कभी था बेस्ट क्रिकेट प्लेयर

जरायम की दुनिया में कदम रखने से पहले बाबा उर्फ अलीमुद्दीन इलाहाबाद का वन ऑफ द बेस्ट क्रिकेट प्लेयर था। एक तरफ वह विस्फोटक बल्लेबाजी करता था तो दूसरी ओर लेफ्ट और राइट स्पिन गेंदबाजी करने में भी उसे महारत हासिल थी। शौकिया क्रिकेट खेलता था। फील्ड में उतरने के बाद उसे देखने वालों की भीड़ जमा हो जाती थी। जितना वह स्मार्ट तरीके से बैटिंग करता था, उससे कहीं ज्यादा खुद को अपडेट और स्मार्ट लुक के लिए खर्च करता था। करीब 25 साल पहले उसकी लग्जेरियस लाइफ देखकर लोग हैरत में पड़ जाते थे।

नहीं थी पैसे की कमी

जी हां, कुछ इसी तरह की लाइफ स्टाइल जी रहा था अलीमुद्दीन। शहर के बादशाही मंडी के रहने वाला बाबा को पैसे की कमी नहीं थी। उसने धंधा तो छोटा ही शुरू किया था लेकिन जल्द ही बीड़ी बेचने का धंधा इलाहाबाद से बाहर नेपाल तक पहुंच गया। उसे कस्टम विभाग से लाइसेंस भी मिल गया। इस धंधे में आने के बाद उसकी बड़े-बड़े एक्सपोर्टर से मुलाकात होने लगी। इस दौरान नेपाल में रहने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद के गुर्गों से उसकी मुलाकात हुई। बाबा ने ये बातें एसटीएफ के गिरफ्त में आने के बाद शेयर कीं।

आया डॉन के करीब

एसटीएफ एसओ प्रवीण सिंह चौहान ने बताया कि एक्सपोर्ट के धंधे में आने के बाद डॉन के गुर्गें ओम प्रकाश उर्फ बबलू श्रीवास्तव से उसकी दोस्ती हो गई। बबलू दाउद का खास था। बबलू की लग्जीरियस लाइफ स्टाइल देखकर बाबा काफी प्रभावित हुआ था। धीरे-धीरे उसके खर्चे बढ़ते जा रहे थे। उनके रिश्ते काफी प्रगाढ़ हो चुके थे। अब बाबा को पहली बार कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात आई। बबलू श्रीवास्तव ने बाबा से कहा कि उसे सिर्फ लखनऊ से आने वाले दो मेहमानों के रहने का इंतजाम करना होगा और कस्टम ऑफिसर एलडी अरोरा के बारे में सटीक जानकारी देना होगा।

बना डाली hootout की planning

बाबा ने जब एलडी अरोरा के बारे में पता किया तो साफ हो गया कि उनकी लाइफ स्टाइल बहुत सिंपल है। उनके ऑफिस से घर और घर से ऑफिस आने-जाने का फिक्स टाइम था। मार्च 1993 में प्लानिंग के मुताबिक बबलू ने अपने मेहमानों के लिए पहले से स्कूटर उपलब्ध करा दिया। फिर लखनऊ से कमल किशोर और मंजीत सरदार पहुंचे। बाबा ने दोनों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास स्थित एक होटल में रहने और खाने का इंतजाम कराया। बाबा ने एसटीएफ को बयान दिया है कि 23 मार्च 1993 को सटीक प्लानिंग हुई। एलडी अरोरा अपने गनर के साथ घर पर पहुंचे। घर पहुंचते ही उन्होंने गनर को लौटने के लिए बोला। गनर पीछे मुड़े। अरोरा ने जैसे ही अपने घर में एंट्री करने के लिए काल बेल का बटन दबाया घात लगाए शूटरों ने गोलियों की बौछार कर दी। इस शूट आउट में स्पॉट पर ही उनकी मौत हो गई। शूटर भाग निकले।

