नहाय खाय संग त्याग व तपस्या के महापर्व डाला छठ का शुभारंभ

ALLAHABAD: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर फ्राइडे को नहाय-खाय से त्याग व तपस्या के पर्व डाला छठ का शुभारंभ हो गया। छठ पूजा के तहत व्रती महिलायें पूरे दिन उपवास रखकर पूजा की तैयारी में जुटी रहीं। मार्निग में पूजा के बाद घर में उदयाचल सूर्य को अ‌र्घ्य दिया, वहीं बड़ी तादात में महिलाओं ने गंगा व यमुना के पावन जल में डुबकी भी लगाई। इस दौरान स्नानार्थियों की भारी भीड़ के चलते हर घाट पर काफी चहल-पहल देखने को मिली। स्नान ध्यान के बाद महिलायें घर की साफ-सफाई में जुटीं।

परिवार संग बैठकर चखा महाप्रसाद

उधर, शाम में स्नान बाद छठ मइया का ध्यान लगाकर पूजन किया गया। पूजा के बाद लौकी चने की दाल, कद्दू व नए चावल की खीर बनाकर उसका भोग लगाया गया। इसके बाद पूरे परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर उसे ग्रहण किया गया। डाला छठ के चलते व्रती महिलाओं के घर में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं किया गया। पर्व पर घर में शुद्ध व सात्विक भोजन ही बनाया जाता है।

खरना की तैयारी, रखेंगी निर्जला व्रत

इधर, डाला छठ के दूसरे दिन सैटरडे को खरना होगा। इसमें व्रती महिलाएं दिन में उपवास रखकर भजन-कीर्तन करेंगी। साथ ही चावल व नए गुड़ से खरना बनाया जाता है। इसे छठ मइया को चढ़ाया जाएगा। फिर शाम में गन्ने के रस की खीर बनाकर उसे पांच मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है और पूजा व हवन करके उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यहीं से 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत भी आरंभ होगा। मंडे को उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद इसकी समाप्ति होगी।

सिर पर टोकरी, मुख पर मंगलगीत

कार्तिक कृष्णपक्ष की षष्ठी रविवार को छठ का प्रमुख व्रत होगा। इसमें छठ मइया की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। इस दरम्यान व्रती महिलायें निर्जला व्रत रखकर शाम में डूबते हुये सूर्य को अ‌र्घ्य देंगी। महिलायें बाजे की धुन पर मांगलिक गीत गाते हुए गंगा या यमुना घाट तक जाएंगी। उनके साथ घर के पुरुष सिर पर टोकरी रखकर चलेंगे। टोकरी में सूप, जलता दिया, केला गन्ना, मूली, अमरूद, खरना इत्यादि रखा जाएगा। वहीं घाट पर पहुंचकर गन्ने के 12 पेड़ का मंडप बनाया जायेगा। जिसमें व्रती महिलायें पूजा करती हैं। इसके बाद पूरी रात घाट पर ही बिताया जायेगा और मंडे मार्निग उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।

जगह-जगह गन्ना, बाजारों में रौनक

डाला छठ के मद्देनजर बाजारों में अच्छी खासी रौनक देखने को मिली। फल की दुकानों में महिलाओं की भारी भीड़ जुटी रही। जगह-जगह गन्ने के ढेर दिखने शुरू हो गए हैं। बांस की बनी टोकरी और सूप आदि की जमकर खरीददारी हो रही है। सूप, जलता दीपक, केला, गन्ना, मूली, अमरूद, खरना, सिंदूर सहित पूजा की प्रत्येक सामग्री रखकर घाट तक ले जाने की परंपरा है।