीपफेक नकली छवियां घुघराले या उलझे हुए बालों जैसी सही व्यक्तिगत विशेषताएं उत्पन्न नहीं कर सकती। ऐसे में इसे बालों से पहचान सकते हैं।
जानकार कहते हैं कि डीपफेक छवियों और वीडियों के प्राकृतिक रंगों की नकल करने में असर्थ है। इससे उनकी त्वचा का रंग असामान्य दिखने लगता है।
डीपफेक छवि में अक्सर सिर और शरीर अजीब तरह का दिखाई देगा। जैसे जब व्यक्ति हिलता है या सिर घुमाता है तो झटकेदार हरकतें व फटी हुई हल्के धब्बेदार तस्वीरें दिखाई देंगी।
डीपफेक में जब कोई हिलता है या अपना सिर घुमाता है तो दोनों ही स्थिति में तस्वीरें झटकेदार हरकतें और तस्वीरें विकृति यानी असान्य दिखाई देगा।



जिले में डीपफेक से रिलेटेड अभी कोई केस सामने नहीं आए हैं, लेकिन कुछ प्रदेशों में इससे जुड़ी घटनाओं को देखते हुए यहां अलर्टनेस बढ़ा दिया गया है। साइबर व सिविल पुलिस लोगों को जागरूक करने में जुटी है।
राजीव तिवारी, प्रभारी साइबर थाना