- आई स्पेशल

यूनिवर्सिटी के हॉस्टल्स में आपरेशन क्लीन पर लगा लम्बा ब्रेक

- नवप्रवेशियों की बढ़ी बेचैनी, दबंग मार रहे मजा

ALLAHABAD: सपोज करिए आप कोई एक्शन मूवी देख रहे हों और बीच में ब्रेक आ जाए तो कैसा लगता है। कुछ देर का ब्रेक तो ठीक है, लेकिन अगर ब्रेक लम्बा हो जाए तो मूड खराब होना स्वाभाविक है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद की हास्टल्स में छापेमारी भी कुछ ऐसी ही है। यूनिवर्सिटी का आपरेशन क्लीन आधा रास्ता तय करने से पहले ही दम तोड़ता नजर आ रहा है।

शुरू से ही हाफ रहा अभियान

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हास्टल्स में लम्बी जद्दोजहद के बाद रेड की कार्रवाई शुरू हुई थी। यह एक ज्वाइंट आपरेशन था। जिसमें एयू के अलावा डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस भी इन्वाल्व थी। लेकिन यह अभियान शुरुआत से ही हाफता नजर आ रहा था। तीन, चार और पांच फरवरी को रेड पड़ी। जिसमें पांच हास्टल्स में अभियान चलना था। लेकिन डायमंड जुबिली हास्टल में रेड से पहले ही तगड़ा विरोध हुआ, जिससे वहां अभियान नहीं चलाया जा सका।

यह हुई है कार्रवाई

इस बीच सर पीसी बनर्जी हास्टल, केपीयूसी, हिन्दू हास्टल और डॉ। एस। राधाकृष्णन हास्टल में रेड डाली गई। लेकिन यह भी खानापूरी करने जैसा ही रहा। कारण, यहां छापेमारी से पहले ही दबंग हास्टल छोड़कर भाग निकले और चार छात्रावासों में भारी पैमाने पर काबिज दबंगों में एक भी मौके पर हत्थे नहीं चढ़ा। वहीं अब पूरे सत्रह दिन बीत चुके हैं और फरवरी भी खत्म होने को है। लेकिन छापेमारी की कार्रवाई दोबारा कब शुरू हो पाएगी? इसपर संशय बना हुआ है।

वीसी ने दिखाई थी सख्ती

यह हाल तब है जब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर आरएल हांगलू छात्रावासों में अवैध कब्जे को लेकर सख्ती दिखा चुके हैं। उनकी ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि जो भी छात्र छात्रावासों में गलत तरीके से रहते पाए जाएंगे, उनकी डिग्री वापस ले ली जाएगी। लेकिन यहां तो उनके ही आदेश की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। वैसे यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन रेड पर ब्रेक के लिए स्नान पर्वो को जिम्मेदार बता रहा है। अफसरों का कहना है कि पुलिस फोर्स मौनी अमावस्या, वसंतपंचमी और माघी पूर्णिमा स्नान के कारण नहीं मिल पाई

गले नहीं उतर रहा तर्क

वहीं छात्रावास में कब्जा लेने का इंतजार कर रहे सैकड़ों नव प्रवेशियों को यह बात गले नहीं उतर रही। उनका कहना है कि यह तो वही बात हो गई कि पहले सूरज पश्चिम से उगा दो फिर पूछो सही है या गलत। छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशनकी मंशा रेड को लेकर शुरू से ही संदेहास्पद रही है। उनके मुताबिक रेड की कार्रवाई लास्ट इयर खत्म होने से पहले ही होनी चाहिए थी। यूनिवर्सिटी ने इसकी टाईमिंग ही गलत डिसाइड की। मौनी अमावस्या का स्नान आठ फरवरी, वसंत पंचमी का 13 फरवरी और माघी पूर्णिमा का स्नान 22 फरवरी को पड़ा।

दोबारा काबिज हो गए दबंग

बता दें कि ट्रस्ट के हास्टल्स समेत यूनिवर्सिटी के सभी हास्टल में छापेमारी की कार्रवाई होना अति आवश्यक है। क्योंकि छात्रावासों में भारी पैमाने पर अवैध अन्त:वासी कब्जा जमाए बैठे हैं। जिससे नव प्रवेशियों को पजेशन नहीं मिल पा रहा है। चर्चा यह भी है कि जिन छात्रावासों में छापेमारी की गई थी वहां दबंग दोबारा से काबिज हो चुके हैं। जिनकी मानिटरिंग के हाल फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे। यूनिवर्सिटी में 10 मार्च से एनुअल एग्जाम भी शुरू होने हैं। ऐसे में बीतते वक्त के साथ छापेमारी कर पाना भी मुश्किल होता जाएगा।

- जल्द ही रेड की कार्रवाई शुरू की जाएगी। सभी जगहों पर कार्रवाई में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। परीक्षा शुरू होने से पहले ही यह कम्पलीट भी कर लिया जाएगा।

-डॉ। एनके शुक्ला,

चीफ प्रॉक्टर एयू

अभियान पर एक नजर

- तीन, चार व पांच फरवरी को चला ऑपरेशन क्लीन अभियान

- डीजे हॉस्टल में रेड से पहले ही हुआ विरोध, ठप हुआ अभियान

- वीसी की सख्ती के चलते शुरू हुआ था अभियान

- अब जल्द अभियान चलने की नहीं है उम्मीद

- दस मार्च से शुरू होना है एनुअल एग्जाम, टेंशन में नवप्रवेशी