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PRAYAGRAJ: मौजूदा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं ठीक हैं। लेकिन उनका क्रियान्वयन भली प्रकार से नहीं हो रहा। एग्जाम्पल के तौर पर अपना बिजनेस स्टार्ट करना आसान है। ऑफिसों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो जाएगा, लेकिन जब बिजनेस रन कराने की बात आए तो कहीं से लोन नहीं मिलेगा। जीएसटी की पेचीदगी में आप फंस कर रह जाएंगे। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के मिलेनियल्स स्पीक राजनी-टी डिस्कशन के दौरान यह बात उभरकर आई। मंगलवार को सिविल लाइंस स्थित द इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की इलाहाबाद ब्रांच में युवाओं ने विभिन्न मुददों पर मंथन किया।

जीएसटी अच्छा, पर उलझाऊ
युवाओं का कहना था कि सरकार ने बिना तैयारी के जीएसटी को लागू कर दिया। जिस जीएसटी को लाने की बात हुई थी वह यह नहीं है। नियम इतने उलझाऊ हैं कि छोटे व्यापारी परेशान हैं और बड़े व्यापारियों का समय हिसाब-किताब और रजिस्टर मेंटेन करने में बीत रहा है। इससे देश की इकॉनमी सफर कर रही है। वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि किसी भी नियम को फॉलो करने में टाइम लगता है। लोगों को एक बात आदत पड़ जाएगी तो जीएसटी व्यापारियों के लिए फ्रेंडली हो जाएगा।

चीन के पुतले जलाने से लाभ नहीं
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने मिलेनियल्स स्पीक में चीन के प्रति देश में चल रहे विरोध पर बेहतर राय दी। उनका कहना था कि चीन समृद्ध इसलिए है क्योंकि वह अपने देश में छोटे उद्योगों पर ध्यान दे रहा है। हमारे देश में सरकार छोटी इंडस्ट्री की ओर ध्यान नहीं देती। एग्जाम्पल के तौर पर नैनी में संभावनाएं होने के बावजूद पांच साल में एक भी छोटी इंडस्ट्री डेवलप नहीं हुई। बात जब देश की इकॉनमी की आती है तो हम चीन के सामानों का पुतला फूंकने लगते हैं। यह इस समस्या का हल नहीं है।

एंट्री में रिजर्वेशन हो, एग्जिट में नहीं
परिचर्चा में युवाओं ने नौकरी में रिजर्वेशन का पूरा विरोध किया। उनका कहना था कि शिक्षा में आरक्षण दे दीजिए लेकिन जॉब सेलेक्शन में इसे खत्म करना चाहिए। इससे अनक्वॉलीफाइड और कम टैलेंटेड लोग ऊंचे पदों पर बैठकर उसका मिसयूज कर रहे हैं। इसका नुकसान जनता को उठाना पड़ता है। कुल मिलाकर एंट्री में रिजर्वेशन हो न कि एग्जिट में। हाल ही में सरकार द्वारा जनरल को दस फीसदी आरक्षण दिए जाने के मामले पर युवाओं का कहना था कि इसे आरक्षण के परिप्रेक्ष्य से सही नहीं माना जा सकता है। लोगों को टैलेंट के बल पर मुकाबला करने देना चाहिए।

कड़क मुद्दा
क्वालिटी एजुकेशन प्राइवेट में क्यों?
देश के एजुकेशन सिस्टम में सुधार की जरूरत है। प्राइवेट सेक्टर में क्वॉलिटी एजूकेशन है लेकिन वह महंगी है। यह आम आदमी के बूते के बाहर है। सरकारी शिक्षा पूरी तरह थियोरेटिकल है। इसमें प्रैक्टिकल के लिए जगह नहीं है। मिलेनियल्स ने कहा कि पुराने एजुकेशन सिस्टम को बदलने की जरूरत है। जो लोग पढ़-लिखकर जैसे-तैसे डिग्री हासिल करते हैं, बाद में नौकरी पाने के लिए करप्शन का सहारा लेते हैं। यह सब हमारे एजुकेशन सिस्टम में झोल की वजह से हो रहा है।

 

 

मेरी बात
करप्शन को खत्म करना है तो लग्जूरियस आइटम्स की खरीद को पूरी तरह चेक या डिजिटल मनी पर आधारित कर देना चाहिए। कैश को पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। रोजमर्रा की चीजों की खरीद को इससे बचाकर रखना होगा। ताकि गरीब और लाचार वर्ग को दिक्कत न हो। इस दिशा में नोटबंदी बेहतर कदम था लेकिन उसके दूरगामी फायदे देश को हासिल नहीं हो सके। इसके अलावा शहरों में छोटी इंडस्ट्री डेवलप करने का समय आ गया है। इससे छोटे व्यापारियों को संजीवनी मिलेगी.-नितिन मेहरोत्रा, सीए

कॉलिंग
देश के एजुकेशन सिस्टम को आप खुद देखिए। आपको नहीं लगता कि इसमें सुधार की जरूरत है। यह पूरी तरह से किताबों पर आधारित है। हमें जो एजुकेशन मिल रही है, उसे एक्सप्रेस करने की क्षमता सामने वालों में होनी चाहिए। हालत यह है कि हमने मोटी-मोटी किताबें पढ़ ली हैं। लेकिन यह ज्ञान बांट नहीं पा रहे हैं.- साक्षी खन्ना, सीए

व्यापारी सरकार से भीख नहीं चाहता है। वह केवल सुविधाओं की मांग कर रहा है। उसे समय पर लोन मिल जाए तो इसे डेवलप करके कई अन्य लोगों को रोजगार देने की स्थिति में होगा। लेकिन यह बात सरकार को समझनी होगी। नियमों को आसान करके छोटी इंडस्ट्री चलाने वालों को राहत देनी चाहिए.- गौरव मिश्रा, सीए

हम खुद को मजबूत नहीं कर रहे हैं और जब त्योहार आते हैं तो उस देश का झंडा जलाने लगते हैं। हमें उनकी पॉलिसी को जानना होगा। उनकी तरह उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर इकॉनमी को मजबूत करना चाहिए। इससे दूसरों की आलोचना करने के बजाय हम खुद को सक्षम बनाने की दिशा में बढ़ेंगे.- अभिषेक शर्मा, सीए

नोटबंदी खराब फैसला नहीं था लेकिन उसका दूरगामी परिणाम हम नहीं निकाल सके। अगर हमने एक हजार की नोट बंद की तो फिर दो हजार की क्यों निकाली। इससे कैपिटलिस्ट को अधिक लाभ हुआ। मेरी राय में टीवी, फ्रिज, कार, बाइक सहित तमाम लग्जूरियस खरीदारी को डिजिटल मनी के द्वारा किए जाने का नियम लागू कर देना चाहिए.- नितीश अग्रवाल, सीए

नियम कितने भी कठिन हों लेकिन अपने टैलेंट का भरपूर उपयोग करना चाहिए। जीएसटी लागू हुई है तो इसके लाभ भी हैं। आने वाले समय में व्यापारियों के लिए इसके नियम हितकर होंगे। हम योजनाओं की कमी निकालने लगते हैं तो गलत है। बेहतर होगा कि अपनी प्लानिंग को मजबूत रखें। इससे बिजनेस को डूबने के बजाय को उठाने का प्रयास किया जा सके.- अनुभव अग्रवाल, सीए

रिजर्वेशन किसी भी प्रकार से देश के लिए हितकर नहीं है। इससे टैलेंट को उभरने के बजाय दबा दिया जाता है। अगर आरक्षण की दृष्टि से देखा जाए तो जनरल को दिया गया दस फीसदी रिजर्वेशन भी सही नही है। किसी को सहायता करनी है तो शिक्षा में करो लेकिन जॉब सेलेक्शन को फेयर रखना चाहिए। जो लोग वाकई टैलेंटेड हैं उनको जॉब मिलनी चाहिए.-अरुणिमा अग्रवाल, सीए

हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम को थियोरेटिकल बनाने के बजाय उसे कॉम्पटीटिव बनाना होगा। सरकार चाहे तो इंटर स्टेट टेस्ट का आयोजन कर सकती है। इससे बेहतर लोग निकलकर सामने आएंगे। यूथ का माइंड ब्रॉड होगा। इसी तरह स्वच्छ भारत अभियान में निकलने वाले सालिड वेस्ट को बायोडिग्रेडबल सिस्टम के तहत लाभकारी बनाया जा सकता है.- स्वर्णिमा, सीए

सरकार को योजनाओं के संचालन पर ध्यान देना चाहिए। केवल लागू कर दिए जाने से जनता को इसका लाभ नहीं मिलता। अंत में गिने-चुने लोगों तक ही योजनाओं का लाभ पहुंचता है। स्टार्ट अप, मुद्रा बैंक सहित किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर होना चाहिए। इसके लिए मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए.- आयुषी जैन, सीए

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है। रोजगार जेनरेट करने के लिए एजुकेशन को पूरी तरह बदलना होगा। सरकार को लोगों को क्वॉलिटी एजुकेशन देनी होगी। खासकर प्राइवेट सेक्टर के हाथों में जो एजुकेशन है उसे सरकारी सेक्टर में बदलना होगा। व्यापारियों को मजबूत करके भी सरकार नए रोजगार जनरेट कर सकती है। जो पुरानी योजनाएं हैं उनको ही तरीके से चलाया जाना चाहिए.- अतुल मिश्रा, सीए

2014 से पहले भी स्टार्टअप योजना थी लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा था। अभी भी वही हालत है। जिन लोगों के पास प्लान है उनको लोन नहीं मिल पा रहा है। खासकर प्रयागराज जैसे छोटे शहरों में नए बिजनेसमेन को बढ़ावा देना चाहिए। उनको सरकार लोन दिलवाए। इससे छोटी जगहों से बड़े बिजनेसमैन निकलेंगे.- अंकित अग्रवाल, सीए