हास्य व्यंग्य कवि व पूर्व संपादक सर्वेश अस्थाना को दिया गया जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ सम्मान
ALLAHABAD: कैलाश गौतम स्मृति उत्सव काव्य कुंभ 2017 (अखिल भारतीय कविता सम्मेलन, मुशायरा व सम्मान समारोह) का आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में गुरुवार को किया गया। यह आयोजन कैलाश गौतम सृजन संस्थान व उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ द्वारा किया गया। समारोह के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार थे। कार्यक्रम का शुभारंभ न्यायमूर्ति पंकज मित्तल ने दीप प्रज्जवलन करके किया। उनके साथ महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी भी मौजूद रहीं। संचालन डॉ। श्लेष गौतम, अतिथियों का स्वागतडॉ। संजय सिंह व अनुराग अरोरा तथा धन्यवाद ज्ञापनअभिनय कोहली व फिरोज मुजीब ने किया।
बूंद-बूंद सैलाब, कान्हा प्रिया का लोकार्पण
इस अवसर पर जनकवि कैलाश गौतम के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात लेखिका बबिता अग्रवाल की पुस्तक बूंद-बूंद सैलाब व दोहाकार राजेश कुमार के संग्रह कान्हा प्रिया का लोकार्पण किया गया। चूंकि ख्याति प्राप्त कवि डॉ। विष्णु सक्सेना की माताजी का बुधवार को निधन हो गया था। ऐसे में वे कार्यक्रम में नहीं आ सके। उनकी जगह पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के हास्य व्यंग्य कवि व पूर्व संपादक संस्कार पत्रिका सर्वेश अस्थाना को जनकवि कैलाश गौतम राष्ट्रीय काव्य कुंभ सम्मान 2017 प्रदान किया गया।
आम आदमी के कवि थे कैलाश गौतम
इसके अलावा डॉ। परमात्मा सिंह को प्रेरणा सम्मान, डॉ। विनम्र सेन सिंह को युवा गीतकार सम्मान, शैलेन्द्र कपिल को त्रिवेणी सम्मान, डॉ। पवन जायसवाल को संगम सम्मान एवं अशोक सिंह को रचनाकार सम्मान दिया गया। इस मौके पर यश मालवीय ने कैलाश गौतम के रचना कर्म की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्हें आम आदमी का कवि बताया। वहीं कवि सम्मेलन की अध्यक्षता गीतकार व पूर्व अध्यक्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान डॉ। सोम ठाकुर ने की। इसमें डॉ। सोम ठाकुर, आशीष अनल, संदीप शर्मा, पंकज प्रसून, नायाब बलियावी, मखदूम फूलपुर, कमरूल हसन सिद्दीक, अशोक सिंह, राजेश कुमार, नजीब इलाहाबादी ने कविताएं पढ़ी।
रचनाकारों ने इन पंक्तियों को पढ़कर सुनाया
धरा कभी छोड़ी नहीं छूकर भी आकाश, अजर अमर तुम हो गए कविता के कैलाश।
-डॉ। श्लेष गौतम
नाव मंझधार बीच खेता है,
वह कि जो काव्य का प्रणेता है,
दर्द के ज्वार उठे जब दिल में,
तब कहीं गीत जन्म लेता है।
-डॉ। राजकुमार रंजन
हास्य एक उपचार है बिन लागत बिन दाम,
इसकी हर पल डोज लो सुबह दोपहर शाम।
-बेटे से हंसकर सदा अगर करोगे बात,
वो समझेगा आपके जीवन भर जज्बात।
-सर्वेश अस्थाना
- मेरा गम मुझसे क्यों रूठता ही नहीं,
साथ तेरा मेरा छूटता ही नहीं,
होता पत्थर तो ये दिल बहुत ठीक था,
तोड़ने से कभी टूटता ही नहीं।
-डॉ। विनम्र सेन सिंह
ये कैसी बारीकियां कैसा तंग महीन,
हम बोले मर जाएंगे वो बोले आमीन।
-यश मालवीय