Shopping में busy रहीं 
करवा चौथ की शापिंग करने के लिए मंडे को मार्निंग से ही मार्केटिंग शुरू हो गई थी। मार्केट में भी महिलाओं की डिमांड को देखते हुए साडिय़ों के बेहतरीन कलेक्शन मौजूद थे। शिफान , जार्जेट और डिजाइनर साडिय़ों की खास डिमांड रही। एक साड़ी शॉप के ओनर सुनील कुमार जैन बताते हैं कि डिजाइनर साडिय़ों में कई रेंज टीवी सीरियल की महिला सेलिब्रेटी नाम पर जैसे अक्षरा, संध्या आदि की जमकर खरीदारी महिलाओं ने की। फिल्म एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा के नाम की साडिय़ां महिलाएं ज्यादा पसंद करती है। इसी को देखते हुए इस बार इन वेरायटी की साडिय़ां खासतौर पर करवा चौथ के लिए मंगाई गई हैं.

Parlour में भी offer  
करवा चौथ को लेकर पार्लर्स ने भी कई ऑफर लांच किया है। मेल और फीमेल दोनों के लिए ये ऑफर्स अवेलेबल है। पार्लर ओनर सूरज बताते हैं कि करवाचौथ के मौके पर महिलाएं पूरे साज-श्रृंगार में पूजन करती हैं। इसी को देखकर पार्लर ने कई स्कीम लांच की है. 

पहले चौथ व्रत का craze

शादी के बाद पहला करवा चौथ सभी कपल के लिए खास रहता है। सिटी में एक स्कूल चलाने वाली वर्तिका इस बार पहला करवा चौथ व्रत रखने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वह  बेहद एक्साइटेड हैं। इस खास मौके के लिए उन्होंने शादी का जोड़ा पहनना तय किया है। उन्होंने सास और ससुर के लिए भी गिफ्ट खरीद लिया है। वर्तिका के अनुसार उनके यहां एक परम्परा है कि पत्नी अपने पति के पैर के अगूंठे को धोकर पीती है। वे भी कुछ ऐसा ही करना चाहती हैं। उनका मानना है कि परम्पराएं पति और पत्नी के रिलेशन को खूबसूरत बनाती हैं. 

मां पार्वती ने रखा था करवाचौथ 
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने की शुरुआत मां पार्वती के समय से है। उन्होंने भगवान शिव के लिए इस व्रत को रखा था। इसके बाद महाभारत के दौरान जब अर्जुन तपस्या करने के लिए इन्द्रनील पर्वत पर गए हुए थे, तो उनकी पत्नी द्रोपदी को चिंता हुई। कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने भी इस व्रत को रखा था। कुछ स्थानों पर एक दूसरी कहानी भी प्रचलित है। बहुत समय पहले वीरावती नाम की एक महिला थी। उसकी शादी सुदर्शन नाम के एक ब्राम्हण से हुई।  वीरावती ने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। सुदर्शन के भाइयों ने वीरावती का व्रत खण्डित करने के लिए आग जलाई और उसे चन्द्रमा बोलकर दिखाया। वीरावति ने भी उसे देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। इसके चलते सुदर्शन बीमार रहने लगे तो देवराज इन्द्र की पत्नी वीरावती के पास पहुंची और उन्हें फिर से अखण्ड व्रत रखने को कहा। वीरावती ने दोबारा व्रत रखा तो उनके पति ठीक हो गए. 

क्यों रखा जाता है व्रत
पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि विधान से रखती हैं। व्रत में महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चन्द्रोदय के बाद पूजा करती हैं। चन्द्र को अघ्र्य देने के बाद महिलाएं शिव, पार्वती की पूजा करती हैं। उसके बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दौरान महिलाएं कई तरह के व्यंजन बनाती हैं। व्रत के दौरान खास तौर से 13 करवा, सीरापूड़ी से पूजा होती है। उसे बाद 13 सुहागिनों को खाना खिलाने की परम्परा है. 

