प्रयागराज (ब्‍यूरो)। चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा पर मंगलवार से नवरात्र का शुभारंभ हो होगा। नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक भक्तजन जगत जननी मां भगवती शोरों वाली के नौ स्वरूपों की आराधना व ध्यान में लीन रहेंगे। रामनवमी तिथि 17 अप्रैल को मनाई जाएगी। प्रतिप्रदा तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का दुर्लभ संयोग है। सनातन धर्मावलंबी गंगा व संगम में स्नान करके घरों में घट यानी कलश स्थापना करके मां के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन अर्चन करेंगे। मान्यता है कि नवरात्रि भर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने या कराने वाले जातक पर करुणा मई मां की विशेष कृपा बरसती है। उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

आज से मंदिरों में लगेगा तांता
नवरात्र को लेकर मां अलोपशंकरी, मां ललिता देवी, मां कल्याणी देवी, मां खेमा मायी सहित समस्त देवी मंदिरों में साफ-सफाई कराई गई। उसकी सजावट विद्युत झालरों व पुष्पों से कराई गई। महिला व पुरुषों के अलग-अलग दर्शन-पूजन का प्रबंध किया गया है। नवरात्र के प्रथम दिन जनकल्याण के लिए शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ होगा। ज्योतिषाचार्य पं। मनोज तिवारी बताते हैं कि शुभ योगों के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में प्रात:काल अशुभ योग वैधृति मिल रहा है। शास्त्र में वैधृति योग में घट स्थापन का निषेध बताया गया है। इस लिए घट स्थापना अभिजित मुहूर्त में किया जाना ही लाभप्रद रहेगा। यह अभिजित मुहूर्त सुबह 11.35 से दोपहर 12.24 बजे तक रहेगा। घट यानी कलश स्थापना के लिए यही समय उचित रहेगा। वहीं शास्त्री पं। शिवेंद्र महाराज के मुताबिक सप्तमी युक्त अष्टमी पर महानिशापूजन मध्य रात्रि निशिथ व्यापिनी में किया जाता है। महाष्टमी व्रत 16 अप्रैल को किया जाएगा। बताते हैं कि नवमी तिथि में 17 अप्रैल को रामनवमी व्रत भक्तजन रखेंगे। साथ ही हवन-अनुष्ठान भी करेंगे।

ऐसे फलित होगा आप का व्रत
पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने वाले जातकों को कुछ विशेष बातों व पूजन विधियों पर ध्यान देने की जरूरत है।
एक छोटी सी लापरवाही पूरे व्रत को खंडित कर सकती है, ऐसा होने पर व्रत का फल फलित नहीं हो सकेगा।
मां भगवती को स्वच्छता व नेक दिली एवं दया व भक्ति एवं निष्काम भाव तथा सत्य वचन अति प्रिय इस लिए इस पर ध्यान दें।
व्रती जातक को क्रोध, मोह, लोभ व झूठ, फरेब को छोड़कर मन की पवित्रता व विश्वास के साथ मां के चरणों में ध्यान लगाना चाहिए।
व्रत रखने वाले भक्त को कन्याओं के साथ अपने माता व पिता एवं ब्राह्मणों और अपने गुरू का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।
जन सेवा भाव और दीन दुखियों की मदद करते हुए सात्विक फलाहाल के साथ व्रत को पूर्ण करने से भगवती प्रसन्न होती हैं।

इस तरह करिए मां की पूजा
मां भगवती को घर में जिस जगह स्थापित करें वहां स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। पूजन सामग्री में धूप, पुष्प लाल रंग का हो तो उत्तम, देशी घी या तेल का दीप, कपूर, जारियल, चुनरी, यथा संभव फल, द्रव्य जरूर अर्पित करें। इन सब के साथ मां को गंगा जल से स्नान कराएं और आचमन भी करें। इतना कुछ करने के बाद पूरे मनोयोग व विश्वास के साथ ध्यान योग से पाठ करने का शास्त्रों में विधान है।


मां भगवती की आराधना में भक्तों को कुछ विशेष बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। अभिजीत मुहुर्त में ही कलश स्थापना करना चाहिए। बताए गए तरीकों से पूजा पाठ करने करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पं। शिवेंद्र महाराज, शास्त्री

नवरात्रि का शुभारंभ तो सुबह 8.09 बजे से शुरू होकर 11.15 बजे तक रहेगा। मगर अभिजित मुहूर्त 11.35 से 12.24 बजे कलश स्थापित किया जाएगा।
पं। मनोज तिवारी, ज्योतिषाचार्य