सुमीत पांडेय हत्याकांड

बुधवार को भी जारी रही जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की हड़ताल

स्टाम्प, फोटोस्टेट एवं टाइपिस्ट ने भी नहीं किया कार्य

ALLAHABAD: जिला न्यायालय के अधिवक्ता बुधवार को भी सुमित पाण्डेय हत्या कांड के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहे। इस बीच अधिवक्ताओं ने जिला जज के गेट के पास सभा की। जिला अधिवक्ता संघ के बैनर तले हुई सभा की अगुवाई अध्यक्ष राकेश तिवारी, मंत्री कौशलेश कुमार सिंह ने की। इस दौरान हड़ताल को लेकर कोई हल नहीं निकाला जा सका।

सभी प्रवेश द्वारों पर लगाया ताला

आम सभा के पूर्व अधिवक्ताओं ने कचहरी के सभी प्रवेश द्वारों पर ताला लगा दिया। इस वजह से कोई भी न्यायिक अधिकारी और कर्मचारी न्यायालय परिसर में प्रवेश नहीं कर सके। जिला न्यायालय परिसर में स्थित होटल, खानपान की दुकानें, फोटोस्टेट, स्टाम्प विक्रेताओं की शॉप भी बंद रही। चौरासी खम्भा में भी अधिवक्ताओं के बैठने के ठिकानों पर ताला जड़ दिया गया था। इस वजह से अधिवक्ता अपनी सीटों पर नहीं जा सके। एक अधिवक्ता के हस्तक्षेप के बाद ताला खोला गया।

दो बजे तक चली सभा

जिला जज गेट के पास अधिवक्ताओं की आम सभा के दौरान बारिश होने लगी। इसके बाद अधिवक्ता संघ भवन के मीटिंग हॉल में चले गए। वहां दोपहर दो बजे सभा समाप्त हुई। सभा में चंद्रिका प्रसाद शर्मा, रविशंकर मिश्र, सूबेदार सिंह, भगवत प्रसाद पाण्डेय, विजय सिंह, बाल गोविंद सिंह, कुश पाण्डेय, राकेश दुबे, वीरेन्द्र शुक्ल, अरूण प्रकाश, ऊषा मिश्रा, श्रीकांत पाण्डेय, ललित ओझा, विजय वैश्य ने अपने सुझाव पेश किए। इसी क्रम में अधिवक्ता कल्याण समिति उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष एमकेपी नारायण, उमेश नारायण पाठक, सुभाष श्रीवास्तव, शशांक शेखर ने प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि जिला अधिवक्ता संघ की मांगे पूर्णत: न्यायोचित हैं। यदि प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अधिवक्ता के परिजनों को पचास लाख रुपए की आर्थिक सहायता, विधवा पत्‍‌नी को नौकरी, घटना की सीबीआई जांच, सही अभियुक्तों की गिरफ्तारी का आदेश नहीं जारी करते हैं तो अधिवक्ता धरना प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतरेंगे। संघ की आम सभा में पूर्व अध्यक्ष जगतपाल सिंह, सीताराम सिंह, विनोद चन्द्र दुबे, उमाशंकर तिवारी, शीतला प्रसाद मिश्र समेत अन्य अधिवक्ताओं ने भी अपने संबोधन में प्रदेश के मुख्यमंत्री से अधिवक्ताओं की मांग पर शीघ्र कार्रवाई करने की बात कही।

न्यायिक कार्य ठप

जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते करोड़ों रुपए के राजस्व की क्षति प्रतिदिन हो रही है। इससे वादकारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।