प्रयागराज (ब्‍यूरो)। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में पिछले तीन महीनों से प्रशिक्षण कार्य बंद है। स्टेडियम में खिलाड़ी बिना कोचेस के ही अभ्यास कर रहे है। कोचेस दूसरी नौकरी की तलाश कर रहे है। खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश द्वारा दो महीने के लिए कोचेस को बैठाया गया था। कोचेस का कहना है कि उस वक्त यह कहा गया था की 1 अप्रैल से कैंप चालू कर दिया जाएगा और सभी कोचेस को फिर से कोचिंग के लिए बुलाया जाएगा। अभी तक स्टेडियम में खेल निदेशालय द्वारा कैंप चालू नहीं किया गया है। जिस वजह से कोचेस और खिलाडिय़ों दोनों को समस्या हो रही है।

जनवरी में ही बंद कर दिया कैंप
मदन मोहन मालवीय स्टेडियम के कोचेस का कहना है की खेल निदेशालय द्वारा स्टेडियम में चलाया जाने वाला स्पोट्र्स कोर्स हर साल फरवरी तक चलता था। मार्च में इसे बंद किया जाता था लेकिन एक अप्रैल से नए सेशन की शुरुआत हो जाती थी। इस बार कैंप को जनवरी में ही बंद कर दिया गया था और अभी तक चालू नहीं किया गया। इससे कोच के सामने घर चलाना समस्या हो गयी है तो खिलाडिय़ों को बिना कोच के अभ्यास करना पड़ रहा है। खिलाडिय़ों का कहना है की वो अभ्यास तो कर रहे है मगर उन्हेें इस बात का ज्ञान नहीं हो पा रहा है कि उनकी टेक्निक सही है या गलत।

दो कंपनियों को मिला था टेंडर
बता दें कि मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में ज्यादातर खेलों के कोच एडहाक पर रखे जाते हैं। इसका टेंडर होता है। टेंडर लेने वाली कंपनी ही कोच की सप्लाई करती है। पिछली बार यह जिम्मेदारी टी एंड एम और अवनी नामक दो कंपनियों को मिला था। दोनों ही कंपनियों ने कोच को एप्वाइंट किया। उस वक्त जो ऑफर लेटर मिला उस पर लिखा था की उन्हें किसी भी वक्त नौकरी से निकाला जा सकता है। कंपनी ने ठीक ऐसा ही किया भी। दस महीनों के लिए हायर किया और सैलरी सिर्फ आठ महीने की ही दी। दो महीनों की सैलरी अभी भी बकाया है। एडहॉक पीरियड पूरा होने से कोच पहले परेशान थे, सैलरी न मिलने से उनकी मुश्किलें दोगुना हो गयी हैं।

मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में अभी तक कोचिंग की प्रक्रिया बाधित है। यह तब तक बाधित रहेगी जब तक खेल निदेशालय से आदेश नहीं आ जाता है। खेल निदेशालय के द्वारा कोचेस की नियुक्ति का आदेश आते ही। स्टेडियम में कैंप फिर से चालू कर दिया जाएगा।
विमला सिंह
रीजनल स्पोट्र्स ऑफिसर, प्रयागराज