फिर से लौटी रौनक 
कुंभ में आने वाले पर्यटक और श्रद्घालुओं के लिए खोले गए अकबर के किले में काफी समय के बाद फिर से रौनक लौट आई है। बता दें कि सेना ने इस किले को उसी रूप में लोगों के समाने में लाने की कोशिश की जैसा इसका एक्चुअल स्वरूप था। किले की बाहरी व भीतर की दीवार जो कई जगहों पर कमजोर पडऩे लगी थी को दुरुस्त करा दिया गया है। इसके अलावा पातालपुरी के ऊपरी हिस्से को नया लुक देने की कोशिश की गई है। इस एरिया में कैंटीन की व्यवस्था लोगों को बेहतर फील कराती है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि यहां आने वाले बाहर से कोई खाद्य सामग्री न लाएं और न ही इसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़े. 
जानते थे लोग जिज्ञासु हैं
ट्यूजडे को फोर्ट पहुंचे इस्ट यूपी व एमपी एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल विश्वम्भर दयाल ने बताया कि ये एतिहासिक धरोहर है। जिसे लोगों के लिए खोला दिया गया है। अभी तक जिन लोगों ने इसे करीब से नहीं देखा था उनके अंदर इसे देखने की काफी जिज्ञासा थी। इसे सेना भी महसूस करती थी। मेला ही एक ऐसा मौका था जबकि इसे देश-विदेश से आने वाले टूरिस्टों के साथ श्रद्धालुओं को इसके भीतर घूमने की आप्च्र्युनिटी देता। इसे पुराने ढांचे में फिर से तैयार करने में सेना के जवानों को काफी मेहनत करनी पड़ी। जिसकी बदौलत आज यह फिर उसी लुक में लोगों के सामने है। इस दौरान उनके साथ कर्नल एके गौतम, विंग कमांडर बसंत कुमार, बी पाण्डेय सहित कई आर्मी अफसर मौजूद रहे.

फिर से लौटी रौनक

कुंभ में आने वाले पर्यटक और श्रद्घालुओं के लिए खोले गए अकबर के किले में काफी समय के बाद फिर से रौनक लौट आई है। बता दें कि सेना ने इस किले को उसी रूप में लोगों के समाने में लाने की कोशिश की जैसा इसका एक्चुअल स्वरूप था। किले की बाहरी व भीतर की दीवार जो कई जगहों पर कमजोर पडऩे लगी थी को दुरुस्त करा दिया गया है। इसके अलावा पातालपुरी के ऊपरी हिस्से को नया लुक देने की कोशिश की गई है। इस एरिया में कैंटीन की व्यवस्था लोगों को बेहतर फील कराती है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि यहां आने वाले बाहर से कोई खाद्य सामग्री न लाएं और न ही इसके लिए उन्हें बाहर जाना पड़े. 

जानते थे लोग जिज्ञासु हैं

ट्यूजडे को फोर्ट पहुंचे इस्ट यूपी व एमपी एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल विश्वम्भर दयाल ने बताया कि ये एतिहासिक धरोहर है। जिसे लोगों के लिए खोला दिया गया है। अभी तक जिन लोगों ने इसे करीब से नहीं देखा था उनके अंदर इसे देखने की काफी जिज्ञासा थी। इसे सेना भी महसूस करती थी। मेला ही एक ऐसा मौका था जबकि इसे देश-विदेश से आने वाले टूरिस्टों के साथ श्रद्धालुओं को इसके भीतर घूमने की आप्च्र्युनिटी देता। इसे पुराने ढांचे में फिर से तैयार करने में सेना के जवानों को काफी मेहनत करनी पड़ी। जिसकी बदौलत आज यह फिर उसी लुक में लोगों के सामने है। इस दौरान उनके साथ कर्नल एके गौतम, विंग कमांडर बसंत कुमार, बी पाण्डेय सहित कई आर्मी अफसर मौजूद रहे।