प्रयागराज ब्यूरो । पुलिस मुठभेड़ में मारा गया अधिवक्ता उमेश पाल व उनके गनर संदीप निषाद के मर्डर में शामिल अरबाज का परिवार तीन पीढ़ी पहले हिंदू हुआ करता था। नट बिरादरी का होने के चलते इन लोगों को समाज में तवज्जो नहीं मिलती थी। इसी के चलते उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म अपना लिया था। यह जानकारी अरबाज के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद उसकी बॉडी लेने के लिए पहुंचे चाचा अशफाक ने दी। कहा कि बाबा यानी पिता रुस्तम पहलवान ने मुस्लिम धर्म ग्रहण कर लिया था। तब से आज तक उसका परिवार इसी बिरादरी में है। उसके परिवार के तमाम लोग आज भी नट बिरादरी में ही हैं। बताया कि अरबाज का अधिकतर समय माफिया अतीक अहमद के बेटों संग बीतता था। वह अतीक के बेटे की गाड़ी ही नहीं चलता था उनके घरेलू काम भी करता था। अतीक के बेटों का कपड़ा तक धोता था। अरबाज बेहद घुमक्कड़ किस्म का था। उसके अन्य तीन भाई मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं।

चाचा अशफाक ने बताई हकीकत
पुलिस मुठभेड़ में अरबाज के मारे जाने से उसका पूरा परिवार गमजदा है। पुलिस कार्रवाई के खिलाफ वह कुछ भी बोलने से कतराते रहे। मंगलवार को अरबाज का चाचा अशफाक एसआरएन हॉस्पिटल पहुंचा। उसके साथ रिश्तेदार दिनेश नट व कुछ अन्य लोग भी थे। अशफाक ने कहा कि अरबाज का पिता अफाक अतीक अहमद की गाड़ी चलाया करता था। अफाक के साथ अरबाज का भी अतीक के घर आना जाना शुरू हो गया। पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था तो उसने अतीक के यहां मेहनत मजदूरी जैसे मोटे काम करना शुरू कर दिया। गाड़ी चलाने का काम सीखने के बाद वह भी अतीक के यहां ड्राइविंग से लेकर अन्य कार्य किया करता था। अरबाज चार भाइयों में दूसरे नंबर पर था। उसकी चार बहनें भी हैं। चाचा अशफाक की मानें तो उसका बड़ा भाई सल्लाहपुर में ही वेल्डिंग की दुकान पर काम करता है। तीसरे नंबर का सुहेल होटल में कुक का काम करता है। सबसे छोटा शोएब मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाता रहा है। चाचा की मानें तो अरबाज का ज्यादातर दिन अतीक अहमद के बेटों संग ही व्यतीत होता था।

ननिहाल से कब लौटा कुछ पता नहीं
चाचा अशफाक ने कहा कि अरबाज कुछ दिन पूर्व बांदा के अतर्रा स्थित हड़हा गांव में अपनी ननिहाल गया हुआ था। इसकी जानकारी उसके पूरे परिवार को थी। क्योंकि, जाने के पूर्व अरबाज यह बात घर वालों को बताकर निकला था। इसके बाद वह कब लौटा और क्या किया इस बारे में उसे या उसके परिवार को कुछ भी नहीं मालूम। सोमवार की रात उसके बारे में में खबर आई तो पुलिस मुठभेड़ में उसकी मौत की। उसके साथ रहे दिनेश नट ने कहा कि अशफाक उसकी सगी बुआ का बेटा है। अशफाक ने कहा कि सल्लाहपुर में रहने वाले चेलाराम, शारदा व प्रहलाद उसके सगे मामा हैं। उसके साथ रहे दिनेश ने कहा कि वह खुद प्रहलाद का ही बेटा है। दिनेश ने कहा कि बांदा में एक अधिकारी की गाड़ी चलाता है। अशफाक ने कहा कि पुस्तैनी तो वह भी हिन्दू ही था। तीन पीढ़ी पूर्व पूर्वजों ने धर्म बदला तब से आज तक वह मुस्लिम समुदाय में बसर कर रहे हैं।