प्रयागराज ब्यूरो । स्काउट गाइड के लिए कोटा तय था। इसके तहत भर्ती होनी थी। इस सर्टिफिकेट को ही सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी किये जाने के समय अवैध घोषित करते हुए अभ्यर्थियों को चयन से बाहर कर दिया गया। यह खुलासा आरटीआई से हुआ तो आवेदकों का माथा ठनक गया और उसने इस पर याचिका दाखिल दी। कोर्ट ने याचिका को संज्ञान में लेते हुए नार्थ रेलवे से जवाब मांगा है। कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए छह सप्ताह का वक्त दिया है। केस में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
उत्तर रेलवे की थी भर्ती
उत्तर रेलवे द्वारा इस भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। याची के अधिवक्ता अश्वनी कुमार श्रीवास्तव के अनुसार स्काउट गाइड को ज्वाइन करने वाले छात्रों ने अप्लाई किया था। दूसरे स्टेज में इस पर मार्क देना था। अधिवक्ता का कहना है कि कुछ प्रमाण पत्र को पैनल ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि प्रमाण पत्र वैध नहीं है। छात्र ने रिप्रेजेंटेशन दिया की यदि प्रमाण पत्र गलत पाए जाए तो उसके खिलाफ विधिक करवाई की जाए। इसके बाद भी पैनल ने उसका सर्टिफिकेट एक्सेप्ट नहीं किया। छात्र ने आरटीआई से सूचना मांगी तो पता चला कि प्रमाण पत्रों को रद्द न किया जाता तो चयन से बाहर किये गये छात्रों का सेलेक्शन हो जाता। रिप्रेजेंटेशन को सक्षम अधिकारी ने उसे स्वीकार नहीं किया। बहस के दौरान कोर्ट ने उत्तर रेलवे से पूछा कि प्रमाण पत्रों के अंक क्यों नहीं जोड़े गये। कोर्ट ने रेलवे को जवाब दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है।
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