वकीलों के साथ हो रही घटनाओं से खफा बार कौंसिल ने लिया निर्णय

<वकीलों के साथ हो रही घटनाओं से खफा बार कौंसिल ने लिया निर्णय

prayagraj@inext.co.in

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प्रदेश में अधिवक्ताओं के साथ लगातार हो रही घटनाओं के साथ तमाम मांगों को लेकर बार कौसिंल ऑफ उत्तर प्रदेश ने संघर्ष के रास्ते पर चलने का फैसला लिया है। शुरुआत आठ नवंबर विरोध दिवस से होगी। इस दिन प्रदेश भर में न्यायिक कार्य नहीं होगा। यह घोषणा बार कौंसिल के अध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने सोमवार को की। वह बार कौंसिल मुख्यालय प्रिमाइस में मीडिया से मुखातिब थे।

सरकार सुरक्षा देने में विफल: हरिशंकर

कौंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि मौजूदा सरकार अधिवक्ताओं को सम्मान व सुरक्षा देने में विफल है। प्रदेश में बीते पांच माह में आधा दर्जन से अधिक अधिवक्ताओं की हत्या हो चुकी है। अधिवक्ताओं के साथ मारपीट की घटना प्रतिदिन होती है। सरकार ने किसी मृतक के परिजन को मुआवजा नहीं दिया, न दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की। अधिवक्ताओं की आवाज दबाने की कोशिश हो रही है। इससे कानून व संविधान के रक्षक अधिवक्ता स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे हैं। न्यायिक कार्य से विरत रहकर हम न्याय व सम्मान की मांग करेंगे। कहा कि विरोध दिवस सरकार को चेतावनी है, अगर इसके बाद भी अधिवक्ताओं की उपेक्षा हुई तो मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा। कौंसिल ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं के साथ हुई मारपीट की घटना की निंदा किया।

बार कौंसिल ने उठायी मांग

तीस हजारी कोर्ट में पुलिस अधिकारियों की फायरिंग में घायल अधिवक्ताओं को दस लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिये जायें

घटना की जांच अधिकतम तीन महीने में पूरी कराकर दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाय

उत्तर प्रदेश में जिन अधिवक्ताओं की हत्या हुई है उनके हत्यारों की गिरफ्तारी कर उचित कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाय

अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति से मृतक अधिवक्ताओं के वर्षो से लंबित दावों का निस्तारण कराना सुनिश्चित करें

नए अधिवक्ताओं को प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना सुनिश्चित किया जाय

अधिवक्ता भविष्य निधि की धनराशि को क्.ख्भ् लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया जाय

कोई भी पुलिस अधिकारी या सिपाही कोर्ट प्रिमाइस में असलहा लेकर प्रवेश न करे

अधिवक्ताओं की जान-माल की सुरक्षा के इंतेजाम किये जायें

अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम यथाशीघ्र पारित किया जाय