नगर निगम कांट्रेक्टर ने खोला उखड़ती सड़कों का सच

निर्माण के लिए स्वीकृत बजट की साठ फीसदी रकम की होती है बंदरबांट

25 से 35 फीसदी बिलो तक टेंडर के बाद 30 फीसदी देते हैं कमीशन

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: लाखों-करोड़ों खर्च कर बनी सड़क चंद दिनों में गड्ढे में तब्दील हो जाती है। नया बना नाला एक दिन की बरसात का प्रेशर नहीं झेल पाता। आरसीसी-इंटर लाकिंग रोड बनते ही उखड़ने लगती है। विकास कार्य के नाम पर अरबों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर की स्थिति जस की तस है। आखिर क्या है इसकी वजह, इसकी पड़ताल करने निकले आईनेक्स्ट रिपोर्टर के सामने ऐसे तथ्य सामने आए जिससे करप्शन में लिप्त सिस्टम का काला चेहरा उजागर हो गया। निर्माण कार्य व टेंडर के नाम पर चल रहे कमीशनखोरी के खेल से पर्दा उठाया नगर निगम से जुड़े एक ठेकेदार ने।

हर कदम पर चढ़ावा

रिपोर्टर- क्या वाकई में बगैर कमीशन के कोई काम नहीं होता?

ठेकेदार- और क्यायहां हर कदम पर चढ़ावा चढ़ाए बगैर काम नहीं होता है। पांच परसेंट दोगे तो फाइल बढ़ेगी। एकाउण्ट में दो परसेंट लग रहा है। बड़े साहब के यहां पांच परसेंट लगता है।

रिपोर्टर- पहले वाले बड़े साहब के नाम पर भी देते थे क्या?

ठेकेदार- और क्या। पहले वाले बड़े साहब पांच परसेंट लेकर जो फाइल पास कर चुके हैं, उस पर भी पांच परसेंट मांगा जा रहा है। क्योंकि चेक नहीं बना है।

रिपोर्टर- बड़े साहब के अलावा और लोगों को भी कमिशन देते है?

ठेकेदार- भाई पूछो मत कि कौन-कौन कमिशन लेता है। यहां हर दरवाजे पर चढ़ावा चढ़ाना पढ़ता है। पांच परसेंट जमा कर टेंडर में शामिल होते हैं। टेंडर स्वीकृत होते ही तीन परसेंट बड़े साहब के लिए। फिर पांच परसेंट बिलिंग सेक्शन इंजीनियर जेई आदि लेते हैं। चार परसेंट एई को चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। नगर अभियंता के नाम पर तीन परसेंट का चढ़ावा चढ़ाओ। मोहर लगाने वाले विभाग में दो परसेंट देना पढ़ता है। इसके बाद फिर पांच परसेंट बड़े साहब को चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। तीन परसेंट एकाउण्ट सेक्शन लेता है।

बिना पैसा नहीं बढ़ती फाइल

रिपोर्टर- साहब लोगों को कमीशन क्या डायरेक्ट पकड़ाते हैं?

ठेकेदार- अधिकारी हैं। ये डायरेक्ट चॉकलेट नहीं खाते हैं। सबका अपना आदमी सेट है। बड़े साहब के नाम पर पैसा चंदन लगाने वाले बाबू साहब लेते हैं। बिना चढ़ावे के फाइल आगे नहीं बढ़ती। जवाब मिलता है टाइम नहीं है। मैने दो हजार रुपये नहीं दिया तो साल भर तक एक फाइल पड़ी रही। पैसा देते ही काम हो गया। आलम यह है कि चपरासी आकर पूछता है कि कुछ दियो नहीं का। तीन परसेंट है साहब का। तीन परसेंट साहब का दो, 100-200 चपरासी को दो, अगले दिन ही फाइल आगे बढ़ जाएगी।

करप्ट होना मजबूरी है

मुट्ठीगंज में अखाड़ा वाली गली में काम हुआ, फिर रोक दिया गया। कहा गया कि ट्यूबवेल लगना है। इंटरलॉकिंग रोड बनी फिर एक महीने में खोद डाली गई अखाड़ा वाली गली। एलएनटी ने जहां-जहां निर्माण कराया, हर जगह गढ्डा हो गया है। मीरापुर में पटेल नगर के पास चेम्बर बना है, वहां गढ्डा है। ऐसे में करप्ट होना मजबूरी बन जाती है।

35 परसेंट बिलो पर मिलता है टेंडर

निर्धारित बजट से 27, 30-33 परसेंट बिलो पर टेंडर होता है। इसमें 30 परसेंट कमीशन देना पड़ता है। पांच परसेंट पहले से लगा रहता है सिक्योरिटी उसे जोड़ा ही नहीं जाता है। यानी कमीशन और बिलो टेंडर में 60-65 परसेंट धनराशि खत्म हो जाती है। बचे हुए 35 से 40 परसेंट में ही ठेकेदार को निर्माण कार्य करना पड़ता है। इसमें वह कार्य में कितना गुणवत्ता दे यह जवाब नगर निगम के अधिकारी दें तो अच्छा है। मुट्ठीगंज में अभी 33 परसेंट बिलो में टेंडर हुआ। 32-33 परसेंट नगर निगम में कमीशन में निकल गया। 35 परसेंट में ठेकेदार कितना बचाए और कितनी गुणवत्ता लाए। 20 फीसद के उपर बिलो टेंडर गया तो पार्षद को टेंडर कैंसल करा देना चाहिए। भले काम बाद में हो।

नगर निगम में कराए जाने वाले कार्यो की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। जांच में शिकायत सही भी मिलती है। जिस पर कार्रवाई भी होती है। लेकिन कमीशनबाजी की वजह से ऐसा कुछ हो रहा है यह स्पष्ट नहीं हो पाता है। अगर कोई ठेकेदार सबूत के साथ शिकायत करता है, तो सम्बंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शासन को अवगत कराया जाएगा।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम

इलाहाबाद

30 बिलो टेंडर

30 अफसरों का कमीशन

40 ठेकेदार को मिलता है

अगर इस तरह का आरोप लगा रहे हैं तो शिकायत करनी चाहिए। व्यक्तिगत रूप से कोई भी आरोप लगा सकता है। टेंडर प्रक्रिया आनलाइन हो गई है। पहले ठेकेदार आपस में मिल बैठ कर बात करते थे। अब ई टेंडरिंग में मनमानी बंद हो गई है। बिल्कुल सही है कि टेंडर बिलो तो रहेगा ही। ई टेंडरिंग में जो सबसे बिलो टेंडर आएगा नगर निगम के हित में उसी को टेंडर दिया जाएगा। बाकी सारी बातें और कमिशन बाजी का आरोप गलत है।

शेषमणि पांडेय

नगर आयुक्त

नगर निगम इलाहाबाद