इन नियमों का पालन करना जरूरी
-निर्जला व्रत रखें
-चन्द्र को अघ्र्य देने के बाद ही पानी पीए
-शिव, पार्वती की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करें
-व्रत के दौरान मन में भक्ति भाव रखें

करवा चौथ का व्रत सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए। इस बार चन्द्र उदय का समय शाम को 7.57 मिनट पर है। करवा चौथ पर चन्द्रमा रोहणी नक्षत्र में रहेगा, जो फलकारी है. 
पं। आदित्यकीर्ति त्रिपाठी
ज्योतिषाचार्य 

Shopping में busy रहीं 
करवा चौथ की शापिंग करने के लिए मंडे को मार्निंग से ही मार्केटिंग शुरू हो गई थी। मार्केट में भी महिलाओं की डिमांड को देखते हुए साडिय़ों के बेहतरीन कलेक्शन मौजूद थे। शिफान , जार्जेट और डिजाइनर साडिय़ों की खास डिमांड रही। एक साड़ी शॉप के ओनर सुनील कुमार जैन बताते हैं कि डिजाइनर साडिय़ों में कई रेंज टीवी सीरियल की महिला सेलिब्रेटी नाम पर जैसे अक्षरा, संध्या आदि की जमकर खरीदारी महिलाओं ने की। फिल्म एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा के नाम की साडिय़ां महिलाएं ज्यादा पसंद करती है। इसी को देखते हुए इस बार इन वेरायटी की साडिय़ां खासतौर पर करवा चौथ के लिए मंगाई गई हैं।

Parlour में भी offer
करवा चौथ को लेकर पार्लर्स ने भी कई ऑफर लांच किया है। मेल और फीमेल दोनों के लिए ये ऑफर्स अवेलेबल है। पार्लर ओनर सूरज बताते हैं कि करवाचौथ के मौके पर महिलाएं पूरे साज-श्रृंगार में पूजन करती हैं। इसी को देखकर पार्लर ने कई स्कीम लांच की है. 

पहले चौथ व्रत का craze
शादी के बाद पहला करवा चौथ सभी कपल के लिए खास रहता है। सिटी में एक स्कूल चलाने वाली वर्तिका इस बार पहला करवा चौथ व्रत रखने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि वह  बेहद एक्साइटेड हैं। इस खास मौके के लिए उन्होंने शादी का जोड़ा पहनना तय किया है। उन्होंने सास और ससुर के लिए भी गिफ्ट खरीद लिया है। वर्तिका के अनुसार उनके यहां एक परम्परा है कि पत्नी अपने पति के पैर के अगूंठे को धोकर पीती है। वे भी कुछ ऐसा ही करना चाहती हैं। उनका मानना है कि परम्पराएं पति और पत्नी के रिलेशन को खूबसूरत बनाती हैं. 

मां पार्वती ने रखा था करवाचौथ 
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने की शुरुआत मां पार्वती के समय से है। उन्होंने भगवान शिव के लिए इस व्रत को रखा था। इसके बाद महाभारत के दौरान जब अर्जुन तपस्या करने के लिए इन्द्रनील पर्वत पर गए हुए थे, तो उनकी पत्नी द्रोपदी को चिंता हुई। कृष्ण के कहने पर द्रोपदी ने भी इस व्रत को रखा था। कुछ स्थानों पर एक दूसरी कहानी भी प्रचलित है। बहुत समय पहले वीरावती नाम की एक महिला थी। उसकी शादी सुदर्शन नाम के एक ब्राम्हण से हुई।  वीरावती ने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। सुदर्शन के भाइयों ने वीरावती का व्रत खण्डित करने के लिए आग जलाई और उसे चन्द्रमा बोलकर दिखाया। वीरावति ने भी उसे देखकर अपना व्रत तोड़ दिया। इसके चलते सुदर्शन बीमार रहने लगे तो देवराज इन्द्र की पत्नी वीरावती के पास पहुंची और उन्हें फिर से अखण्ड व्रत रखने को कहा। वीरावती ने दोबारा व्रत रखा तो उनके पति ठीक हो गए. 

क्यों रखा जाता है व्रत
पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि विधान से रखती हैं। व्रत में महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चन्द्रोदय के बाद पूजा करती हैं। चन्द्र को अघ्र्य देने के बाद महिलाएं शिव, पार्वती की पूजा करती हैं। उसके बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दौरान महिलाएं कई तरह के व्यंजन बनाती हैं। व्रत के दौरान खास तौर से 13 करवा, सीरापूड़ी से पूजा होती है। उसे बाद 13 सुहागिनों को खाना खिलाने की परम्परा है. 

इन नियमों का पालन करना जरूरी

-निर्जला व्रत रखें

-चन्द्र को अघ्र्य देने के बाद ही पानी पीए

-शिव, पार्वती की सच्ची श्रद्धा के साथ पूजा करें

-व्रत के दौरान मन में भक्ति भाव रखें

करवा चौथ का व्रत सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की प्राप्ति के लिए। इस बार चन्द्र उदय का समय शाम को 7.57 मिनट पर है। करवा चौथ पर चन्द्रमा रोहणी नक्षत्र में रहेगा, जो फलकारी है. 

पं। आदित्यकीर्ति त्रिपाठी

ज्योतिषाचार्य