-पब्लिक और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच महत्वपूर्ण कड़ी बने सिविल डिफेंस के लोग
-घरों में बंद बुजुर्गो और लोगों को पहुंचा रहे हैं दवाइयां और जरूरी सामान
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PRAYAGRAJ: लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में बंद हैं। इनमें से कई ऐसे बुजुर्ग भी हैं, जो बाहर निकलने में पूरी तरह से अक्षम हैं। लॉकडाउन की इस स्थिति में सिविल डिफेंस के लोग पब्लिक और एडमिनिस्ट्रेशन के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी बने हुए हैं। यह लोग लगातार पब्लिक की हेल्प कर रहे हैं।
अकेली रह रही वृद्धा तक पहुंचाई दवा
-माधोकुंज में रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा बिट्टन देवी अपने घर में अकेली रहती हैं।
-उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है, दवा चल रही है।
-दवा खत्म होने पर उन्होंने सिविल डिफेंस के पोस्ट वार्डेन से मदद मांगी।
-जानकारी होने पर सिविल डिफेंस के स्टॉफ अफसर रविशंकर द्विवेदी पोस्ट वार्डन के साथ उनके घर पहुंचे।
-दवा की पर्ची ली और फिर दवा खरीद कर उनके घर पहुंचाया।
-साथ में प्राइवेट डॉक्टर रत्नेश कुमार भी उनके घर पहुंचे और जांच की।
नहीं मिल रही थी दवा तो होल सेलर से मंगाकर दिया
-मनमोहन पार्क के पास रहने वाले सुमित अग्रवाल की पत्नी की तबियत पिछले कई दिनों से खराब चल रही है।
-उन्हें जिस दवा की जरूरत थी, वह आस-पास नहीं मिल पा रहा था।
-उन्होंने सिविल डिफेंस के स्टाफ ऑफिसर रविशंकर द्विवेदी को कॉल कर उनसे हेल्प मांगी।
-रविशंकर द्विवेदी ने लीडर रोड पर दवा के एक थोक व्यापारी से संपर्क किया। दवा मंगवाकर सुमित अग्रवाल के घर पहुंचाया।
कैंसर रोगी की कंप्लेंट सीएमओ व डिप्टी सीएमओ तक पहुंची
-नैनी की रहने वाली अनीता सिंह ने सिविल डिफेंस के पोस्ट वार्डन प्रमोद भारतीय और स्टॉफ ऑफिसर रविशंकर द्विवेदी को कॉल किया।
-उन्हें बताया कि उनकी टाटा इंस्टीट्यूट से कैंसर की दावा चल रही है, जो खत्म हो गई है।
-नैनी में सरकारी दवा मिलती थी। यमुनापार के एडिशनल सीएमओ ने दवा देने से इनकार कर दिया।
-अनीता सिंह की यह कंप्लेंट पोस्ट वार्डन और स्टाफ ऑफिसर ने सीएमओ और डिप्टी सीएमओ तक पहुंचाई, ताकि उन्हें दवा मिल सके।
सिविल डिफेंस का ये है स्ट्रक्चर
01 चीफ वार्डन
02 डिप्टी चीफ वार्डन
05 डिविजनल वार्डन
20 घटना नियंत्रण अधिकारी
50 पोस्ट वार्डन
800 सेक्टर वार्डन
5,000 वॉलंटियर
1962 में चीन युद्ध के दौरान हुआ था गठन
सिविल डिफेंस का काम एक आम आदमी को सिक्योरिटी देना है। बाह्य युद्ध के समय देश की आंतरिक व्यवस्था में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो व नागरिकों का मनोबल बना रहे इस उद्देश्य से इसका किया गया है। भारत सरकार द्वारा 1962 में चीन आक्रमण के बाद इसे सामरिक महत्व के नगरों और प्रदेशों में स्थापित किया गया था।