नेपाल में ली शरण

इस सनसनीखेज वारदात के बाद जब सीबीआई ने जांच शुरू की तो बबलू श्रीवास्तव, मंजीत और कमल किशोर पकड़े गए। बाबा को भी लगा कि अब उसका नंबर है। उनके पकड़े जाने से पहले ही उसने अपनी सेटिंग की और नेपाल पहुंच गया। नेपाल में वह दाउद के खास महेन्द्र, ताहीर शाह कश्मीरी और इंटरनेशनल माफिया मिर्चा दिलशाह बेग की शरण में पहुंच गया। काठमांडू, पोखरा और कृष्णा नगर में वह छिप कर रहने लगा। उसके पास एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का लाइसेंस पहले से था। महेन्द्र के साथ मिलकर उसके धंधे को आगे बढ़ाने लगा।

बीमार पड़ा तो निकला बाहर

बाबा का दावा है कि वह पिछले चार साल तक बबलू श्रीवास्तव की शरण में था लेकिन अब नहीं है। इस दौरान उसकी तबीयत खराब रहने लगी। बच्चे सेटल हो गए। अलीगढ़ में वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। यह सोच बाबा नेपाल से निकला और फतेहरपुर में छिप कर रहने लगा। दरअसल, करीब दो साल पहले उसको पैरालाइसिस का अटैक पड़ा। उसका एक पैर खराब हो गया। फतेहपुर में रह कर वह इलाज कराने लगा। इस दौरान उसके दूसरे पैर में भी पैरालाइसिस का अटैक आ गया। ट्रीटमेंट के कारण वह दोनों पैरों पर खड़ा होकर चलने तो लगा लेकिन स्थिति नाजुक ही बनी रही।

किसी ने दे दिया धोखा

बाबा को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह पकड़ गया है। जब एसटीएफ ने उसे फतेहपुर से पकड़ा तो उसने कहा कि जरूर किसी ने धोखा दिया है। नहीं तो 20 साल बाद कोई उसे कैसे पहचानता। फतेहपुर में रेंट पर रहने के दौरान बाबा ने अपनी अलग पहचान बना ली थी। वह पीस कमेटी की मीटिंग में भी भाग लेने लगा था।

अंडरवर्ल्ड की दुनिया से घिरी है प्रयाग नगरी

शायद वह पहला केस था, जब अंडरवल्र्ड डॉन दाउद ने पहली बार इलाहाबाद को अपना टारगेट बनाया था। उसके खास बबलू श्रीवास्तव ने उसके मंसूबे को पूरा किया और आईआरएस एलडी अरोरा को उसके शूटरों ने भून डाला। इसी के साथ शुरू हो गया इलाहाबाद और मुम्बई के बीच डॉन का कनेक्शन। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक कुछ सालों तक दाउद के गुर्गा बबलू ने इलाहाबाद में अपना आतंक कायम रखा। बबलू की अरेस्टिंग के बाद छोटा राजन ने अपना माया जाल फैलाना शुरू किया। पहली बार इलाहाबाद से बिलांग करने वाले राजेश यादव, बच्चा पासी, ओसामा, खान मुबारक और जफर खान मुम्बई पहुंचे और काला घोड़ा शूट आउट केस को अंजाम दिया।

कोर्ट में किया डबल मर्डर

कोर्ट कैंपस में घूस कर सरेआम डबल मर्डर ने मुम्बई को हिला दिया। फिर इन्हीं गुर्गों ने इलाहाबाद में पोस्ट ऑफिस लूट केस को अंजाम देकर अपने लोकल स्तर पर डॉन का शूटर होने का सबूत दे दिया। फिर क्या था। इनकी चल पड़ी। छोटा राजन के नाम पर वसूली शुरू हो गई। कुछ सालों पहले जब छोटा राजन का खास गुर्गा शेट्ठी अलग हो गया और सकील के साथ जुड़ गया तो गुर्गे भी आपस में बंट गए। सकील के लिए इलाहाबाद में रहने वाले साकिब और ओसामा काम करने लगे। वर्तमान में साकिब, खान मुबारक मुम्बई और पुणे में जेल में बंद हैं। लेकिन उनके शूटरों ने इलाहाबाद में अपने नए शूटर बना लिए हैं जिनके बारे में अभी पुलिस को कोई जानकारी नहीं है।