चचेरे भाई-बहन ने फाफामऊ में करोड़ों की प्रापर्टी अलग-अलग लोगों को बेची

एक खरीदार के वकील थे मृतक, दूसरे खरीदार ने दी थी धमकी

पूर्व सांसद और सिटी के रिनाउंड अस्पताल का प्रापर्टी वर्क भी देखते थे लाल बचन सोनी

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हत्या का कारण राजेश्वरी उर्फ राजकली बनाम शिव प्रताप सिंह आदि मुकदमे को बताया गया है। इसी केस की पैरवी को लेकर मिली धमकी को एफआईआर का आधार बनाया गया है। यह मुकदमा फाफामऊ में स्थित जमीन को लेकर है। इसे चचेरे भाई-बहन ने अलग-अलग लोगों को बेच दिया है। नामजद आरोपित सदाशिव उर्फ छोटे बच्चा गद्दोपुर गांव का रहने वाला है। वह जिला पंचायत सदस्य रह चुका है और प्रधानी का चुनाव भी लड़ा था। दबंग प्रवृत्ति का सदाशिव भी इस जमीन के खरीदारों में से एक है। मृतक अधिवक्ता एक पूर्व सांसद और उनके हॉस्पिटल ओनर की प्रापर्टी का काम मेजा से लेकर मंझनपुर तक देखते थे। पुलिस ने तहरीर पर ही कंसंट्रेट कर रखा है लेकिन यह भी चेकिंग का प्वाइंट है कि किसी दूसरी जमीन के चक्कर में तो बचनलाल को नहीं निबटा दिया गया।

सालों पहले किया गया था फ्रॉड

फाफामऊ से लगा गद्दोपुर गांव गद्दी के चलते रहा है। इसी गांव में महावीर और बबई भी रहते थे। दोनो सगे भाई थे और दोनो के नाम अच्छी मात्रा में प्रापर्टी थी। महावीर के दो बेटे शिव प्रताप और कृष्ण प्रताप हैं जबकि बबई सिंह के सिर्फ एक बेटी सावित्री है। बबई के मरने के बाद भतीजों शिव प्रताप और कृष्ण प्रताप ने उनकी प्रापर्टी की वरासत अपने नाम करा ली। करोड़ो रुपये मूल्य की इस प्रापर्टी को एक ने राजेन्द्र प्रसाद व कपूर चंद तथा दूसरे ने गुलाब चंन्द्र व फूलचंद के नाम बैनाम कर दिया। इसी साल 23 मई को जमीन की अमल दरामद भी शिव प्रताप के नाम हो गयी। जमीन बैनाम किए जाने के समय ही फ्रॉड की नींव पड़ गयी क्योंकि आधे हिस्से की मालिक बबई की पत्‍‌नी राजेश्वरी और बादहू बेटी सावित्री थी।

तहसीलकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश

इस जमीन पर कई अन्य लोगों की नजर थी। आरोप है कि इसमें सदाशिव भी था। उसी की पहल पर वरासत को चैंलेंज किया गया। चकबंदी में मुकदमा राजेश्वरी उर्फ राजकली बनाम शिव प्रताप चला। इस मामले में राजेश्वरी का पक्ष स्ट्रांग था तो उनका नाम भी कागज पर आ गया। संयोग से मुकदमे के दौरान राजेश्वरी की मौत हो गयी तो बेटी सावित्री इसकी पैरवी करने लगी। बाद में नाम चढ़ जाने पर उसने अपने हिस्से की जमीन सदाशिव को बेच दी। इसे भी इस आधार पर चैलेंज किया गया था कि कूटरचना करके दस्तावेज में हेराफेरी की गयी है। इसी के आधार पर 15 जनवरी को सावित्री देवी के पक्ष में हुआ फैसला निरस्त करने का आदेश हुआ। इस पर डीएम सुहास एलवाई ने उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है जिन्होंने कागजात में हेराफेरी की है। इसके बाद सदाशिव चिढ़ गया और उसने धमकी दी थी।

जमीन का कोई दूसरा मामला तो नहीं

लालबचन भले ही सोरांव तहसील में प्रैक्टिस करते थे लेकिन वह मुकदमो के सिलसिले में मेजा, बारा, मंझनपुर तक जाते थे। अलग बात है कि यह सभी मामले प्रापर्टी के होते थे और किसी न किसी रूप में इसमें जेल में बंद पूर्व सांसद और उनके अस्पताल ओनर पार्टनर का नाम जुड़ा होता था। वकीलों में यह चर्चा भी रही कि कहीं इस प्रापर्टी के चक्कर से तो मर्डर का कनेक्शन नहीं है।