प्रयागराज ब्यूरो । प्री मेच्योर बेबी आधुनिक युग की बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। आए दिन ऐसे केसेज सामने आ रहे हैं। कम उम्र में लड़कियों की शादी से ये दिक्कतें पैदा हो रही हैं। जिसकी वजह से जच्चा बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि जागरुकता के अभाव में ऐसे केसेज सामने आ रहे हैं। अक्सर इसकी वजह से बच्चो ंकी जान भी चली जाती है। हालांकि धीरे धीरे ऐसे मामलों पर लगाम लगाने में सफलता मिल रही है।
ये है बड़ा कारण
समय पूर्व प्रसव होने के कई कारण होते हैं। जैसे कि, माता का 40 किलोग्राम से कम वजन होना, शरीर में खून की कमी, गर्भावस्था के दौरान या प्रसव पूर्व ब्लीडिंग होना, गर्भाशय मुख का बेहद कमजोर होना आदि। ऐसे में प्रेगनेंसी से पहले महिलाओं की जांच होनी जरूरी है। अगर कोई दिक्कत हो तो इसका इलाज भी कराया जा सके। डॉक्टर्स की माने तो गर्भावस्था के दौरान उचित खान-पान का सेवन नहीं करना आदि मुख्य कारण हैं। क्योंकि, ऐसी स्थिति में महिलाएं काफी कमजोर हो जाती हैं । जिसके कारण सुरक्षित प्रसव नहीं हो पाता है।
जांच में पाई जाती है खून की कमी
प्रसव पूर्व में जांच में अक्सर महिलाओं में खून की कमी के मामले सामने आते हैं। बॉडी में खून नही होने की वजह से डिलीवरी में काफी समस्या आती है। इसकी वजह से मातृ और शिशु मृत्युदर में लगाम लगाना आसान नही है। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रेगनेंसी के दौरान माताओं के खानपान पर ध्यान देना जरूरी है। उनको पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए। ताकि शरीर में कैल्शियम और आयरन की मात्रा में कमी नही आए।
इन बातों का रखना होगा ख्याल
- गर्भधारण के लिए महिलाओं का कम से कम 21 वर्ष का होना जरूरी है। - सुरक्षित और सामान्य प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जांच कराते रहना चाहिए।
- हर माह गर्भवती महिलाओं की जांच करााया जाना बेहद जरूरी है।
- - गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन, आयरन और कैल्सियम युक्त खाने का सेवन ज्यादा करना चाहिए। जिसमें दाल, पनीर, अंडा, पालक, सोयाबीन, नॉनवेज, गुड़, अनार, नारियल, चना, हरी सब्जी आदि शामिल होना जरूरी है।
किसे कहते हैं प्री मेच्योर डिलीवरी
37 हफ्ते के बाद होने वाले प्रसव को सामान्य एवं परिपक्व प्रसव कहा जाता है। किन्तु, इससे पूर्व प्रसव होने पर समय पूर्व प्रसव कहा जाता है। इस स्थिति में मां के साथ-साथ जन्म लेने वाले शिशु काफी कमजोर होते हैं। वहीं दोनों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है। दरअसल, समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे मानसिक एवं शारीरिक रूप से तो बेहद कमजोर होते ही हैं। इसके अलावा ऐसे शिशु में स्तनपान और सांस लेने की ताकत नही होती है।
महिलाओं में प्रसव के दौरान प्री मेच्योर मामलों में कमी आई है। इनकी पूरी मानीटरिंग की जा रही है। लोगों को इसके लिए जागरुक किया जा रहा है जिससे जच्चा और बच्चा दोनो की जांच डिलीवरी के दौरान बचाई जा सके।
डॉ। रावेंद्र सिंह, एसीएमओ स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज