- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट का मामला

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अभी लॉ कोर्सेस की मान्यता का मसला सुलझा भी नहीं है। वहीं फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट में एमपीएड कोर्स के साथ खिलवाड़ किए जाने की बात सामने आ गई है। यूनिवर्सिटी ने एनसीटीई के नियमों को ताक पर रखकर एमपीएड का पूरा कोर्स ही पलट कर रख दिया है। इससे भविष्य में इसकी मान्यता को रद्द किया जा सकता है। यह कहना है फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक्स। एचओडी प्रो। डीसी लाल का, जिन्होंने कोर्स को बचाने के लिए आवाज बुलंद कर दी है। यूनिवर्सिटी में सेशन 2015-16 से दो वर्षीय एमपीएड कोर्स में 40 सीटों पर प्रवेश के लिए एनसीटीई ने मान्यता प्रदान की थी।

मान्यता पर मंडरा रहा है खतरा

करेंट में यूनिवर्सिटी ने निर्धारित आदर्श पाठ्यक्रम संरचना विनियामक का उल्लंघन करते हुए कोर्स का स्वरूप बदल दिया है। इसके सेकेंड सेमेस्टर में शामिल कोर कोर्स में स्पोर्ट्स बॉयोमैकेनिक्स एवं किन्सियोलॉजी तथा एथलेटिक्स केयर एवं रिहैबिलीटेशन विषय को हटा दिया गया है। इसके साथ दो ऐच्छिक विषयों में एक को लागू न करते हुए दोनों विषयों को लागू कर दिया गया है। यही नहीं कोर्स में स्पोटर््स प्रेक्टिकल एवं स्पोर्ट्स ट्रेनिंग जैसे विषय सेमेस्टर में जोड़ दिए गए हैं। खास बात यह है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में नियमानुसार कोर्स का संचालन हो रहा है या नहीं। इसके लिए एनसीटीई सत्यापन करवाने जा रही है।

काउंसिल की नहीं ली गई इजाजत

इस तरह कोर्स में 70 से 80 फीसदी तक बदलाव होने से भविष्य में एमपीएड की मान्यता खत्म होने का भी खतरा मंडरा रहा है। एनसीटीई रेगुलेशन के अनुसार कोई भी यूनिवर्सिटी कोर्स में संशोधन मात्र 20 फीसदी तक ही कर सकती है। वह भी कोर सब्जेक्ट में बिना छेड़छाड़ किए। विभाग के एक्स। एचओडी प्रो। डीसी लाल का कहना है कि यह संशोधन केवल एकेडमिक काउंसिल और एक्जक्यूटिव काउंसिल ही कर सकती है। लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने बिना काउंसिल की इजाजत के अपनी मनमानी कर डाली है।