प्रयागराज ब्यूरो । यह ट्रैफिक सिग्नल से यात्री कंफ्यूज होने के साथ परेशान भी रहे हैं। अनायास इस चौराहे के सिग्नल पर लोगों का टाइम बर्बाद हो रहा है। इस चौराहे के निर्माण में प्लानिंग दोष पर उस वक्त जिम्मेदार गौर नहीं किए। चौराहा बनकर तैयार हो जाने के बावजूद किसी की नजर इस ओर नहीं जा रही। कई ऐसी नीति व प्लान गत समस्या हैं जिसमें आज तक सुधार की तरफ ध्यान नहीं दिया जा सका। चौराहे की दो सड़कें ऐसी हैं जिस पर जबरदस्ती सिग्नल टांग दिया गया है। शुक्रवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में चौराहा के निर्माण में की तरह की खामियां सामने आईं।

कुंभ 2019 में हुआ था कंट्रक्शन
बालसन चौराहा शहर के मुख्य चौराहों में से एक है। इसी चौराहा हो से होकर प्रति वर्ष लाखों लोग संगम क्षेत्र माघ मेला में पहुंचते हैं। वर्ष 2019 में इस चौराहे को स्मार्ट सिटी से रिनोवेट किया गया। महीनों
कवायद के बाद इस चौराहा को डेकोरेट करने की प्लानिंग की गई। निर्माण कार्य से जुड़े अफसरों की लिस्ट में प्लानिंग दोष आ गया। जिस पर उनकी नजर न तो उस वक्त पड़ी और न ही आज ही जा रही। बीच चौराहा एक बड़ा सा गोल पार्क डेवलप किया गया है। इस पार्क के चारों ओर सड़कें बना दी गईं। बात सिर्फ यहीं तक रहती तब भी कुछ हद तक ठीक था। चौराहा का कुंभ में स्मार्ट और बड़ा एवं सुंदर लुक देने के लिए यहां चारों तरफ ट्रैफिक सिग्नल लगा दिया गया। इस ट्रैफिक सिग्नल को लगाते वक्त भी इस चौराहे की भौगोलिक स्थिति पर अफसर गौर नहीं किए। जिम्मेदारों द्वारा बरती गई इस लापरवाही का खामियाजा आज यहां की पब्लिक भुगत रही है। बेवजह लोगों को रेड सिग्नल पर रुकना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, चौराहा के स्ट्रक्चर में कई ऐसी खामियां हैं जो यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं। बालसन चौराहे के हर तरफ लगे ट्रैफिक सिग्नल पर रुककर रिपोर्टर के द्वारा पब्लिक की समस्याओं को परखा गया। इस बीच जो समस्याएं सामने आईं, आइए आप को भी बताते हैं।


चौराहे पर यात्रियों की पहली और अहम समस्या दो सड़कों पर लगाए गए ट्रैफिक सिग्नल की लाइट है।
इंडियन प्रेस चौराहा से आगे बढ़ते ही बालसन चौराहा है, बालसन चौराहा की इस सड़क पर ट्रैफिक सिग्नल है।
जबकि यहां से यात्री सीधी रोड क्रास ही नहीं कर सकते। क्योंकि ठीक सामने बीच में गोल पार्क है।
इसलिए यात्रियों को इस ट्रैफिक सिग्नल से बाईं तरफ मुड़कर चौराहा क्रास करना होता है।
यही बात इस चौराहे पर गौर करने वाली है कि जब यात्रियों को बाईं तरफ मुड़कर ही जाना है तो ट्रैफिक सिग्नल लगाने की जरूरत क्या है।
लेफ्ट घूमकर राइट टर्न ही होना है यात्रियों को तो फिर इस रोड पर ट्रैफिक सिग्नल लगाकर यात्रियों का वक्त किल करने की मंशा किसी के समझ नहीं आ रही।
इस चौराहे पर ठीक यही सिचुएशन आनन्द भवन साइड से आने पर पडऩे वाले ट्रैफिक सिग्नल का है।
इस ट्रैफिक सिग्नल से भी कोई भी यात्री एकदम सीधे रोड क्रास नहीं कर सकता। क्योंकि बीचों बीच गोल पार्क है।
इसलिए इस सिग्नल से भी लोगों को लेफ्ट साइड मुड़कर दारागंज व मेडिकल कॉलेज साइड के लिए आवागमन करते हैं।
मतलब यह कि इस रोड पर जब सिग्नल से बाएं घूम जाना है तो फिर रेड सिग्नल पर पब्लिक को रोकने का औचित्य क्या है?
कमला नेहरू हॉस्पिटल रोड से चौराहे पर आने पर भी ट्रैफिक सिग्नल टर्निंग के पहले पड़ता है। यह सिग्नल इतना किनारे है कि लोगों आसानी से दिखाई ही नहीं देता।
उधर, दारागंज साइड से चौराहे पर ही लगाया गया ट्रैफिक सिग्नल पेड़ों की टहनियों व पत्तियों से ढक गया है।
यदि गाड़ी चालक की नजर ऊपर साइड नहीं जाए तो तो रेड होने पर भी ट्रैफिक सिग्नल दिखाई ही नहीं देगा।


बालसन चौराहे का स्ट्रक्चर इंजीनियरों के द्वारा जांच परख कर तैयार किया गया है। निर्माण का काम दूसरे विभाग का था। रहा सवाल ट्रैफिक सिग्नल का तो वह जरूरी है। इससे चौराहे पर जाम की स्थिति नहीं बन पाती। ट्रैफिक सिस्टम स्मूथ रहता है।
अमित कुमार, ट्रैफिक इंचार्ज