बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पेयजल आपूर्ति ठप, बूंद-बूंद के लिए संघर्ष

छतों से पहुंचाया जा रहा पानी, मददगारों के भरोसे हजारों लोग

ALLAHABAD: शहर के बाढ़ग्रस्त इलाकों में बिजली कटी होने के कारण पेयजल आपूर्ति भी ठप है। इससे लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पेयजल के लिए तरस रहे हजारों घरों के लोगों की प्रशासन भी मदद नहीं कर पा रहा है। हालात यह हैं कि लोगों को पेयजल के लिए बाढ़ के पानी में डूबकर जाना पड़ रहा है। शहर के कई ऐसे इलाकों में नाव नहीं पहुंच पाने से लोग मदद के लिए गुहार लगाने को मजबूर हैं।

छतों से पहुंच रही पानी की बोतलें

राजापुर, ऊंचवागढ़ी, मऊसरैया, रसूलाबाद, बघाड़ा, ओम गायत्री नगर, सलोरी, करेली, गौस नगर आदि दर्जनों इलाके इस समय गंगा-यमुना की चपेट में आ चुके हैं। यहां पर घनी आबादी में नदियों का पानी अंदर तक पहुंच चुका है। और, अभी पानी को पीछे हटने में काफी समय लग सकता है। ऐसे में इन इलाकों में पेयजल बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इन इलाकों की एहतियातन लाइट काट दिए जाने से पेयजल की सप्लाई भी बाधित हो गई है। कई घरों में पीने के लिए चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा है। कई इलाकों में छतों के जरिए घरों में फंसे पीडि़तों के लिए पानी की बोतलें पहुंचाई जा रही हैं। इसके उलट जिन इलाकों में पेयजल सप्लाई हो रही है वहां दूषित पानी से बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है।

पानी का टैंकर पहुंचना नामुमकिन

इलाकों में लबालब पानी भरा होने की वजह से जल संस्थान के टैंकर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक नगर निगम की तरफ से रोजाना लगभग तीन दर्जन पानी के टैंकर सप्लाई किए जा रहे हैं, जो राहत शिविरों में पेयजल उपलब्ध कराने का काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जिन इलाकों में लोग घरों में फंसे हैं उन तक पानी के टैंकर का पहुंचना बेहद मुश्किल है। बड़ा हादसा भी हो सकता है। हालांकि, कई मोहल्लों में नाव के जरिए मददगार पानी पहुंचा जरूर रहे हैं लेकिन यह सहायता नाकाफी साबित हो रही है।

चोरी के डर से नहीं छोड़ रहे मकान

बाढ़ ग्रस्त इलाकों में चोरी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। यही कारण है कि बहुत से लोग अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में जाने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि घर में रखे कीमती सामानों पर चोरों की नजर है। प्रशासन अगर पर्याप्त संख्या में नाव की व्यवस्था कर दे तो ये लोग अपने लिए खानपान की चीजों का इंतजाम कर सकते हैं। जबकि, राजापुर, साहिल कालोनी, नेवादा, धमसा मंदिर, कुर्मियाना, सैयद बाबा की मजार, बघाड़ा, सलोरी, करेली, गौस नगर आदि इलाकों के लोगों द्वारा प्रशासन से लंबे समय से नाव भेजने की मांग की जा रही है, पर सुनवाई नहीं हुई।

बिना पानी जीना मुहाल हो गया है। प्रशासन की ओर से कोई सहायता नहीं दी जा रही है। बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं।

उमेश, बाढ़ पीडि़त

इस समय गंगा का पानी थोड़ा घट गया है लेकिन जब घर डूबा था तो घंटों प्यासा रहना पड़ा। घर में एक बूंद पानी नहीं था और आपूर्ति ठप कर दी गई थी।

विष्णु कुमार

प्रशासन अगर नाव भेज दे तो बाढ़ में फंसे लोग खाने पीने की चीजों का इंतजाम कर सकते हैं। लेकिन, कई बार कहने के बावजूद यहां कोई झांकने नहीं आया।

खुर्शीदा, बाढ़ पीडि़त

अगर खाना नहीं मिले तो एक टाइम चल जाता है लेकिन बिना पानी के लिए जीना मुश्किल होता जा रहा है। लोग छतों से पानी पहुंचा रहे हैं।

मीरा गुप्ता, बाढ़ पीडि़त

मेरे इलाके में अभी भी सैकड़ों घर बाढ़ के पानी से घिरे हैं। यहां तक राहत पहुंचाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। महिलाएं और बच्चे भूख प्यास से परेशान हैं। एडीएम और तहसीलदार सुनने को तैयार नहीं हैं। न नाव भेजी जा रही है और न राहत का सामान। राहत शिविरों में सरकारी सहायता का दुरुपयोग हो रहा है।

अहमद अली, पार्षद, राजापुर